Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड के सुरंग में फंसे 40 मजदूरों में 4 बिहार के भी शामिल, लिस्ट में भोजपुर और बांका जिले के व्यक्ति का नाम
दिवाली के दिन यानी कि 12 नवंबर को उतराखंड के उत्तरकाशी में टनल हादसे ने देश भर में सनसनी फैला दी। इस हादसे में 40 मजदूर फंस गए हैं। इनमें से चार बिहार के लोग भी शामिल हैं। सरकार की तरफ से जारी लिस्ट के मुताबिक फंसे हुए एक मजदूर का नाम विरेन्द्र किसकू है। जो मूल रूप से बिहार में कटोरिया के तेतरिया गांव का रहने वाला है।
डिजिटल डेस्क, पटना। दिवाली के दिन उत्तरखंड के टनल हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर रविवार को एक निर्माणाधीन सुरंग के ढह जाने के कारण सुरंग में 40 मजदूर फंस गए हैं। बताया जा रहा है कि सुरंग में फंसे हुए मजदूरों में बिहार के चार श्रमिक भी शामिल हैं।
सुरंग में फंसे हैं बिहार के यह लोग
बिहार के तीन मजदूरों की पहचान सोनू शाह, सुशील कुमार और वीरेन्द्र किसकू के रूप में हुई है। सरकार की तरफ से जारी लिस्ट के मुताबिक, सोनू शाह मूल रूप से बिहर में साहनी गांव का रहने वाला है। वह स्वालीया शाह का पुत्र है।
वहीं, दूसरा मजदूर सुशील कुमार मूल रूप से चंदनपुर गांव का निवासी है। उसके पिता का नाम राजदेव विश्वाकर्मा बताया जा रहा है।
इसके अलावा, तीसरे मजदूर की पहचान वीरेन्द्र किसकू के रूप में हुई है। जो मूल रूप से बिहार में कटोरिया के तेतरिया गांव का रहने वाला है। यह गांव बिहार के बांका जिले में स्थित है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार, तीनों मजदूर सुरक्षित हैं।
वहीं, सुरंग में फंसे हुए मजदूरों में सबाह अहमद का भी नाम है। जो मूल रूप से बिहार के भोजपुर जिले के पेउर गांव के निवासी हैं। उनके पिता का नाम मिस्बाह अहमद है।
पाइप के जरिए ऑक्सीजन देने का काम
टनल में फंसे सभी 40 लोगों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। बचाव अधिकारी पानी और खाद्य सामग्री भेज रहे हैं। बिहार के यह तीन श्रमिक भी उन 40 सदस्यीय श्रमिकों का हिस्सा थे, जो सुरंग को बनाने के कार्य में लगे थे।
सुरंग के अंदर फंसे अन्य श्रमिक ज्यादातर झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं। सुरंग का निर्माण उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्कियारा को डंडालगांव से जोड़ने के लिए किया जा रहा है।
यह चार धाम सड़क परियोजना के तहत बनाया जा रहा है और इसका उद्देश्य उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम की यात्रा को 26 किमी कम करना है।
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