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KK Pathak: केके पाठक को पद से हटाना मुश्किल क्यों? बर्खास्त करने का अधिकार किसके पास, जानिए कानून

KK Pathak News Today बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के नाम भर से शिक्षक दहशत में आ जाते हैं। केके पाठक का असर सिर्फ शिक्षकों पर ही नहीं बल्कि नेताओं पर भी दिख रहा है। बिहार के 15 एमएलसी केके पाठक को हटाने के लिए राज्यपाल के पास पहुंच गए थे। उन्होंने राज्यपाल से केके पाठक की शिकायत की थी।

By Jagran News Edited By: Sanjeev KumarUpdated: Fri, 12 Jan 2024 08:47 AM (IST)
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केके पाठक को पद से हटाना मुश्किल (जागरण)
डिजिटल डेस्क, पटना। KK Pathak News in Hindi: बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक इन दिनों शिक्षकों के साथ-साथ नेताओं के लिए परेशानियों का सबब बने हुए हैं। शिक्षकों ने जहां निलंबन के डर से सही समय पर आना शुरू कर दिया है वहीं नेताओं को वोट बैंक की चिंता पड़ी है। कहीं केके पाठक की सख्ति उनके वोट बैंक को न बिगाड़ दे।

हाल में ही केके पाठक (kk pathak) को उनके पद से हटाने के लिए बिहार विधान परिषद के 15 सदस्यों ने मंगलवार को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को ज्ञापन सौंपा था। अब सवाल उठता है कि आखिर केके पाठक को पद से कौन हटा सकता है?

केके पाठक (kk pathak) को बर्खास्त करने में इन एमएलसी का जोर चलेगा या राज्यपाल उन्हें अपने पावर से उन्हें हटा सकते हैं। तो चलिए जानते हैं क्या कहता है कानून?

केके पाठक को कैसे पद से हटाया जा सकता है?

बता दें कि केके पाठक (kk pathak) को हटाने के लिए इन एमएलसी का कुछ नहीं चलेगा। केके पाठक को हटाना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अधिकार क्षेत्र में भी नहीं है। नीतीश कुमार को किसी भी IAS को केवल सस्पेंड करने का अधिकार है या ट्रांसफर करने का अधिकार है। वह किसी आईएएस को नहीं हटा सकते हैं।

राज्यपाल के पास भी आईएएस को हटाने या सस्पेंड करने का भी अधिकार नहीं है। हालांकि, राज्यपाल मामले पर संज्ञान ले सकते हैं और राज्य सरकार से निलंबन का कारण पूछ सकते हैं।

आईएएस को हटाने का अधिकार राष्ट्रपति के पास

बता दें कि एक IAS अधिकारी को राष्ट्रपति नियुक्त करता है। केंद्र सरकार उसे भारतीय गजट में नोटिफाय करती है, इसलिए ये उच्च अधिकारी या गजेटेड अधिकारी भी कहलाते हैं। यानी कि राष्ट्रपति के अलावा इन्हें कोई नहीं हटा सकता है। हालांकि, आईएएस की गलती की जांच के बाद आरोप साबित होने पर ही निलंबित या बर्खास्त किया जा सकता है।

हालांकि, इस दौरान उस आईएएस को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाता है। अगर वह अपने पक्ष को सही तरीके से रख देता है तो फिर उसे पद पर बने रहने से कोई नहीं रोक सकता है। वहीं अगर वह दोषी पाया जाता है तो राज्य सरकार पहले निलंबित करती है फिर जांच का आदेश देती है।

जांच में दोषी पाए जाने पर केंद्र सरकार और लोक सेवा आयोग को रिपोर्ट भेजी जाती है। फिर केंद्र सरकार इस रिपोर्ट को राष्ट्रपति के पास भेजती है। फिर राष्ट्रपति अपने विवेक से फैसला लेता है।

वरिष्ठ अधिकारियों को हटाना और भी मुश्किल

बता दें कि केके पाठक एक वरिष्ठ अधिकारी हैं। ऐसे में उन्हें हटाने के लिए उन्हें किसी भी मामले में दोषी साबित करना होगा। लेकिन दोषी साबित कर देने भर से नहीं होगा बल्कि कई कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा। इसके बाद ही केंद्र सरकार राष्ट्रपति के पास मामले को भेजती है।

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