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Lok Sabha Election 2024 : बिहार में तीसरे कोण ने चुनाव के अंतिम चरण को बनाया रोचक, इन 3 सीटों पर टिकी सबकी नजरें

Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में बिहार की आठ सीटों पर वोटिंग होगी। इसमें काराकाट जहानाबाद और बक्सर पर सबसे अधिक नजरें हैं। तीसरे कोण ने अंतिम चरण को रोचक बना दिया है। यह तीसरा कोण जीतने की क्षमता भले ही न रखता हो लेकिन हार में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। अंतिम चरण में सबसे रोचक लड़ाई काराकाट में दिख रही।

By Rajat Kumar Edited By: Arijita Sen Updated: Thu, 30 May 2024 09:29 AM (IST)
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बिहार में अंतिम चरण के मतदान पर टिकी सबकी नजर
कुमार रजत, पटना। Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में बिहार की आठ सीटों पर होने वाले मतदान को तीसरे कोण ने रोमांचक बना दिया है। इसमें काराकाट, जहानाबाद और बक्सर पर सबसे अधिक नजरें हैं।

यह तीसरा कोण जीतने की क्षमता रखता हो या नहीं, मगर हराने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। ऐसे में वोटों की सेंधमारी रोकना बड़ी चुनौती है। यही कारण है कि अंतिम समय तक राजग और महागठबंधन के उम्मीदवार पूरी ताकत लगाकर चुनाव प्रचार में जुटे हैं।

काराकाट में दिख रही सबसे रोचक लड़ाई

अंतिम चरण में सबसे रोचक लड़ाई काराकाट में दिख रही। राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के उपेंद्र कुशवाहा यहां राजग उम्मीदवार हैं, जिनका मुकाबला महागठबंधन के राजा राम सिंह कुशवाहा (भाकपा माले ) से है। दोनों कुशवाहा नेताओं के बीच भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह की निर्दलीय उम्मीदवारी सुर्खियां बटोर रही हैं।

पवन सिंह और उनके समर्थन में चुनाव प्रचार के लिए आने वाले भोजपुरी सितारों को देखने-सुनने बड़ी भीड़ आ रही है। यह भीड़ वोट में कितना बदल पाती है, यह देखने वाली बात होगी।

इसकी काट के लिए दोनों गठबंधनों की ओर से प्रमुख स्टार प्रचारकों के साथ विशेष तौर पर राजपूत समाज के नेताओं को काराकाट में उतारा गया है। पिछली बार काराकाट में जीत का अंतर महज 84 हजार वोट का था, ऐसे में निर्दलीय उम्मीदवार को मिलने वाला वोट निर्णायक हो सकता है।

जहानाबाद में पुराने दावेदार, पिछली बार 1751 वोट का था अंतर

जहानाबाद में इस साल भी पुराने उम्मीदवारों के बीच ही मुकाबला दिख रहा है। जदयू से चंदेश्वर प्रसाद और राजद से सुरेंद्र प्रसाद यादव हैं, तो बसपा के हाथी पर सवार डा. अरुण कुमार तीसरा कोण बना रहे।

अरुण कुमार पिछली बार भी मैदान में थे और 34 हजार 558 वोट ही ला पाए थे मगर यह वोट इसलिए निर्णायक साबित हुए क्योंकि यहां जीत-हार का अंतर महज 1751 मतों का था। जदयू के चंदेश्वर प्रसाद तीन लाख 35 हजार 584 वोट पाकर विजयी हुए थे तो सुरेंद्र यादव तीन लाख 33 हजार 833 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे।

बक्सर में निर्दलियों से वोट बचाना चुनौती

बक्सर में भी निर्दलियों ने दोनों गठबंधनों के उम्मीदवारों की धुक-धुकी बढ़ाई हुई है। यहां भाजपा ने पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी को तो राजद ने पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह को मैदान में उतारा है।

मुख्य लड़ाई भी इन्हीं दोनों के बीच दिख रही मगर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पूर्व विधायक ददन यादव और पूर्व आइपीएस आनंद मिश्रा की मौजूदगी वोटों में सेंध लगा रही।

ददन यादव राजद तो आनंद मिश्रा राजग के वोट में ज्यादा सेंधमारी लगा रहे। विशेषज्ञों के अनुसार, इस सेंधमारी को अधिक से अधिक रोकने वाला ही जीत का सफर आसानी से तय कर पाएगा।

यूपी से सटे इलाकों में बसपा की सेंधमारी

उत्तरप्रदेश से सटे बिहार के इलाकों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार भी वोट की सेंधमारी करते रहे हैं। खासकर आरा, बक्सर, सासाराम और काराकाट में बसपा उम्मीदवार वोट काटते हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा के उम्मीदवार बक्सर और सासाराम में तीसरे स्थान पर रहे थे। बक्सर में बसपा को करीब 80 हजार जबकि सासाराम में 86 हजार मत मिले थे। वहीं आरा और काराकाट में बसपा प्रत्याशी को चौथा स्थान मिला था। दोनों ही जगहों पर तीसरे स्थान पर नोटा रहा था।

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