तब बिहार के राजनीतिक हालात से खिन्न थे राष्ट्रपति कलाम, पीएम मनमोहन के कहने पर बदला था इस्तीफे का फैसला
APJ Abdul Kalam Death Anniversary साल 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने पर राज्यपाल बूटा सिंह ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की। इसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधिानिक करार दिया। तब राजनीतिक हालात से खिन्न राष्ट्रपति कलाम ने इस्तीफे देने का मन बनाया था।
By Amit AlokEdited By: Updated: Thu, 28 Jul 2022 06:50 AM (IST)
पटना, आनलाइन डेस्क। President APJ Abdul Kalam Death Anniversary: भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की आज पुण्यतिथि है। उन्होंने 2005 में बिहार की राजनीतिक अस्थिरता के बाद राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देने का मन बना लिया था। उस साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2005) में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने पर तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह (Buta Singh) ने राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की थी। कलाम ने नहीं चाहते हुए भी इसपर दस्तखत किए थे। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस फैसले को बदनीयत से लिया गया तथा असंवैधानिक करार दिया। कलाम ने इसके लिए खुद को भी जिम्मेदार माना और अंतरात्मा की आवाज पर इस्तीफा देने का फैसला किया, लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (PM Manmohan Singh) ने इससे रोक दिया। डा. कलाम ने इन बातों की चर्चा अपनी किताब 'टर्निंग प्वाइंट्स' (Turning Points) में की है।
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विदित हो कि रामेश्वरम में 15 अक्टूबर 1931 को जन्में डा. अबुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम (डा. एपीजे अब्दुल कलाम) का निधन 83 वर्ष की आयु में शिलांग स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) में लेक्चर देने के दौरान दिल का दौरा पड़ने के कारण 27 जुलाई 2015 को हो गया था।
बूटा सिंह ने की राष्ट्रपति शासन की सिफारिश बात साल 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव की है। चुनाव में किसी भी पार्टी या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल सका था। इसके बाद तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह ने विधानसभा भंग करने तथा राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी थी। आरोप है कि इसके पीछे की मंशा नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सरकार नहीं बनने देने की साजिश थी।
डा. कलाम ने नहीं चाहते हुए भी किया हस्ताक्षर बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू करने के फैसले के वक्त डा. कलाम रूस की यात्रा पर थे। तब मास्को के समय के मुताबिक रात करीब एक बजे उन्हें बिहार विधानसभा भंग करने का फैक्स मिला और उन्होंने न चाहते हुए भी इसपर हस्ताक्षर किया। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक व बदनीयती से लिया गया बताया।
अंतरात्मा की आवाज पर इस्तीफा का फैसला सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के लिए खुद को भी जिम्मेदार मानते हुए कलाम ने अंतरात्मा की आवाज पर राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देने का बड़ा फैसला कर लिया। उस समय उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत देश के बाहर थे, इस कारण वे तत्काल इस्तीफा नहीं दे सके। हालांकि, उन्होंने अपना इस्तीफा पत्र तैयार कर लिया था। मनमोहन ने देशहित का दिया हवाला, समझाया
इसी बीच जब तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह (PM Manmohan Singh) किसी मामले को लेकर डा. कलाम से मिलने गए, तब उन्होंने अपना इस्तीफा दिखाया। डा. कलाम का इस्तीफा पत्र देखकर मनमोहन सिंह भावुक हो गए। उन्होंने कलाम को समझाया तथा देश हित में इस्तीफा नहीं देने का आग्रह किया। मनमोहन सिंह ने कहा कि उनके इस्तीफे से देश के मुश्किल दौर में केंद्र की सरकार गिर सकती है।
मान गए कलाम, किताब में की घटना की चर्चा मनमोहन सिंह ने इस घटना की चर्चा अपनी किताब 'टर्निंग प्वाइंट' में विस्तार से किया है। वे कहते हैं कि मनमोहन सिंह ने मुलाकात के बाद उनके मन में अंतरात्मा व जमीर बनाम देशहित का द्वंद्व रामभर चला। अगली सुबह नमाज के बाद उन्होंने देश को प्राथमिकता देते हुए इस्तीफा नहीं देने का फैसला कर लिया।
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- Dr. Sanjay Jaiswal (@Dr.SanjayJaiswal) 27 July 2022