Bihar Politics: महागठबंधन की मजबूती या अंदरूनी खींचतान? वोटर अधिकार यात्रा बनी विपक्ष के लिए कसौटी
बिहार में महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा एक महत्वपूर्ण पहल है जिसका नेतृत्व राहुल गांधी और तेजस्वी यादव कर रहे हैं। इसका उद्देश्य मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर सवाल उठाना लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता जताना और आगामी चुनावों की तैयारी करना है। यह यात्रा महागठबंधन की एकजुटता और उम्मीदवारों की जमीनी पकड़ की भी परीक्षा है।
सुनील राज, पटना। बिहार की राजनीति में महागठबंधन के लिए इस समय वोटर अधिकार यात्रा सबसे अहम पहल बन चुकी है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी इस यात्रा को संयुक्त रूप से नेतृत्व दे रहे हैं।
इस यात्रा का सबसे पहला मकसद मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की प्रक्रिया पर सवाल खड़े करना है। इसके अलावा यह बताना भी है कि विपक्षी दल न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं, बल्कि रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय के सवालों पर भी गंभीरता से साथ-साथ खड़े भी हैं।
विश्लेषक भी मानते हैं कि यात्रा सिर्फ प्रचार अभियान भर नहीं है, बल्कि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों की पृष्ठभूमि तैयार करने का प्रभावशाली जरिया भी है। विशेष बात यह है कि यात्रा महागठबंधन के सहयोगी दलों-कांग्रेस, राजद, वामपंथी पार्टियों के साथ विकासशील इंसान पार्टी जैसे दलों-की एकजुटता की भी परीक्षा भी ले रही है।
हालांकि यात्रा की अपनी चुनौती भी है। कई जगहों पर महागठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे और क्षेत्रीय समीकरणों को लेकर नाराजगी आम रही है। कांग्रेस मौके-बे-मौके यह बात कहती भी रही है। ऐसे में यह यात्रा को कार्यकर्ताओं और नेताओं को एक मंच पर लाने का प्रयास भी कहा जा सकता है।
एक पहलू यह भी है कि मतदाता भी मौन नहीं। जिन मतदाताओं ने बीते चुनावों में सीटों को लेकर इन दलों में खींचतान देखी है, वे यह परख रहे हैं कि क्या वास्तव में इन दलों के बीच तालमेल में जमीनी स्तर पर मजबूत हुआ है जितना ये मंच से दिखाने के प्रयास कर रहे हैं या फिर सीट बंटवारे वक्त फिर ये अपने-अपने खोल और अपने-अपने खेल में नजर आने वाले हैं।
यात्रा का बिहार की राजनीति में प्रभाव
एक आकलन के मुताबिक यात्रा का सर्वाधिक और सीधा असर वैसे क्षेत्रों में पड़ेगा जहां से महागठबंधन के प्रत्याशी मैदान में होंगे। राहुल-तेजस्वी अपनी यात्रा के दौरान अपने भावी प्रत्याशी की ताकत का आकलन भी कर रहे हैं। उनके कार्यो पर भी संवाद के जरिये लोगों की राय जानने के इनके अपने ही प्रयास हो रहे हैं।
लोकसभा और विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष द्वय राहुल गांधी और और तेजस्वी की साझा मौजूदगी अपनी यात्रा के जरिये यह मैसेज देने के प्रयास करते दिखते हैं कि महागठबंधन एकजुट है और भाजपा-एनडीए को चुनौती देने को तैयार भी, परंतु यह एकजुटता तभी वास्तविक ताकत बनेगी, जब स्थानीय उम्मीदवारों की पकड़ जनता के बीच मजबूत होगी।
कुल मिलाकर यात्रा महागठबंधन के लिए एक निर्णायक परीक्षा साबित होने वाली है। जहां न केवल महागठबंधन की मजबूती परखी जा रही है वरन प्रत्याशी की जमीनी पकड़ और जनता से उनके सीधे रिश्ते भी तौले जा रहे हैं।
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