KK Pathak: केके पाठक के 10 कड़े फैसले जिनसे सुधरने लगी बिहार की शिक्षा व्यवस्था, शिक्षकों ने भी पकड़ी अपनी रफ्तार
KK Pathak News बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के नाम से तो बिहार के शिक्षकों के साथ-साथ सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को भी सावधान कर दिया है। केके पाठक कब किसपर गाज गिरा दें कहना मुश्किल है। स्कूल की ढीली व्यवस्था को लेकर वह प्रधानाध्यापक और शिक्षकों को फटकार लगाने से नहीं चूकते हैं।
By Sanjeev KumarEdited By: Sanjeev KumarUpdated: Fri, 24 Nov 2023 09:19 AM (IST)
संजीव कुमार, पटना। बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के सख्त तेवर का असर नवनियुक्त और पुराने शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों के बीच भी देखा जा रहा है। केके पाठक कब किस स्कूल में निरीक्षण करने पहुंच जाएं यह किसी को भी नहीं पता होता है। वह अचानक किसी भी जिले के किसी भी स्कूल में धावा बोल देते हैं। प्रधानाध्यापक से लेकर शिक्षकों को भी मैनेजमेंट का पाठ पढ़ा देते हैं।
कभी कभी गुस्से में तो मुंह से कड़े शब्दों का भी प्रयोग कर डालते हैं। खासकर मिड डे मील और बच्चों की उपस्थिति को लेकर वह और भी सचेत रहते हैं। उनके आदेश के बाद अनुपस्थित रहने वाले लाखों बच्चों के नाम सरकारी स्कूल में काट दिए गए हैं। तो चलिए आज हम आपलोगों को बताएंगे कि केके पाठक ते वे 10 कड़े फैसले कौन से हैं जिनकी वजह से बिहार की शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आने लगी है।
केके पाठक के आदेश पर 'मिशन दक्ष' की शुरुआत
केके पाठक के आदेश पर मिशन दक्ष की शुरुआत की गई है। इसके तहत 10 हजार शिक्षकों को पढ़ाई में कमजोर 50 हजार बच्चों को गोद लेना है। इसमें हाईस्कूल के दसवीं और 12वीं के सभी शिक्षकों को शामिल किया गया है।उन्हें अपने विद्यालय के आसपास के किसी प्राथमिक या मध्य विद्यालय के बच्चों को गोद लेना है। इन शिक्षकों को विद्यालय में कक्षा के बाद या दोपहर के समय किसी वक्त समय निकालकर इन बच्चों को पढ़ाकर आगे बढ़ाना है। मिशन दक्ष अभियान की शुरुआत हो गई है।
स्कूल में बिना बताए गायब रहने वाले शिक्षकों के वेतन में कटौती
बिना कोई जानकारी स्कूल से गायब रहने वाले शिक्षकों के वेतन में कटौती की जा रही है। इसके साथ ही इन शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया जा रहा है कि आखिर वो बिना सूचना वे स्कूल क्यों नहीं आ रहे।गांव में पढ़ाना ही होगा
केके पाठक ने कुछ दिन पहले सभी नवनियु्क्त बीपीएससी शिक्षकों से कहा कि आपलोगों ने मेरिट साबित कर दिया है। अब गांव के बच्चों को आगे बढ़ाना होगा। आपलोगों को गांव में ही पढ़ाना होगा, जिन्हें गांव में पढ़ाना पसंद नहीं उनके लिए यह नौकरी नहीं है।
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