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अस्‍पताल ने नहीं दिया एंबुलेंस तो मासूम ने मां की गोद में तोड़ा दम, घटना ऐसी कि रो पड़ेंगे आप

बिहार के जहानाबाद में गंभीर रूप से बीमार एक बच्‍चे को अस्‍पताल ने रेफर तो किया लेकिन एबुलेंस नहीं दिया। इस कारण इलाज में देरी हुई और उसने मां की गोद में ही दम तोड़ दिया।

By Amit AlokEdited By: Updated: Sun, 12 Apr 2020 10:21 PM (IST)
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अस्‍पताल ने नहीं दिया एंबुलेंस तो मासूम ने मां की गोद में तोड़ा दम, घटना ऐसी कि रो पड़ेंगे आप
जहानाबाद, जेएनएन। Corona Lockdown: कोरोना (CoronaVirus) प्रभावित बिहार के जहानाबाद (Jehanabad) में स्‍वास्‍थ्‍य विभाग (Health Department) की विभिन्‍न स्‍तरों पर लापरवाही व संवेदनहीनता की दिल दहला देने वाली घटना समाने आई है। इसने कोरोना को लेकर सतर्क स्वास्थ्य विभाग की पोल भी खोल दी है। जहानाबाद सदर अस्‍पताल (Jehanabad Sadar Hospital) प्रबंधन द्वारा एंबुलेंस (Ambulance) नहीं दिए जाने के कारण तीन साल के मासूम (Three Years Old Child) ने मां की गोद में ही दम तोड़ दिया। मामला के तूल पकड़ने के बाद अब अस्‍पताल प्रबंधक को निलंबित कर दिश गया है। साथ ही दो डॉक्‍टरों व चार नर्सों के चिालाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।

बीमार बच्‍चे को लेकर अस्‍पताल पहुंचे मां-बाप

मिली जानकारी के अनुसार अरवल जिला अंतर्गत कुर्था थाना के शाहपुर गांव निवासी गिरजेश कुमार पत्‍नी व तीन साल के बीमार बच्‍चे रिशू कुमार को लेकर लॉकडाउन (Lockdown) में किसी तरह जहानाबाद सदर अस्पताल पहुंचे। बच्‍चे काे बीते कुछ दिनों से खांसी-बुखार था। बच्‍चे को इसके पहले स्‍थानीय प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र (PHC) में दिखाया गया था, लेकिन वहां सुधार नहीं होने पर मात-पिता उसे किसी तरह जहानाबाद अस्‍पताल ले गए थे।

पीएमसीएच किया रेफर, पर नहीं दिया एंबुलेंस

गिरजेश बताते हैं कि जहानाबाद सदर अस्‍पताल में डॉक्टरों ने बच्‍चे की गंभीर हालते देखते हुए पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल (PMCH) जाने को कहा। लेकिन पीएमसीएच रेफर करने के बावजूद अस्‍पताल प्रबंधन ने एंबुलेंस उपलब्‍ध नहीं कराया। गिरजेश ने बताया कि वे लॉकडाउन में निजी गाड़ी का इंतजाम नहीं कर सके और अस्‍पताल प्रबंधन ने एंबुलेंस मांगने पर उपलब्‍ध नहीं होने की बात कही। जबकि, अस्‍पताल में दो-तीन एंबुलेंस खड़े थे।

मौत के बाद शव ले जाने में भी नहीं दी मदद

बदहवास मां-बाप पैदल ही गाड़ी खोजते पटना की ओर निकल पड़े। उन्‍हें उम्‍मीद थी कि रास्‍ते में कोई इंतजाम हो जाएगा। लेकिन अस्‍पताल से कुछ ही दूर राष्‍ट्रीय उच्‍च पथ 83 (NH 83) पर जाने के बाद बच्‍चे की मौत हो गई। इसके बाद वे शव को गांव ले जाने के लिए फिर अस्पताल प्रबंधन के पास मदद की गुहार लेकर पहुंचे, लेकिन अस बार भी नाउम्‍मीदी ही हाथ लगी। बाद में वहां से गुजरते समय भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता इंदु कश्‍यप ने रुककर सारी बातें तानी तथा अपनी गाड़ी देकर मदद की। इसके बाद मात-पिता अपने बच्चे का शव लेकर गांव पहुंच सके।

खांसी-बुखार के बावजूद नहीं की कोरोना जांच

बताया जाता है कि बच्‍चे के खांसी-बुखार से पीडि़त होने के बावजूद उसकी कोरोना जांच (Corona Test) के लिए पहल नहीं की गई। कोरोना के इलाज में जुटे स्‍वास्‍थ्‍य म‍हकमे को अगर इसकी भी सुध रहती तो शायद बच्‍चे का समय पर इलाज हो जाता। बड़ी बात यह भी है कि कोरोना के संक्रमण के इलाज का दावा कर रहा स्‍वास्‍थ्‍य विभाग का जिला अस्‍पताल क्‍या इतना अक्षम है कि वह खांसी-बुखार का इलाज नहीं कर सकता? मान भी लें कि बच्‍चे की हालत चिंताजनक थी तो कोरोना प्रभावित इलाज की व्‍यवस्‍था में क्‍या अस्‍पताल में एक एंबुलेंस तक नहीं था?

अस्‍पताल प्रबंधक निलंबित, डॉक्‍टरों-नर्सों पर कार्रवाई की अनुशंसा

मामला तूल पकड़ने के बाद जिलाधिकारी नवीन कुमार ने अस्‍पताल प्रबंधक कुणाल भारती को प्रथमदृष्‍टया दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया है। साथ ही ड्यूटी पर तैनात दो डॉक्‍टरों व चार नर्सों के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्‍वास्‍थ्‍य विभाग को अनुशंसा भेजी गई है।

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