पटना एयरपोर्ट दिल्ली-मुंबई जैसा क्यों नहीं हो सकता? हाईकोर्ट ने हवाईअड्डा निदेशक से पूछा सवाल
पटना हाईकोर्ट ने पूछा कि पटना हवाईअड्डा को दिल्ली-मुंबई हवाईअड्डे के जैसे क्यों नहीं बनाया जा सकता! हवाईअड्डा के निदेशक ने कहा कि यहां लैंडिंग की काफी समस्या है। सामान्य रूप से रनवे की लंबाई नौ हजार फीट होती हैं लेकिन पटना हवाईअड्डा का रनवे केवल 68 सौ फीट है।
By Akshay PandeyEdited By: Updated: Fri, 01 Apr 2022 02:28 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, पटना : पटना हाई कोर्ट ने राज्य के विभिन्न हवाईअड्डों के निर्माण, विस्तार एवं नवीनीकरण से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई की। पूछा कि पटना हवाईअड्डा को दिल्ली-मुंबई हवाईअड्डे के जैसे क्यों नहीं बनाया जा सकता! मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ के समक्ष पटना स्थित जयप्रकाश नारायण हवाईअड्डा के निदेशक ने हाई कोर्ट में स्वयं उपस्थित होकर पटना और राज्य के अन्य हवाईअड्डों की स्थिति के संबंध में जानकारी दी। खंडपीठ ने निदेशक से पूछा कि पटना हवाईअड्डा को मुंबई या दिल्ली जैसे बड़े शहरों के हवाईअड्डे जैसा क्यों नहीं बनाया और विकसित किया जा सकता? इस पर पटना हवाईअड्डा के निदेशक ने कहा कि यहां लैंडिंग की काफी समस्या है। सामान्य रूप से रनवे की लंबाई नौ हजार फीट होती हैं, लेकिन पटना हवाईअड्डा का रनवे केवल 68 सौ फीट है। इसकी एक ओर रेलवे लाइन है तो दूसरी ओर सचिवालय। ऐसी भौगोलिक स्थिति के कारण यहां श्रेणी-1 के उपकरण लगाना संभव नहीं है। रनवे की लंबाई बढ़ाने के लिए सर्वे शुरू होगा।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को जानकारी देने को कहा कि पड़ोसी राज्यों झारखंड, बंगाल, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और पूर्वोत्तर के राज्यों में कितने हवाईअड्डा हैं। कोर्ट को राज्य के गया, पूर्णिया एवं अन्य हवाईअड्डों के विस्तार, विकास और भूमि अधिग्रहण से संबंधित समस्याओं के बारे में बताया गया। खंडपीठ ने महाधिवक्ता से कहा कि गया हवाईअड्डा के विस्तार के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए 268 करोड़ रुपये कोर्ट में जमा करा दें। सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय के बाद उसका निबटारा होगा। महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इसके लिए राज्य सरकार से निर्देश की जरूरत होगी। अधिवक्ता अर्चना शाही ने कोर्ट को बताया कि संबंधित केंद्रीय मंत्री ने राज्यसभा में बताया कि पटना हवाईअड्डा के विस्तार और विकास के लिए 1260 करोड़ रुपये निर्गत किए गए, लेकिन अब तक उसका 32 प्रतिशत ही खर्च किया गया है। अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।