I.N.D.I.A गठबंधन के घोषणा पत्र को देख बिफरी ममता बनर्जी! लालू-नीतीश पर मनाने की जिम्मेदारी
आईएनडीआईए के घोषणा पत्र में बिहार में हाल ही में हुई जाति आधारित गणना को भी हिस्सा बनाए जाने पर लगभग सहमति बन चुकी है लेकिन तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी इस बात पर सहमत नहीं नजर आ रही है। अब गठबंधन के दिग्गज नेता उन्हें तथ्यों के साथ उनसे बात करेंगे। राजद-जदयू ने इस विषय को आईएनडीआईए की समन्वय समिति की पहली बैठक में आगे किया था।
By BHUWANESHWAR VATSYAYANEdited By: Deepti MishraUpdated: Thu, 14 Sep 2023 08:55 PM (IST)
भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना: बिहार में संपन्न जाति आधारित गणना को आईएनडीआईए के घोषणा पत्र का हिस्सा बनाए जाने पर लगभग सहमति हो चुकी है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी को मनाने के लिए गठबंधन के दिग्गज तथ्यों के साथ उनसे बात करेंगे।
राजद और जदयू ने इस विषय को आईएनडीआईए (I.N.D.I.A) की समन्वय समिति की पहली बैठक में आगे किया था। इस वजह से संभव है कि जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार और राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव इस बारे में ममता को पूरी स्थिति से अवगत कराएंगे।
ममता विरोध में नहीं आएंगी
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना है, पश्चिम बंगाल की सामाजिक संरचना इस तरह की है कि वहां तृणमूल हो या फिर सीपीएम सभी दल के उच्च पदों पर अगड़ी जाति के लोग लंबी अवधि से रहे हैं। ऐसे में जाति आधारित गणना से तृणमूल को हिचक हो रही होगी, लेकिन यह मामला राज्य का नहीं है। आईएनडीआईए इसे अपने एजेंडा के रूप में ले रहा।उन्होंने उम्मीद जताई कि दिग्गजों से बातचीत के बाद ममता इस मुद्दे का विरोध नहीं करेंगी। डीएमके भी इसके लिए तैयार है। ओडिशा की स्थिति यह है कि वहां 85 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति व जनजाति लोगों की है।
NDA के घटक दलों में भी जाति आधारित गणना
जदयू का कहना है कि आईएनडीआईए में तो इस मुद्दे पर सर्वानुमति की स्थिति है। वहीं एनडीए के घटक दल तो शुरू से ही इस मुद्दे के समर्थन में रहे हैं। रामविलास पासवान खुलकर इसके पक्ष में बोलते थे। लोजपा के दोनों दल इसके पक्ष में है। जीतन राम मांझी इसके समर्थन में हैं। उत्तर प्रदेश व झारखंड सहित महाराष्ट्र में अजित पवार जाति आधारित गणना के पक्ष में बोल रहे।आईएनडीआईए ने क्या बनाई रणनीति?
आईएनडीआईए जाति आधारित गणना को आईएनडीआईए का मुद्दा तय करने के बाद अब इसे मसले पर भाजपा को तीव्रता के साथ अपने निशाने पर रखेगा। अभी तक जदयू और राजद द्वारा ही यह कहा जा रहा कि केंद्र की सरकार जाति आधारित गणना के खिलाफ है।यह हमला उस समय और तेज हो गया, जब अटॉर्नी जनरल ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले में हस्तक्षेप कर कोर्ट में अपनी बात कही।
जदयू ने तो इस कृत्य पर भाजपा के खिलाफ पोल-खोल अभियान तक चलाया। राजद ने यह कहा कि केंद्र का असली चेहरा सामने आ गया है। जाति आधारित गणना को रुकवाने का काम ज्वालामुखी के विस्फोट को प्रेरित करने जैसा है।
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