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Vishwakarma Puja 2022: चार शुभ योग में आज की जा रही देवशिल्‍पी की पूजा, क्‍या है सर्वोत्‍तम समय

Vishwakarma Puja 2022 सुबह 7.39 से 9.11 बजे दोपहर 1.48 से 3.20 तक और दोपहर 3.20 से शाम 4.52 तक शुभ समय। सर्वार्थ सिद्धि द्विपुष्कर रवि और अमृत सिद्धि योग बनने से पूजा का मिलेगा विशेष फल। जगह-जगह हो रहा पूजा का आयोजन

By Vyas ChandraEdited By: Updated: Sat, 17 Sep 2022 07:19 AM (IST)
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देवताओं के शिल्‍पी भगवान विश्‍वकर्मा की प्रतिमा। जागरण

पटना, जागरण संवाददाता। Vishwakarma Puja 2022: पौराणिक काल के पहले इंजीनियर और वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा की जयंती आज मनाई जा रही है।  माना जाता है कि इस दिन औजारों, मशीनों, दुकानों, कारखानों, गैराज, वर्कशाप, कुटीर व लघु इकाइयों में भगवान विश्‍वकर्मा की पूजा और हवन करने से कारोबार में वृद्धि होती है। पंडित विनय शास्त्री ने बताया कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानी शनिवार को पूजा के लिए तीन शुभ समय और सर्वार्थ सिद्धि समेत चार योग बन रहे हैं। इस दौरान पूजा करने का विशेष फल प्राप्त होगा।

पूजा का शुभ मुहूर्त

शनिवार को ही सूर्य कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं इसलिए विश्‍वकर्मा पूजा के साथ कन्या संक्रांति भी है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग और द्विपुष्कर योग बनने से शनिवार को विश्‍वकर्मा बहुत फलदायी होगी। पूजा का पहला मुहूर्त सुबह 7.39 से 9.11 बजे तक रहेगा। दूसरा शुभ समय दोपहर 1.48 से 3.20 बजे तक और तीसरा दोपहर 3.20 बजे से शाम 4.52 बजे तक रहेगा। इसके अलावा सुबह 6.07 मिनट से दोपहर 12.21 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इसके बाद दोपहर 12.21 से 2.14 बजे तक द्विपुष्कर योग, सुबह 6.07 बजे से 12.21 बजे दोपहर तक रवि योग रहेगा। इसके अलावा सुबह 6.06 बजे से दोपहर 12.21 बजे तक अमृत सिद्धि योग भी रहेगा।

ऐसे करें देवशिल्‍पी की पूजा

पूजा के दिन आफिस, दुकान, वर्कशाप, फैक्ट्री आदि की साफ-सफाई करनी चाहिए। सभी कर्मियों को भी अपने औजारों या सामान की पूजा करनी चाहिए। इसके पश्चात पूजा स्थल पर कलश व भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित की जानी चाहिए। पूजा के दौरान भगवान विष्णु का ध्यान करना उत्तम माना जाता है। पुष्प, अक्षत लेकर मंत्र पढ़ें और चारों ओर अक्षत छिड़कें। इसके बाद हाथ में और सभी मशीनों पर रक्षासूत्र बांधने के बाद भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करते हुए दीप जलाकर उन्हें ऋतुफल, मिष्ठान, पंचमेवा आदि का भोग लगाएं और पुष्प व सुपारी अर्पित करें। पूजा के बाद भगवान विश्वकर्मा की आरती करें। ऐसा करने से व्यापार में तरक्की के साथ कर्मचारियों में नई ऊर्जा का संचार व्यापार में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

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