RJD की 'A टू Z पार्टी' के दावे का सच: पार्टी कमेटी में एक भी ब्राह्मण चेहरा नहीं; लालू का फॉर्मूला रहा हावी
इसमें कोई दोराय नहीं है कि राजद सुप्रीमो लालू यादव के निर्देश पर ही पार्टी अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने जिलाध्यक्षों और प्रधान महासचिवों की लिस्ट जारी की होगी। हालांकी तेजस्वी यादव अपने भाषणों में दावा करते हैं कि राजद किसी विशेष जाति-संप्रदाय की नहीं ए टू जेड की पार्टी है।
By Aditi ChoudharyEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Wed, 26 Apr 2023 10:00 AM (IST)
पटना, जागरण डिजिटल डेस्क। तेजस्वी यादव भले ही राजद की नीति में बदलाव की बात करें, लेकिन पार्टी के बड़े फैसलों में आज भी लालू यादव का फॉर्मूला ही अपनाया जाता है। तभी तो जब मंगलवार को राजद ने जब अपने जिलाध्यक्षाें व प्रदेश उपाध्यक्षों की सूची जारी की, तो मुस्लिम-यादव का समीकरण को ध्यान में रखा गया।
हमेशा की तरह पार्टी ने अपने कोर वोट बैंक का सबसे ख्याल रखते हुए 47 जिलाध्यक्षों और प्रधान महासचिवों की कुल 94 नामों की लिस्ट में से 51 मुसलमान और यादव चेहरों को शामिल किया है। वहीं, 47 जिलाध्यक्षों की बात करें तो 15 यादव, 12 मुस्लिम, 3 कुशवाहा, 9 अतिपिछड़ा, 3 पासवान, 2 रविदास और एक अनुसूचित जनजाति वर्ग को जिलाध्यक्ष बनाया गया है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि राजद ने एक भी ब्राह्मण नेता को जिला स्तर पर पार्टी की जिम्मेदारी नहीं सौंपी है। हालांकि, एक भूमिहार और दो राजपूत को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर खानापूर्ति की कोशिश जरूर की गई है। इस लिस्ट ने एक बार फिर से यह साफ कर दिया है कि बिहार में राजद अपने पुराने ढर्रे पर ही चल रही है।
इसमें कोई दोराय नहीं है कि राजद सुप्रीमो लालू यादव के निर्देश पर ही पार्टी अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने यह लिस्ट जारी की होगी। इधर, तेजस्वी यादव अपने भाषणों में दावा करते हैं कि राजद किसी विशेष जाति-संप्रदाय की नहीं, बल्कि ए टू जेड की पार्टी है। वहीं, जिलाध्यक्षों की लिस्ट से सवर्ण जातियों को दरकिनार कर देना जमीनी हकीकत बयां करती है।
तेजस्वी यादव भले की बाहरी तौर पर राजद का नेतृत्व कर रहे हों, लेकिन पार्टी के महत्वपूर्ण फैसले लालू ही लेते हैं। अगले साल लोकसभा चुनाव और 2025 में विधानसभा चुनाव है। ऐसे में राजद अपनी पुरानी नीति पर ही पांच जमाए रखना चाहती है। बिहार में मुस्लिम वोटरों की संख्या 20 प्रतिशत के करीब है। कुल वोट बैंक में यादवों का 16 प्रतिशत कब्जा है। ऐसे में ए टू जेड की पार्टी बनने के चक्कर में राजद अपना 36 प्रतिशत पारंपरिक वोट बैंक नहीं गंवाना चाहेगा।
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