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'माउंटेन मैन' पर प्रभु मेहरबान ...दशरथ मांझी के गांव तक रेल लाइन बिछाएगी सरकार

बिहार के गया स्थित माउंटेन मैन दशरथ मांझी के गांव तक केंद्र सरकार रेल का विस्तार करेगी। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इसके संकेत दिए हैं।

By Amit AlokEdited By: Updated: Thu, 01 Sep 2016 07:55 PM (IST)
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'माउंटेन मैन' पर प्रभु मेहरबान ...दशरथ मांझी के गांव तक रेल लाइन बिछाएगी सरकार

पटना [जेएनएन]। पहाड़ काटकर सड़क बनाने वाले दशरथ मांझी के गांव तक रेल लाइन बिछेगी। स्टेशन बनेगा। नाम हो सकता है दशरथ मांझी स्टेशन। रेल मंत्री सुरेश प्रभु 'माउंटेन मैन' के गांव गया जिले के गहलौर तक रेल का विस्तार चाहते हैं। मीडिया में खबर आई कि एक कार्यक्रम में रेल मंत्री ने घोषणा की है कि वे देखेंगे कि क्या वहां तक रेल लाइन बिछाई जा सकती है।

रेल मंत्री ने की घोषणा

नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में रेल मंत्री ने कहा कि वह मांझी के गांव तक रेल लाइन बिछाने के लिए अधिकारियों से बात करेंगे। उन्होंने कहा कि गहलौर के स्टेशन का नाम बाबा दशरथ मांझी के नाम पर होगा।

'अक्षर संसार फाउंडेशन' द्वारा आयोजित 'मगध महोत्सव' में शिरकत करने पहुंचे सुरेश प्रभु ने खुद को बिहारी बताते हुए कहा कि बिहार के लोगों के साथ उनकी भावनाएं जुड़ी हैं। प्रभु ने कहा कि जल्द ही रेलवे लाइन के लिए सर्वे किया जाएगा। कार्यक्रम में गया के सांसद हरि मांझी व जहानाबाद के सांसद अरुण कुमार भी उपस्थित थे।

टिकट के पैसे नहीं थे, तो टीटी ने उतार दिया था

दशरथ मांझी का रेलवे से थोड़ा अलग तरह का नाता रहा है। पहाड़ काटने के पहले दशरथ दिल्ली चले गए थे पैदल। कुछ लोग कहते हैं कि इंदिरा गांधी से मिलकर गुहार लगाना चाहते थे। कुछ लोग कहते हैं कि वे शिकायत करने गए थे। कुछ लोग इसे जिद से जोड़ते हैं। टिकट के पैसे नहीं थे। टीटी ने ट्रेन से उतार दिया। मांझी ने गया से रेल लाइन पकड़ी और किनारे-किनारे चलते-चलते दिल्ली पहुंच गए। हालांकि, दिल्ली में इंदिरा गांधी से उनकी मुलाकात नहीं हुई थी। इसके पहले गया दौरे पर आईं इंदिरा गांधी से भी दशरथ ने पहाड़ को काटकर रास्ता बनाने की गुहार लगाने की असफल कोशिश की थी। वह पहाड़ उनका दुश्मन था। दुनिया से उन्हें तोड़ता-रोकता था। उसे चीरकर रास्ता बनाना चाहते थे। बाद में दशरथ ने खुद ही पहाड़ काटकर राह निकाल ली।

80 किलोमीटर का रास्ता दो का हो गया

दशरथ मांझी को समझने के लिए कुछ संख्या पर गौर करें। उनके गांव गहलौर की जरूरत की हर छोटी बड़ी चीज वजीरपुर के बाजार में मिलती थी। पहाड़ ने वजीरपुर और गहलौर के बीच का रास्ता रोक रखा था। 80 किलोमीटर लंबा रास्ता तय करके वजीरपुर तक पहुंचना पड़ता था। दशरथ मांझी ने राह निकाली, तो यह दूरी को महज 2 किलोमीटर हो गई।

22 साल छेनी और हथौड़ी लेकर अकेले ही जुटे रहे दशरथ मांझी। तभी तो रेल मंत्री प्रभु ने उन्हें भगीरथ कहा है। अभी उनके गांव का सबसे नजदीकी स्टेशन जैतियां है। आठ किलोमीटर दूर है गहलौर से। अब भगीरथ यानी दशरथ यानी माउंटेन मैन के गांव ट्रेन चलेगी। दशरथ होते तो बहुत खुश होते।

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