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पर्यटकों को लुभा रहा बिहार का ये परफेक्‍ट डेस्टिनेशन, राजगीर की ये तस्‍वीरें देखकर आप भी कहेंगे- वाह

Bihar Tourism पहाड़ियों के बीच प्रकृति की गोद में बसा राजगीर पर्यटकों के लिए खास स्काई ग्नलास ब्रिज से लैस नेचर सफारी वाइल्ड लाइफ जू सफारी घोड़ा कटोरा पहाड़ी झील वैभारगिरी पर्वत पांडू पोखर वेणु वन व आठ सीटर केबिन रोपवे पर्यटकों को करता है रोमांचित

By Shubh Narayan PathakEdited By: Updated: Sat, 21 May 2022 02:25 PM (IST)
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घोड़ा कटोरा पहाड़ी झील में स्थापित भगवान बुद्ध की प्रतिमा व वोटिंग करते लोग। जागरण
विशाल आनंद, बिहारशरीफ (नालंदा)। बिहार में पर्यटन का नाम आते ही नालंदा जिले का राजगीर हर किसी की जुबां पर आ जाता है। पहाड़ियों के बीच प्रकृति की गोद में बसा यह अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। यहां आने वाले पर्यटकों को विश्व का दूसरा और देश का पहला स्काई ग्लास ब्रिज से लैस नेचर सफारी व उत्तर भारत के पहले वाइल्ड लाइफ जू सफारी के अलावा घोड़ा कटोरा, पहाड़ी झील, वैभारगिरी पर्वत, पांडू पोखर, वेणु वन व आठ सीटर केबिन रोपवे राेमांचित करता है। इसके अलावा यहां नालंदा विश्वविद्यालय का नया भवन भी लगभग बनकर तैयार है। स्पोर्ट्स एकेडमी, फिल्म सिटी व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम भी निर्माणाधीन हैं। इनके तैयार हो जाने के बाद राजगीर और खास हो जाएगा।

फोटो परिचय - स्काई ग्लास वाक ब्रिज। जागरण 

स्काई ग्लास ब्रिज का सैर पर्यटकों की पहली पसंद

राजगीर में विश्व के दूसरे व देश के पहले स्काई ग्लास वाक ब्रिज से लैस नेचर सफारी का भ्रमण करना आज हर पर्यटक की पहली पसंद है। इसका उदघाटन 2021 के 26 मार्च को सीएम नीतीश कुमार ने किया था। यह राजगीर की पंच पहाड़ियों के सोनागिरी तथा वैभारगिरि पर्वत की गोद में लगभग 500 हेक्टेयर में फैला है। यहां थ्रिल इवेंट में सस्पेंशन ब्रिज, रोप स्काई जिप लाइन, जिप लाइन साइक्लिंग, राक क्लाइंबिंग करना रोमांच से भरपूर है।

फोटो परिचय - राजगीर का जू सफारी। जागरण 

नेचर सफारी में अनोखा प्राकृतिक अंदाज 

वहीं कैंप एरिया में ट्री हट, बंबू हट, मड हट, वूडन हट, बगीचा, प्राकृतिक झरना, ओपन थियेटर एरिया, सरोवर, आर्चरी यानी तीरंदाजी तथा गन निशानेबाजी, कैफेटेरिया, ग्रास लैंड, बच्चों का मनोरंजन पार्क भी है। नेचर सफारी में घूमना जंगल में मंगल के साथ एक अनोखा प्राकृतिक सैर है। नेचर सफारी 100 फीसद इको फ्रेंडली प्रयोग के साथ बनाया गया है। फिलहाल रोजाना 800 की संख्या में टिकटों की व्यवस्था है।

पांच सफारी गाड़ी से होता है आवागमन 

पांच सफारी गाड़ी से आवागमन होता है। सोन भंडार से जंगल के भीतर आवागमन की दूरी तय करने में लगभग 40 मिनट का समय लगता है। परिसर में विभिन्न इवेंट स्थल जाने के लिए ई-रिक्शा की व्यवस्था है। यह नेचर सफारी जरासंध अखाड़ा से गया जिला स्थित जेठियन जाने वाली मार्ग के बीच है, जो जरासंध अखाड़ा से लगभग आठ किलोमीटर तथा शहर से 10 किलोमीटर दूर है।

