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Rohini Acharya: 'रोहिणी आचार्य के साथ क्यों घूम रहे थे...', भोला यादव का नाम लेकर RJD पर भड़की जदयू

नीरज ने राजद से यह पूछा है कि क्या यह सही नहीं है कि चुनाव आयोग के निर्देशों के मुताबिक जो लोग संबंधित लोकसभा क्षेत्र के वोटर नहीं होते हैं उन्हें मतदान के एक दिन पहले उस लोकसभा क्षेत्र को छोड़ना है जहां वह घूम रहे होते हैं? ऐसे में लालू प्रसाद के राजनीतिक सिपहसालार भोला यादव किस हैसियत से हिणी आचार्य के साथ मतदान केंद्रों पर घूम रहे थे।

By BHUWANESHWAR VATSYAYAN Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 21 May 2024 08:09 PM (IST)
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'रोहिणी आचार्य के साथ क्यों घूम रहे थे...', भोला यादव का नाम लेकर RJD पर भड़की जदयू
राज्य ब्यूरो, पटना। जदयू विधान पार्षद व पार्टी के मुख्य प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार ने राजद से यह जवाब मांगा है कि छपरा में राजद की प्रत्याशी रोहिणी आचार्य के साथ पार्टी के नेता भोला यादव किस हैसियत से मतदान केंद्रों पर घूम रहे थे?

नीरज ने राजद से यह पूछा है कि क्या यह सही नहीं है कि चुनाव आयोग के निर्देशों के मुताबिक जो लोग संबंधित लोकसभा क्षेत्र के वोटर नहीं होते हैं उन्हें मतदान के एक दिन पहले उस लोकसभा क्षेत्र को छोड़ना है जहां वह घूम रहे होते हैं? ऐसे में लालू प्रसाद के राजनीतिक सिपहसालार भोला यादव किस हैसियत से राजद प्रत्याशी रोहिणी आचार्य के साथ मतदान केंद्रों पर घूम रहे थे।

नीरज कुमार ने पूछा, क्या मतदान केंद्रों पर पहुंचने के दौरान रोहिणी आचार्य की गाड़ी की वीडियो फुटेज की जांच नहीं होनी चाहिए? नीरज ने यह मांग की है कि छपरा में हुई हिंसा के संदर्भ में लालू प्रसाद व उनके परिवार के लोग तथा राजद के चुनाव प्रबंधन में जुटे लोगों के मोबाइल नंबर के सीडीआर की जांच होनी चाहिए।

हिंसा के जरिए चुनाव को प्रभावित करना राजद की पुरानी प्रवृत्ति: उमेश

जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने मंगलवार को कहा कि हिंसा के जरिए चुनाव को प्रभावित करना राजद की पुरानी प्रवृत्ति रही है। छपरा में चुनावी हिंसा की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह इस बात का संकेत है कि लालू प्रसाद और उनका परिवार बिहार में पुन: जंगलराज की वापसी चाहता है।

जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हार के भय से विपक्ष के लोग अपना आपा खो चुके हैं। इसका नतीजा है कि अब ये लोग उत्पात और तांडव मचाने पर उतर आए हैं। हिंसा के जरिए चुनाव को प्रभावित करना राजद की पुरानी परंपरा रही है। लालू-राबड़ी की सरकार में चुनावी हिंसा आम बात हुआ करती थी। पर 2005 में नीतीश सरकार आने के बाद बिहार में हिंसा का दौर पूरी तरह से समाप्त हुआ।

उन्होंने कहा कि छपरा की घटना के बाद बिहार की जनता के सामने राजद का चेहरा फिर से बेनकाब हुआ है। राजद के लोग जनता को डरा और धमका कर चुनावी लाभ लेना चाहते हैं। अशांति और उपद्रव फैलाने वालों को बिहार की जनता कभी स्वीकार और माफ नहीं करेगी।

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