PM Awas Yojana: बिहार में प्रधानमंत्री आवास की वेटिंग लिस्ट पहुंची 13.50 लाख पार, कब मिलेगा सपनों का घर?
बिहार में प्रधानमंत्री आवास योजना की वेटिंग लिस्ट 13.50 लाख को पार कर गई है। वहीं बिहार को तीन वर्ष से नए लक्ष्य का इंतजार है। हैरानी की बात तो यह है कि गिरिराज सिंह के केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहते हुए भी बिहार को इस योजना से खास नहीं मिला। वहीं अब चालू वित्तीय वर्ष में बिहार को केंद्र सरकार से तीन लाख आवास मिलने की उम्मीद है।
रमण शुक्ला, पटना। प्रधानमंत्री आवास योजना के दावेदारों की संख्या वर्ष दर वर्ष बढ़ते हुए 13.50 लाख से अधिक पहुंच गई है। प्रतीक्षा सूची (PM Awas Yojana Waiting List Bihar) बढ़ने के पीछे अहम कारण केंद्र सरकार की ओर से पिछले तीन वित्तीय वर्ष से बिहार को कोई लक्ष्य नहीं मिलना है। इसमें वित्तीय वर्ष 2022-23 एवं 2023-2024 के साथ ही चालू वित्तीय वर्ष यानि 2024-2025 भी सम्मिलित है।
यह स्थिति तब जबकि लंबे समय तक केंद्र सरकार में बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह थे। इसके बावजूद केंद्र सरकार बिहार के गरीबों की अनदेखी करता रहा। अब स्थिति बदल गई है। ऐसे उम्मीद है कि चालू वित्तीय वर्ष में बिहार को केंद्र सरकार ढाई से तीन लाख आवास स्वीकृत कर देगा।
श्रवण कुमार ने की शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात
इस संदर्भ में बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने गत दिनों केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर कम से कम छह लाख प्रधानमंत्री आवास देने की मांग की है। वहीं, महत्वपूर्ण यह भी है कि बिहार में वित्तीय वर्ष 2018-19 के बाद एससी-एसटी परिवारों का सर्वेक्षण भी नहीं कराया गया है।
ऐसे में राज्य सरकार को पांच वर्ष के दौरान नए एससी-एसटी परिवार भी बनने का अनुमान है। इसे ध्यान में रखते हुए भी राज्य सरकार ने केंद्र से एससी-एसटी परिवारों का सर्वेक्षण कराने की अनुमति मांगी है।
ग्रामीण विकास विभाग के उच्चाधिकारियों के अनुसार, प्रतीक्षा सूची लंबी होने की पीछे वजह कई हैं। पहला कारण 22 महीने तक बिहार के सत्ता से भाजपा बाहर होना था। दूसरा कारण लगभग 50 हजार आवास का उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित है। जबकि तीसरा कारण फंड की कमी है।
50 हजार आवास का लंबित है यूसी
वर्तमान में लगभग 50 हजार प्रधानमंत्री आवास का उपयोगिता प्रमाण लंबित है। इस वजह से केंद्र सरकार नया लक्ष्य देने में हीलाहवाली कर रही है। इधर, बिहार सरकार के सामने उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजने के पीछे परेशानी यह है कि सैकड़ों की संख्या ऐसे आवंटी जिनका आवास अपूर्ण रह गया। अब उनके परिवार में कोई उत्तराधिकारी नहीं है।
दूसरा कारण यह है कि कुछ लाभार्थी ऐसे हैं जो पहला किस्त लेकर आवास नहीं बनाया। अब वह वास स्थल पर नहीं हैं। गांव छोड़कर दूसरे प्रदेशों में रोजगार की तलाश गए हुए हैं।
तीसरा कारण यह है कि हजारों की संख्या में ऐसे लाभार्थी है जो बाढ़ या आपादा प्रभावित हैं। ऐसे लाभार्थियों ने पहली या दूसरी किस्त तक राशि लेने के बाद आवास पूर्ण नहीं किया। अब तीसरी किस्त की राशि देने में पूर्व स्थल पर आवास नहीं है। इस वजह से तय प्रविधान के अनुसार तीसरी किस्त भुगतान में परेशानी हो रही है।
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