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उजियारपुर लोकसभा सीट: जाति का गणित तय करेगा जीत, सेंधमारी पर टिकी उम्मीद

Ujiarpur Lok Sabha Seat कहते हैं उजियारपुर में जीत का रास्ता मोहिउद्दीननगर के धमौन से होकर जाता है। यह यादवों का सबसे बड़ा गांव है। पांच पंचायतों के इस गांव में करीब 67 हजार वोटर हैं जिनमें 70 प्रतिशत यादव हैं। इसी गांव में निरंजन स्वामी मंदिर भी है जिसमें लोगों की अटूट आस्था है। इसी मंदिर के ठीक सामने मिठाई की दुकान पर चुनावी गपशप जारी है।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 09 May 2024 02:13 PM (IST)
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उजियारपुर लोकसभा सीट: जाति का गणित तय करेगा जीत, सेंधमारी पर टिकी उम्मीद
कुमार रजत, उजियारपुर। उजियारपुर राजग का गढ़ रहा है मगर इस बार मुकाबला आसान नहीं दिख रहा। एक ओर भाजपा के टिकट पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय हैं, जिन्हें अमित शाह ने अपना जिगरी दोस्त बताया है, तो दूसरी ओर राजद के टिकट पर महागठबंधन सरकार में मंत्री रहे आलोक कुमार मेहता हैं।

नित्यानंद के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है, वहीं आलोक मेहता 2009 और 14 में लगातार दो हार के बाद इस बार जीत की चाबी ढूंढ रहे। दोनों नेताओं की जातियां यहां निर्णायक की भूमिका में हैं।

पासवान और मल्लाह भी बड़ी संख्या में हैं। ऐसे में जातीय गोलबंदी तेज है।

जाति इस कदर हावी है कि पप्पू यादव को टिकट न देने से यादव वोटर महागठबंधन को खरी-खोटी सुना रहे तो कुशवाहा जाति से एक भी उम्मीदवार न उतारने पर भाजपा समर्थक कुशवाहा भी नाखुश हैं। दोनों गठबंधनों का मुख्य दावा भी यादव-कुशवाहा वोट बैंक पर है।

आलोक राजद का हवाला देकर तो नित्यानंद राय खुद यादव होने के नाते इसको अपने साथ मान रहे। कुशवाहा वोट के लिए भी राजग ने सम्राट चौधरी, उपेंद्र कुशवाहा के साथ कई स्थानीय कुशवाहा नेताओं को मैदान में उतारा है। जो दूसरे के आधार वोटबैंक में सेंधमारी में जितना सफल होगा, उसकी जीत उतनी ही आसान होगी। जनता भी अंतिम समय तक माहौल को भांप रही है।

उजियारपुर लोकसभा सीट

परिसीमन आयोग की सिफारिश पर 2008 में उजियारपुर सीट का गठन हुआ था। उजियारपुर सीट वैशाली के पातेपुर और समस्तीपुर के उजियारपुर, मोरवा, सरायरंजन, मोहिउद्दीनगर और विभूतिपूर विधानसभा क्षेत्र को जोड़कर बनाया गया है। फिलहाल छह में तीन-तीन सीटें राजग और महागठबंधन के पास हैं। आलोक मेहता खुद उजियारपुर से विधायक हैं।

बड़ा सवाल, किस करवट बैठेगा धमौन

कहते हैं, उजियारपुर में जीत का रास्ता मोहिउद्दीननगर के धमौन से होकर जाता है। यह यादवों का सबसे बड़ा गांव है। पांच पंचायतों के इस गांव में करीब 67 हजार वोटर हैं, जिनमें 70 प्रतिशत यादव हैं। इसी गांव में निरंजन स्वामी मंदिर भी है, जिसमें लोगों की अटूट आस्था है। इसी मंदिर के ठीक सामने मिठाई की दुकान पर चुनावी गपशप जारी है।