85 फीट लंबा व पांच फीट चौड़ा है स्काई ग्लास वाक ब्रिज

एडवेंचर और फैंटेसी के प्रति आकर्षण को ध्यान में रखते हुए इस स्काई ग्लास वाक ब्रिज का निर्माण किया गया है। यह 85 फीट लंबा तथा पांच फीट चौड़ा है। इसके फर्श का इंस्टालेशन केवल पारदर्शी शीशे से किया गया है। शीशा डबल लेयर बुलेट प्रूफ है। एक साथ 25 से 30 लोग खड़े होकर आमने-सामने की दोनों पर्वतीय वादियों व गहरी घाटियों काे देख सकते हैं। यह किसी जादुई कालीन पर खड़े होकर गहरी खाई के ऊपर से उड़ान भरने जैसा एहसास कराता है। नीचे लगभग 250 फीट गहरी खाई का नजारा को आंखों से देखना रोमांच पूर्ण होता है। इस पर कमजोर दिल वाले तथा आठ वर्ष से कम उम्र के बच्चों व चार फीट से नीचे कद वाले पर्यटकों को जाने की अनुमति नहीं है।

थ्रिलर है हिलता-डोलता व कांपता सस्पेंशन ब्रिज

नेचर सफारी में स्काई ग्लास ब्रिज के पास में सस्पेंशन ब्रिज एक थ्रिलर है। इसे वैभारगिरि पर्वत शृंखला के एक से दूसरे छोर तक जोड़ा गया है। यह 330 फीट लंबा और साढ़े चार फीट चौड़ा है। लकड़ी और रोप से बने इस ब्रिज के दोनों ओर लोहे की जाली घेरा हुआ है। यह पुल हिलता-डोलता और कांपता है। जब इस पर लोग चहलकदमी करते हैं, तो यह और भी तेजी से दाएं-बाएं की ओर हिलता है। लोग पुल के साथ-साथ हिलने लगते हैं। इस रोमांच से कई बार लोग डरकर पुल पर बैठ भी जाते हैं।

पक्षियों सा उड़ने का एहसास कराता है जिप लाइन

नेचर सफारी में वैभारगिरी पर्वत शृंखला के बीच एक जिप लाइन भी है। यह 500 मीटर दूर अगली पहाड़ी की छोर तक है। इसमें लोहे की रस्सी पर लाकर बेल्ट से बंधे पर्यटक हवा की सैर करते हैं। 250 फीट गहरी घाटियों और खाई के ऊपर इस पर्वतीय शृंखला को पार करते हैं। जिप लाइन के तीन फेज में बने ए से बी प्वाइंट पर जाना होता है। पुन: बी से सी प्वाइंट तक के बीच हवा की सैर करते पर्यटक उड़ते पक्षियों की तरह महसूस करते हैं।

हवा में 20 फीट की ऊंचाई पर जिप लाइन साइक्लिंग

नेचर सफारी के कैंप एरिया परिसर में जिप लाइन साइक्लिंग का रोमांच भी पर्यटकों को लुभाता है। यह लोहे के रोप से बना है। लंबाई सौ मीटर है। जमीन से 20 फीट ऊपर लोहे के रोप पर साइकिल चलाने के दौरान थ्रिल का एहसास होता है। जिप लाइन साइक्लिंग में सिंगल के साथ अपने पार्टनर के साथ भी डबल सीटर साइकिल का आनंद उठा सकते हैं।

तीरंदाजी व राइफल शूटिंग से निशानेबाजी

नेचर सफारी में आर्चरी यानि तीरंदाजी तथा राइफल शूटिंग रेंज भी बनाया गया है। तीरंदाजी में लगभग दस मीटर दूर लक्ष्य को टारगेट करते हैं। निशाना साधते लोग एकबारगी धनुष-बाण चलाने जैसा महसूस करते हैं। वहीं दूसरी ओर राइफल शूटिंग रेंज में लोग 15 मीटर दूर टारगेट को भेदते हैं। इस क्रम में वे ओलंपिक गेम्स में शामिल होने वाले प्रतिभागी जैसा फील करते हैं। यहां से एक निशानेबाज खिलाड़ी की तरह गर्व से लौटते हैं।

