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Upendra Kushwaha: NDA ने उपेंद्र कुशवाहा के लिए क्या सोच रखा है? सियासी गलियारों में नई चर्चाओं ने पकड़ा जोर

पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को काराकाट सीट से हार का सामना करना पड़ा है। वह एनडीए प्रत्याशी के रूप में इस सीट से उतरे थे। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि एनडीए ने उनके लिए क्या सोच रखा है? दरअसल सियासी गलियारों में इन दिनों जो चर्चाएं चल रही हैं उसने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रखा है।

By Arun Ashesh Edited By: Mukul Kumar Published: Tue, 25 Jun 2024 02:12 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jun 2024 02:12 PM (IST)
उपेन्द्र कुशवाहा के लिए क्या है एनडीए का प्लान?

राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Politics News Hindi जातियों के जोड़ तोड़ से चल रही राज्य की राजनीति में इस समय कुशवाहा की पूछ बढ़ गई है। अति पिछड़े की तरह कुशवाहा भी राजनीति के केंद्र में आ गए। लोकसभा चुनाव में महागठबंधन ने सात कुशवाहा उम्मीदवार उतारा। जीत तो दो की ही हुई, लेकिन इसने पहले से चल रहे जातियों के समीकरण को उलट-पलट कर रख दिया।

राजद ने सांसद अभय कुशवाहा को संसदीय दल का नेता बनाकर एनडीए पर और दबाव बढ़ा दिया है। अब एनडीए भरपाई की कोशिश में है। क्योंकि 2005 से विधानसभा के पिछले चुनाव तक यही माना जा रहा था कि कुशवाहा एकमुश्त एनडीए के साथ हैं।

एनडीए इस बात से परेशान है कि लोकसभा की तरह 2025 के विधानसभा चुनाव में भी कुशवाहा वोटरों ने बेरूखी दिखाई तो क्या होगा? जाति आधारित गणना में कुशवाहा की आबादी छह प्रतिशत से अधिक बताई गई है।

भरपाई के लिए एनडीए ने उठाया पहला कदम

यह आबादी राजद (RJD) के माय समीकरण से जुड़ जाती है तो एनडीए को भारी नुकसान होगा। भरपाई के लिए एनडीए (NDA) का पहला कदम उठ चुका है।

राज्यसभा की दो और विधान परिषद की एक सीट रिक्त है। ये तीनों एनडीए के खाते में जा रही हैं। इनमें एक राज्यसभा और एक विधान परिषद सीट पर कुशवाहा उम्मीदवार हो सकते हैं।

वैसे एनडीए से कुशवाहा की दूरी 2020 के विधानसभा चुनाव के समय ही नजर आ गई थी। तब उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की रालोसपा, महागठबंधन के साथ थी। 2020 में 16 कुशवाहा विधायक बने, जिनमें नौ महागठबंधन के दलों के थे।

भाजपा ने सम्राट चौधरी को नेतृत्वकारी टीम में शामिल किया

Bihar News एनडीए के घटक दलों-भाजपा (BJP) और जदयू (JDU) के क्रमश: चार और तीन विधायक जीते। उसके बाद एनडीए नेतृत्व ने भरपाई का प्रयास किया। उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से जुड़े। जदयू ने उन्हें विधान परिषद में भेजा। भाजपा ने सम्राट चौधरी को नेतृत्वकारी टीम में शामिल किया।

बारी-बारी से वे विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष, प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री बनाए गए। उपेंद्र जदयू से अलग हो गए। राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के नाम से नई पार्टी बनाई। एनडीए के घटक बने। लोकसभा चुनाव में काराकाट में उपेंद्र की की हार का कारण भाजपा से जुड़े रहे अभिनेता पवन सिंह को बताया गया।

पवन निर्दलीय लड़े और राजद विरोधी वोटों के दम पर उन्हें दूसरा स्थान मिला। भाजपा को अहसास था, कि उपेंद्र की हार का लांक्षण उसी पर लगेगा। भाजपा के बड़े बड़े नेता प्रचार के लिए काराकाट गए। लोकसभा में हार के बावजूद उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए की बैठक में बुलाया गया। अब उन्हें राज्यसभा भेजने की चर्चा हो रही है।

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