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Chirag Paswan: मोदी-शाह के लिए चिराग पासवान क्यों जरूरी? प्रशांत किशोर ने बता दी NDA की 'इनसाइड स्टोरी'

चिराग पासवान और एनडीए के बीच सीटों को लेकर डील फाइनल हो गई है। किसी भी वक्त सीटों की जानकारी सार्वजनिक कर दी जाएगी। इस बीच लोगों के मन में सवाल है कि बिहार में एनडीए पशुपति पारस की जगह चिराग पासवान को इतना तवज्जो क्यों दे रही है? इसका जवाब अब जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने दिया है।

By Rajat Mourya Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 15 Mar 2024 03:38 PM (IST)
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मोदी-शाह के लिए चिराग पासवान क्यों जरूरी? प्रशांत किशोर ने बता दी NDA की 'इनसाइड स्टोरी'
डिजिटल डेस्क, पटना। Prashant Kishor On Chirag Paswan लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की एनडीए में डील पक्की हो गई है। खबरें हैं कि उनकी पार्टी को लोकसभा चुनाव में 4 सीटें मिल सकती हैं। खुद चिराग पासवान हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं, उनके चाचा पशुपति पारस को एनडीए में इतनी तवज्जो नहीं मिल रही है। इस सबके बीच जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने ये बताया कि चिराग पासवान एनडीए के लिए क्यों जरूरी हैं?

प्रशांत किशोर ने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जिस भाजपा को आप लोग इतना ताकतवर समझते हैं, वो असल में सच्चाई नहीं है। अगर आप मोदी-अमित शाह को गहराई से और करीब से देखना समझना चाहते हैं तो आपको पता लगेगा कि जहां पर कुछ लोग या राजनीतिक दल इनके खिलाफ खड़े होकर मजबूती से चुनाव लड़े और इनको हरा दिया, तो वहां पर कभी इनकी हिम्मत नहीं हुई कि फिर से खड़ा होकर चुनाव लड़ जाए।

'इनको हारने से बहुत डर लगता है'

प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि बिहार वो भूमि है, जहां 2015 में अमित शाह और मोदी ने खूब सारे प्रयास किए, मगर फिर भी सफलता नहीं मिली और हार का सामना पड़ा। अब क्योंकि इनको हारने से बड़ा डर लगता है कि इसलिए ऐसे गठबंधन करते हैं।

प्रशांत किशोर ने बताया कि कहीं ना कहीं भाजपा की लीडरशिप को ये डर है कि बिहार की जो राजनीतिक पृष्ठभूमि है, यहां का सोशल फैब्रिक है, यहां समाजवाद की जड़ें गहरी हैं। भाजपा में इतना दम नहीं है कि अकेले मोदी के स्लोगन पर बिहार को जीत लें, इसलिए वो ऐसे गठबंधन करते हैं।

प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार और अमित शाह का भी जिक्र किया। वो बोले, अमित शाह ने कहा था कि नीतीश कुमार को वापस नहीं लिया जाएगा, इनके लिए बीजेपी के दरवाजे बंद हैं, लेकिन उन्होंने फिर भी नीतीश को वापस ले लिया। इसकी वजह ये है कि बिहार को जीतना बीजेपी के लिए आसान नहीं है, इसलिए चिराग-उपेंद्र और मांझी को वो साथ लेकर चलना चाहते हैं।

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