कैंप एरिया में ट्री हट सहित अन्य हट से फार्म हाउस का उठाएं आनंद

नेचर सफारी में घूमने आने वालों के लिए फार्म हाउस में समय बिताने का भी आनंद मिलेगा। उनका खास ख्याल रखा गया है। लोगों के ठहरने के लिए बंबू काटेज, मड काटेज व वूडेन काटेज बनाया गया है। जंगल के वातावरण में लोग अपने फुर्सत के पल बिता सकते हैं। कैंप एरिया में ही ट्री हट हाउस है। यह विशाल पेड़ों पर बना झोपड़ीनुमा घर है। इसके अलावे मड (खपरैल मिट्टी) हट हाउस, बंबू (बांस) हट हाउस व वुडेन (लकड़ी) हट हाउस से भी नेचर सफारी कैंप एरिया को सजाया गया है। यहां तीन सितारा होटल की तरह व्यवस्था है।

191 हेक्टेयर में फैला हुआ है बिहार का इकलौता जू सफारी

सोनागिरी पर्वत की तलहटी में वाइल्ड लाइफ जू सफारी है। यहां शेर-बाघ की दहाड़ इन दिनों गूंज रही है। 191 हेक्टेयर में 176 करोड़ की लागत से बिहार के इकलौता वाइल्ड लाइफ जू सफारी का निर्माण हुआ है। 20.54 हेक्टेयर में शेर सफारी, 20.50 हेक्टेयर में बाघ सफारी, 20.63 हेक्टेयर में तेंदुआ सफारी, 20.60 हेक्टेयर में भालू सफारी, 45.62 हेक्टेयर में क्रमश: हिरण, चित्तल व सांभर सफारी के अलावा 10.74 हेक्टेयर में विश्व के विभिन्न प्रजातियों के चिड़ियों का वर्ड एवियरी तैयार किया गया है।

1992 में बनाये गये 72 हेक्टेयर क्षेत्र का पुराना मृग विहार सह प्रजनन केंद्र भी इसमें समाहित हैं। अभी वर्तमान मे कुल साढ़े तीन सौ से भी अधिक हिरणों का झुंड मौजूद है। यह अभी सूबे का सबसे हॉट टूरिज्म डेस्टिनेशन है। प्रति व्यक्ति इंट्री टिकट 250 रुपए है। अपने साथ कुछ भी खाने पीने की सामग्री व प्लास्टिक ले जाने पर पाबंदी है। बख्तरबंद मिनी बस में हर पार्यटक को पानी की एक बोतल कंप्लीमेंट्री दी जाती है।

वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर के लिए आकर्षण का केंद्र

बीते 16 फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जू सफारी का उद्घाटन किया था। राजगीर का वाइल्ड लाइफ जू सफारी केवल बिहार ही नहीं, बल्कि देशभर के पर्यटकों और वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर के लिए आकर्षण का केंद्र है। रोजाना यहां शेर, बाघ, तेंदुआ व भालू के अलावा हिरण, चीतल और सांभर को देखने पहुंच रहे हैं। पर्यटक सफारी वाहन में बैठकर खुले में घूमते हुए जंगली जानवरों को देखकर रोमांचित हो रहें। जल्द ही बर्ड एवियरी में दुनिया भर की विभिन्न प्रजातियों की चिड़ियां दिखेंगी। वहीं बटरफ्लाई पार्क में अनेक प्रकार की प्रजातियों के तितलियां को भी निहार सकेंगे।‌‌‌‌ 

छह बब्बर शेर व दो बंगाल टाइगर के साथ भालू व तेंदुए

जू सफारी में छह की संख्या में बब्बर शेर हैं। इसमें दो नर व चार मादा हैं। इन शेरों को गुजरात के जूनागढ़ शक्करबाग पार्क से लाया गया है। इसके पहले भी एक शेर को पटना चिड़ियाघर से लाया गया था। जू सफारी में कुल शेरों की संख्या सात है। पटना के चिड़ियाघर से दो रायल बंगाल टाइगर, दो भालू व दो तेंदुए को लाया जा चुका है। अब ओडिशा के कटक से दो जोड़ी तेंदुआ व बाघ लाने की तैयारी है। जू सफारी में बाघ व तेंदुएं की संख्या चार-चार हो गई है। अभी बार्किंग डियर यानी काकड़ प्रजाती के हिरण यहां हैं। सफारी के बने बड़े घेरान में कुल आठ बार्किंग डीयर के अलावा हाग डीयर तथा सांभर भी लाए गए हैं। कुछ प्रजातियों में यहां चीतल व स्पाटेड हिरण मौजूद हैं। यहां बारहसिंगा, खरगोश, वनसुअर, ब्लैक बक व चीतल समेत अन्य शाकाहारी पशुओं को भी रखा जाएगा।

