Upendra Kushwaha: NDA ने उपेंद्र कुशवाहा के लिए क्या सोच रखा है? सियासी गलियारों में नई चर्चाओं ने पकड़ा जोर
पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को काराकाट सीट से हार का सामना करना पड़ा है। वह एनडीए प्रत्याशी के रूप में इस सीट से उतरे थे। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि एनडीए ने उनके लिए क्या सोच रखा है? दरअसल सियासी गलियारों में इन दिनों जो चर्चाएं चल रही हैं उसने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रखा है।
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Politics News Hindi जातियों के जोड़ तोड़ से चल रही राज्य की राजनीति में इस समय कुशवाहा की पूछ बढ़ गई है। अति पिछड़े की तरह कुशवाहा भी राजनीति के केंद्र में आ गए। लोकसभा चुनाव में महागठबंधन ने सात कुशवाहा उम्मीदवार उतारा। जीत तो दो की ही हुई, लेकिन इसने पहले से चल रहे जातियों के समीकरण को उलट-पलट कर रख दिया।
राजद ने सांसद अभय कुशवाहा को संसदीय दल का नेता बनाकर एनडीए पर और दबाव बढ़ा दिया है। अब एनडीए भरपाई की कोशिश में है। क्योंकि 2005 से विधानसभा के पिछले चुनाव तक यही माना जा रहा था कि कुशवाहा एकमुश्त एनडीए के साथ हैं।
एनडीए इस बात से परेशान है कि लोकसभा की तरह 2025 के विधानसभा चुनाव में भी कुशवाहा वोटरों ने बेरूखी दिखाई तो क्या होगा? जाति आधारित गणना में कुशवाहा की आबादी छह प्रतिशत से अधिक बताई गई है।
भरपाई के लिए एनडीए ने उठाया पहला कदम
यह आबादी राजद (RJD) के माय समीकरण से जुड़ जाती है तो एनडीए को भारी नुकसान होगा। भरपाई के लिए एनडीए (NDA) का पहला कदम उठ चुका है।राज्यसभा की दो और विधान परिषद की एक सीट रिक्त है। ये तीनों एनडीए के खाते में जा रही हैं। इनमें एक राज्यसभा और एक विधान परिषद सीट पर कुशवाहा उम्मीदवार हो सकते हैं।
वैसे एनडीए से कुशवाहा की दूरी 2020 के विधानसभा चुनाव के समय ही नजर आ गई थी। तब उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की रालोसपा, महागठबंधन के साथ थी। 2020 में 16 कुशवाहा विधायक बने, जिनमें नौ महागठबंधन के दलों के थे।
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