बिहार में दो तिहाई किसान केसीसी से वंचित, NPA का बहाना बनाकर बैंक नहीं देते KCC और कृषकों को ऋण
कृषि क्षेत्र में ऋण देने में बैंकों का रवैया प्राय नकारात्मक रहता है। इस कारण किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना के तहत लक्ष्य की तुलना में काफी कम ऋण का वितरण हो रहा। वर्ष 2022-23 में 14.27 लाख केसीसी धारकों को ही ऋण दिए गए। वर्ष 2023-24 में 6.15 लाख किसानों को नया केसीसी देने का लक्ष्य था। उसकी तुलना में मात्र 86 हजार किसानों को ही केसीसी दिए गए।
राज्य ब्यूरो, पटना। कृषि क्षेत्र में ऋण प्रदान करने में बैंकों का रवैया प्राय: नकारात्मक रहता है। इस कारण किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना के तहत लक्ष्य की तुलना में काफी कम ऋण का वितरण हो रहा है।
आंकड़ों और तथ्यों के साथ राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के मुख्य महाप्रबंधक डा. सुनील कुमार ने इसका सटीक विश्लेषण किया है। उनके अनुसार, बिहार में किसानों की संख्या एक करोड़ से अधिक है, जबकि केसीसी धारक मात्र 38.81 लाख हैं।
वर्ष 2022-23 में 14.27 लाख केसीसी धारकों को ही ऋण दिए गए। वर्ष 2023-24 में 6.15 लाख किसानों को नया केसीसी देने का लक्ष्य था। उसकी तुलना में मात्र 86 हजार किसानों को ही केसीसी दिए गए।
घर-घर केसीसी अभियान के तहत प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना से आच्छादित राज्य के 20.23 लाख किसानों को केसीसी देने का लक्ष्य रखा गया था। उसके लिए आठ हजार से अधिक पंचायतों में अभियान चलाया गया। अभियान चलाकर वस्तुत: 3.38 लाख किसानों को नए केसीसी दिलाया जाना था।
इस सारे उपक्रम के बावजूद विभिन्न जिलों से मात्र 2.59 लाख किसानों को ही केसीसी दिया गया। इससे स्पष्ट है कि किसानों को ऋण देने में बैंकों की अभिरुचि कम है, अन्यथा अभियान से निर्धारित लक्ष्य तो अवश्य ही प्राप्त किया जाता। यह स्थिति तब है, जब राज्य की 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है।
लक्ष्य में कमी के बाद भी उपलब्धि संतोषजनक नहीं
बिहार में केसीसी का लक्ष्य वर्ष-प्रति-वर्ष कम होता जा रहा है। पहले केसीसी का लक्ष्य 10 लाख से अधिक का हुआ करता था, जो वित्तीय वर्ष 2021-22 में घटकर 8.75 लाख और 2022-23 में 3.75 लाख हो गया।
हालांकि, वित्तीय वर्ष 2023-24 में इसमें सुधार हुआ। तब 6.15 लाख किसानों को केसीसी देने का लक्ष्य निर्धारित था। उसके विरुद्ध मात्र 86 हजार किसानों को ही केसीसी दिया गया। पिछले दिनों राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने बैंकों की इस प्रवृत्ति पर गहरा क्षोभ प्रकट किया था।
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