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Bihar News: सवर्णों और पिछड़ा वर्ग में कौन ज्यादा खर्च करता है? शिक्षा के मामले में अगड़े परिवार आगे

World Bank Report विश्व बैंक का आकलन है कि गांवों में बसने वाले सवर्ण अगर प्रति माह औसत 664 रुपये व्यय कर रहे तो पिछड़ा वर्ग 630 रुपये। अनुसूचित जाति के खर्च की क्षमता 600 रुपये है तो अनुसूचित जनजाति की 580 रुपये। इस खर्च का सीधा संबंध शिक्षा और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर से है। अगड़े परिवारों के 85 प्रतिशत प्रमुख सदस्य शिक्षित हैं।

By Edited By: Sanjeev KumarUpdated: Thu, 09 Nov 2023 11:25 AM (IST)
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जाति आधारित गणना की सर्वे रिपोर्ट (जागरण)

विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। खर्च के पैमाने पर ग्रामीण बिहार के अगड़े-पिछड़े में कोई विशेष अंतर नहीं है। जातिगत विकास के दृष्टिकोण से यह विश्व बैंक का अध्ययन है। सरकारी आंकड़ों के अध्ययन पर आधारित यह रिपोर्ट जाति आधारित गणना के संदर्भ में प्रासंगिक हो गई है। विश्व बैंक का आकलन है कि गांवों में बसने वाले सवर्ण अगर प्रति माह औसत 664 रुपये व्यय कर रहे तो पिछड़ा वर्ग 630 रुपये। अनुसूचित जाति के खर्च की क्षमता 600 रुपये है तो अनुसूचित जनजाति की 580 रुपये।

वस्तुत: इस खर्च का सीधा संबंध शिक्षा और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर से है। अगड़े परिवारों के लगभग 85 प्रतिशत प्रमुख सदस्य शिक्षित हैं, जबकि पिछड़ा वर्ग में 59.4 प्रतिशत। तुलनात्मक रूप से पिछड़ा वर्ग में कुशल श्रमिकों की संख्या भी कम पाई गई।

इस कारण उनकी आय अपेक्षाकृत कम रही, जिससे वे अगड़ों की तुलना में 5.12 प्रतिशत कम खर्च कर पा रहे। पिछड़ा वर्ग में अगर यादवों में खर्च करने की क्षमता अधिक है तो वे वर्ग विशेष में तुलनात्मक रूप से अधिक शिक्षित भी हैं।अनुसूचित जाति में अपेक्षाकृत कम शिक्षित मुसहर खर्च में भी पिछड़े हुए हैं। सवर्णों में ब्राह्मण व राजपूत के बीच खर्च में तीन रुपये के अंतर का कारण भी यही है।

उप जातियों में खर्च की हैसियत

विश्व बैंक के अध्ययन का सर्वाधिक उल्लेखनीय पक्ष उप-जातियों के खर्च की हैसियत है। अनुसूचित जाति में सर्वाधिक 639.55 रुपये पासी खर्च कर रहे। डोम उनके कुछ कम (634.6 रुपये) और सबसे कम 560.9 रुपये मुसहर।

दुसाध यानी पासवान वर्ग के लोग मासिक रूप से औसत 601.8 रुपये खर्च की क्षमता रखते हैं। पिछड़ा वर्ग में यादवों की तुलना में कुर्मी 36.90 रुपये अधिक खर्च करने में सक्षम हैं। यादवों के औसत खर्च की सीमा प्रति माह 603 रुपये है।

कोईरी समाज भी कम खर्च कर रहे

कोईरी यानी कुशवाहा समाज की इससे भी कम हैं। वे 574.14 रुपये खर्च कर रहे। अति पिछड़ा वर्ग में केवट तो कुशवाहा से 2.37 रुपये अधिक खर्च करने की हैसियत वाले हैं। मल्लाह औसतन 615.59 और नट 653.77 रुपये मासिक खर्च की स्थिति में पाए गए। मुसलमानों में शेरशाहबादी की तुलना में अंसारी समाज आठ रुपये कम खर्च कर पा रहा। शेरशाहबादी 649 रुपये के खर्च पर स्थिर हैं।

जाति व वर्ग : औसत मासिक खर्च : शिक्षित मुखिया वाले परिवार

सवर्ण :              ₹664.01                          84.9%

पिछड़ा वर्ग          ₹629.36                        59.4%

अति पिछड़ा वर्ग    ₹612.84                     49.6%

अनुसूचित जाति  ₹600.29                       36.8%

मुसलमान            657.88 :                     52.7%

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