महाभारत, मगध व बौद्ध काल की झलक है घोड़ा कटोरा पहाड़ी झील

राजगीर के घोड़ा  कटोरा पहाड़ी झील बुद्धकालीन मानी गयी है। यह 25 सौ वर्ष पूर्व अस्तित्व में आई। मान्यता है कि इस जगह पर महाभारत काल में सम्राट राजा जरासंध के घोड़े का अस्तबल था। वहीं रत्नागिरी और उदयगिरी सहित अन्य उपपर्वतों के बीच इसका भौगोलिक विहंगम दृश्य प्राकृतिक रूप से पानी के एक कटोरे जैसा दिखता है। इसलिए इस जगह का नाम घोड़ा कटोरा पड़ा। घूमने के लिहाज से यह एक शानदार जगह है। यहां इतनी शांति है कि आप हवा और पानी की कल-कल करती आवाज साफ तौर पर सुन सकते हैं।

नौका विहार के शौकीन हैं तो पहुंचे घोड़ा कटोरा

राजगीर के घोड़ा कटोरा झील की खासियत है कि यहां का पानी मीठा होता है। साथ ही प्रदूषण से भी मुक्त है। अगर आप नौका विहार के शौकीन हैं तो यह जगह आपके लिए ही है। यहां स्वच्छता का काफी ख्याल रखा जाता है। यहां प्रतिमा विसर्जन, दीपदान, कपड़ा साफ करना, जानवरों को नहलाने जैसे कार्यों पर रोक है। यहां की ख़ूबसूरती मानसून आने के बाद और भी ज़्यादा बढ़ जाती है। बारिश के दिनों में यहां पर आने के बाद आप को ऐसा लगेगा मानो आप प्रकृति की गोद में आ गए हों। 

प्रदूषण मुक्त है घोड़ा कटोरा झील, पहुंचने के लिए ई-रिक्शा

घोड़ाकटोरा पहाड़ी झील ईको फ्रेंडली टूरिज्म है‌। इलाके को प्रदूषण मुक्त रखने की सरकार की भरपूर कोशिश है। इसलिए आपको यहां आने के लिए आपको कोई मोटर वाहन नहीं मिलेगा। इ-रिक्शा या टोटो से पहुंच सकते। इक्का-दुक्का टमटम भी चलते हैं। यह इको टूरिज्म का बेहतरीन उदाहरण है। पहले यहां काफी संख्या में टमटम चलते थे। बाद में सरकार ने सभी को ई-रिक्शा दे दिया। वहीं यहां एक ईको पार्क भी बनाया गया है। हरियाली को लेकर झील सहित इसके आसपास के पहाड़ी तराई में हजारों की संख्या में पौधरोपण किया गया था। जो धीरे धीरे पेड़ की शक्ल में बदल रहे हैं। यहां की जलवायु और आबो हवा शीतल है। आन टूरिस्ट सीजन में यहां रोजाना पर्यटकों की संख्या लगभग 500 के करीब होती है।

झील के बीच में है 70 फीट ऊंची भगवान बुद्ध की प्रतिमा

झील के बीच में 70 फीट ऊंची भगवान बुद्ध की धर्म चक्र प्रवर्तक मुद्रा वाली एक विशालकाय प्रतिमा स्थापित की गई है। जो चुनारगढ़ से लाई गई थी। करीब 48 हजार घन फीट के गुलाबी रंग के शिलाखंडों के प्रयोग से प्रतिमा का निर्माण कराया गया है। पर्यटक यहां पहुंचकर भगवान बुद्ध की विशालकाय प्रतिमा के सानिध्य में झील के बीच में वोटिंग करते हुए परम शांति का अनुभव करते हैं। पर्यटकों को बोधगया के बाद अब घोड़ाकटोरा झील मे स्थापित विशालकाय बुद्ध की प्रतिमा लुभा रही है। वहीं बौद्ध सर्किट के रूप में बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए एक नये बौद्ध सर्किट के रूप मे विकसित घोड़ाकटोरा में कई नये आयाम का जुड़ाव हुआ है। घोड़ा कटोरा घूमने के लिए पटना, गया व बिहारशरीफ से रेल, बस तथा निजी वाहनों से राजगीर आ सकते। बस स्टैंड से रोप-वे परिसर पहुंचना होगा। इसके पास स्थित घोड़ा कटोरा प्रवेश द्वार पर खड़ी ई-रिक्शा की सवारी से झील तक पहुंचा जा सकता है।

