Nirbhaya Case EXCLUSIVE: अक्षय की पत्नी चाहती निर्भया को मिले न्याय, पर उसका घर भी रहे सलामत
दिल्ली के निर्भया कांड में दोषी अक्षय की फांसी की सजा पर पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद उसके बिहार स्थित घर में सन्नाटा पसरा है। पढ़ें उसके स्वजनों से बातचीत पर आधारित खबर।
By Amit AlokEdited By: Updated: Fri, 20 Dec 2019 10:04 PM (IST)
औरंगाबाद [जागरण टीम]। Nirbhaya Case EXCLUSIVE: दिल्ली के निर्भया कांड में दोषी अक्षय कुमार सिंह उर्फ अक्षय ठाकुर की फांसी की सजा पर पुनर्विचार याचिका बुधवार को उच्चतम न्यायालय से खारिज हो गई। इसके बाद औरंगाबाद जिले के टंडवा थाना क्षेत्र अंतर्गत लहंगकर्मा गांव स्थित उसके घर में मातमी सन्नाटा छा गया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मां मालती देवी व पत्नी पुनीता देवी फफक रो रही थीं। पत्नी पुनीता ने कहा कि निर्भया को जरूर न्याय मिले, पर किसी का घर भी नहीं उजड़े। स्वजनों ने एक स्वर से कहा कि निर्भया कांड से वे दुखी हैं, पर फांसी से सहमत नहीं।
पत्नी बोली, पति ने संगत में गलत कार्य कियापुनीता ने कहा, हम भी भारत की बेटी हैं और हमें भी जीने का हक है। मेरे पति गलत नहीं थे, संगत में पड़कर गलत कार्य किया। अगर किसी नेता या अधिकारी के बेटे होते तो फांसी नहीं होती। कहा, हम न्याय की लड़ाई आगे भी लड़ेंगे। न्यायालय से अभी भी उम्मीद है।
अक्षय को एक सात वर्ष का पुत्र है। अगर उसे फांसी होती है तो उसके बेटे के सिर से पिता का साया उठ जाएगा। पत्नी को अपने व बेटे के भविष्य की चिंता खाए जा रही है। उसने कहा कि निर्भया को जरूर न्याय मिले, पर उनका घर भी नहीं उजड़े। पुलिस ने तीन दिन थाने में रखकर की थी पिटाई
अक्षय के भाई विनय सिंह ने कहा, निर्भया के परिजनों को न्याय मिलना चाहिए, पर फांसी विकल्प नहीं। विनय ने रोते हुए कहा कि वे साथ में दिल्ली में रहते थे। एक कंपनी में कार्य करते थे। इसी बीच यह घटना हुई। उन्होंने बताया कि घटना में अक्षय के साथ विनय शर्मा नामक व्यक्ति का नाम भी आया था। पुलिस ने हमें विनय समझकर घर से उठा लिया और तीन दिनों तक थाने में रखकर पिटाई की। किसी से मिलने नहीं दिया।
कंपनी ने नौकरी से निकाला, सड़क पर आ गए कहने लगे- घटना के बाद कंपनी ने मेरे साथ भाई अभय सिंह को भी निकाल दिया। हम लोग सड़क पर आ गए। घर पर जमीन नहीं है। किसी तरह दिल्ली में रहकर कार्य करते थे। परंतु घटना के बाद से गांव में रहकर मजदूरी कर रहे हैं। अक्षय की फांसी की सजा के फैसले के बाद से बेचैन रहते हैं। उसकी पत्नी व बच्चे की परवरिश कौन करेगा, यह चिंता सताती रहती है।
गांव वालों को विश्वास नहीं होता, किया ऐसा काम अक्षय के गांव के लोगों को विश्वास ही नहीं होता कि उसने ऐसा काम कर दिया है। रामनगर पंचायत की मुखिया मालती देवी व ग्रामीण प्रभु सिंह बताते हैं कि अक्षय गांव का सबसे सीधा लड़का था। वह शर्मीले स्वभाव का था। हम लोगों को विश्वास ही नहीं होता कि वह कैसे इस घटना में शामिल रहा।
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