धमौन गांव का अहम रोल

सत्यनारायण साह और रामप्रवेश राय कहते हैं, जिधर धमौन गिरता है (वोट देता है), उधर ही जीत होती है। इस बार बदलाव की हवा ज्यादा है। शिकायतें सुनाते हैं कि अस्पताल के लिए सात किमी दूर पटोरी जाना पड़ता है। आइटीआइ भी नहीं है। नहर भर गई है, खुदाई नहीं होने से बारिश में जलनिकासी नहीं होती।

निरंजन मंदिर से थोड़ी दूर आगे धमौन के ही इनायतपुर में पूर्व मुखिया अभिमन्यु प्रसाद राय मिल जाते हैं। कहते हैं, विकास के नाम पर वोट होगा, नित्यानंद राय हैट्रिक लगाएंगे। पटोरी से बुलगानी चौक तक सड़क बनी है। अस्पताल भी चुनाव बाद बन जाएगा। पास बैठे संजय यादव, अनिरुद्ध राय, धनंजय स्थानीय कुशवाहा और मल्लाह नेताओं का हवाला देते हुए कहते हैं, यादव और कुशवाहा दोनों का समर्थन भाजपा के साथ है। सहनी भाई लोग भी साथ हैं। जीत का अंतर और बढ़ेगा।

सरायरंजन में सड़क किनारे महिलाएं मकई के सूखे दाने निकालती दिखती हैं। वोट देने के बारे में पूछें तो चेहरे पर बस मुस्कान तैर जाती है। पास बैठीं वृद्ध सितिया देवी कहती हैं, 400 रुपया पेंशन में गुजारा नहीं होता। नरेश सहनी कहते हैं, सड़क-पानी सब है मगर दस साल बहुत होता है। अब नया को मौका देना है।

युवा आदित्य भीड़ देख बाइक रोक देते हैं। पूछने पर कहते हैं, मुकाबला जोरदार है। विधायक विजय चौधरी के कारण भाजपा को इस इलाके से थोड़ा सपोर्ट मिलेगा। मोरवा में सड़क बनाने का काम जारी है। राजो राम कहते हैं, अभी फड़फड़ाहट ज्यादा है। अंदर क्या है, ये चुनाव के दिन पता चलेगा। जिधर माहौल रहेगा, उधरे जाना है।

उजियारपुर के वार्ड संख्या 10 में रामपुर एकशिला के पास रामकलित ठाकुर मिलते हैं। कहते हैं, हम रोज 20 गांव घूमते हैं। इस बार कमल की हालत गड़बड़ है। कुशवाहा महागठबंधन के साथ एकजुट है। जीवेश साह कहते हैं, लहर किसी का नहीं है। जनता अभी मन बना रही। उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतिम छोर पर विभूतिपुर है। यहां कभी नरहन स्टेट था अब बस खंडहर बचा है।

दुकानदार रोहित कुमार की शिकायत है कि जीत के बाद सांसद तो छोड़िए सांसद प्रतिनिधि तक नहीं दिखे। शिवचंद्र राम कहते हैं, अस्पताल में डॉक्टर नहीं हैं, रायपट्टी वार्ड आठ में सड़क जर्जर है। जनता सड़क नहीं, जाति देखेगी तो क्या होगा।

हैट्रिक जीत की कोशिश में नित्यानंद

उजियारपुर में हुए तीन लोकसभा चुनाव में हर बार राजग को जीत मिली है। पहली बार जदयू की अश्वमेध देवी ने आलोक मेहता को हराकर सीट जीती। इसके बाद दो बार भाजपा से नित्यानंद राय चुनाव जीत रहे हैं।

नित्यानंद राय ने 2014 में राजद के आलोक मेहता को जबकि 2019 में उपेंद्र कुशवाहा को हराकर सीट जीती। पिछली बार नित्यानंद राय को 56.11 प्रतिशत वोट मिले और दोगुने वोटों के अंतर से चुनाव जीता।

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