'युद्ध नहीं बुद्ध' का संदेश देता है विश्व शांति स्तूप

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भगवान बुद्ध के प्रिय निवास स्थल राजगीर से विश्व में शांति स्थापना के लिए ' युद्ध नहीं बुद्ध' का संदेश देने को राजगीर के रत्नागिरी पहाड़ी पर विश्व शांति स्तूप का निर्माण कराया गया था। इसी पहाड़ी के बगल में गृद्ध कूट पहाड़ी के शिखर पर भगवान बुद्ध अपने प्रिय शिष्यों को धर्म व अध्यात्म का उपदेश देते थे। यहीं पर बुद्ध ने लोटस सूत्र व सधर्मा पुंडरिका सूत्र की व्याख्या की थी। विश्व शांति स्तूप से गृद्ध कूट पर्वत का शिखर सीधे दिखता है। यह स्थल बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए अति पवित्र है। बौद्ध धर्म के अनुयायी जापान के धर्म गुरु निचिदात्सो फूजी गुरुजी ने 160 फीट ऊंचे इस स्तूप का निर्माण कराया था। इन्होंने जापान के हिरोशिमा व नागासाकी पर एटम बम का हमला और उसकी विभीषिका अपनी आंखों से देखी थी। इस त्रासदी से ठीक बाद निर्माण शुरू कराया था। 25 अक्टूबर 1969 को यह बनकर तैयार हुआ। जमीन से 1500 मीटर ऊंचाई तक पहुंचने को देश में संभवतः सबसे पहले रज्जू मार्ग (रोप वे) का निर्माण कराया गया। रोप वे से एक व्यक्ति के बैठने योग्य दर्जनों कुर्सियां लटकाई गईं। इसी रोप वे के कारण यह स्थल प्रसिद्ध पर्यटक स्थल बन गया।

पालकी से लें पंच पहाड़ियों पर पर्यटन का आनंद

अगर आप पहाड़ों पर नहीं चढ़ पाते तो फिक्र की जरूरत नहीं। आपके लिए यहां पालकी की व्यवस्था है। इस पर सवार होकर आप राजगीर की पंच पहाड़ियों का सैर कर पाएंगे। पहाड़ी पर सनातन धर्म के मठ-मंदिर और जैन मंदिर हैं। पर्यटकों के लिए यह यात्रा बेहद ही खास होता है। राजगीर की पर्यटन शृंखला में पालकी एक विशेष महत्व रखता है। यह मगध साम्राज्य के सम्राट राजा जरासंध के युग से ही जारी है। फिलहाल पालकीवान पहाड़ों पर नहीं चढ़ पाने वाले व बच्चों को यह सुविधा देते हैं।

राजगीर पहुंचने के लिए ट्रेन व बसों की आसान सुविधा

राजगीर ट्रेन रूट से सीधे दिल्ली व पटना से जुड़ा है। पटना, गया और झारखंड से सड़क के माध्यम से अच्छी कनेक्टिविटी है। आप निजी व पब्लिक दोनों वाहनों से पहुंच सकते। गया से राजगीर के लिए भी डायरेक्ट ट्रेन है। दिल्ली से राजगीर 11 सौ किलोमीटर, पटना से सौ, गया से 190 व बिहारशरीफ से 23 किलोमीटर दूर है। दिल्ली से ट्रेन में स्लीपर का किराया 500 है। पटना से बस का किराया 150 व ट्रेन से 50-60 रुपये है। बिहारशरीफ से राजगीर का सामान्य बसों का किराया 40 रुपये व एसी का 60 रुपये है।

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