बिहार में UGC का बड़ा एक्शन, 5 विश्वविद्यालयों को घोषित किया डिफॉल्टर; 3 सरकारी यूनिवर्सिटी भी शामिल
यूजीसी की ओर से देशभर के सभी विश्वविद्यालयों को लोकपाल की नियुक्ति करने को लेकर कई बार स्मारित भी किया गया लेकिन इनकी नियुक्ति नहीं होने के बाद यूजीसी ने अपनी डिफॉल्टर सूची जारी की। यूजीसी की ओर से डिफॉल्टर की सूची जारी होते ही इन विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति की कार्रवाई तेजी से आरंभ कर दी गई है।
जागरण संवाददाता, पटना। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों में लोकपाल नियुक्त नहीं करने वाले विश्वविद्यालयों की सूची जारी की है। इस डिफॉल्टर सूची में देशभर के 157 विश्वविद्यालय को शामिल किया गया है। इसमें 108 स्टेट यूनिवर्सिटी, 47 प्राइवेट विश्वविद्यालय तथा दो डीम्ड विश्वविद्यालय शामिल है।
बिहार में तीन सरकारी तथा दो निजी विश्वविद्यालय को इस सूची में शामिल किया गया है। सरकारी विश्वविद्यालयों में बिहार इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय, पटना, बिहार चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय पटना एवं तिलका मांझी विश्वविद्यालय भागलपुर शामिल है।
निजी विश्वविद्यालयों में अल करीम विश्वविद्यालय, कटिहार और माता गुजरी विश्वविद्यालय किशनगंज शामिल है। विश्वविद्यालयों में छात्रों की समस्या सुनने के लिए लोकपाल की नियुक्ति करना अनिवार्य होता है। यह छात्रों की शिकायतों का निवारण करता है।
यूजीसी की ओर से देशभर के सभी विश्वविद्यालयों को लोकपाल की नियुक्ति करने को लेकर कई बार स्मारित भी किया गया, लेकिन इनकी नियुक्ति नहीं होने के बाद यूजीसी ने अपनी डिफॉल्टर सूची जारी की। यूजीसी की ओर से डिफॉल्टर की सूची जारी होते ही इन विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति की कार्रवाई तेजी से आरंभ कर दी गई है।
यूजीसी ने किया स्पष्ट, जिम्मेवारी समझें विश्वविद्यालय
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति करने का निर्देश दिया गया है। इसमें विश्वविद्यालयों को शत-प्रतिशत लोकपाल की नियुक्ति करनी है। यह लोकपाल छात्र-छात्राओं की समस्याओं को संज्ञान लेकर उनके समाधान का उपाय सुझाएगा। इसके लिए विश्वविद्यालयों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति लोकपाल में किए जाने के प्राविधान किए गए हैं।यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को स्पष्ट किया है कि वह अपनी विद्यार्थियों के प्रति जिम्मेवारी समझें और अविलंब लोकपाल की नियुक्ति कर यूजीसी को सूचित करें। छात्रों की समस्या को लेकर विश्वविद्यालयों का यह रवैया सही नहीं है।
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