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महिला आरक्षण बिल पर विवादों में आ गए थे शरद यादव, 'परकटी' पर मांगनी पड़ी थी माफी; लालू ने भी जताया था एतराज

महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश होते ही है दिवगंत नेता शरद यादव (Sharad Yadav) और राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बयान चर्चा में आ गए हैं। क्‍या आप जानते हैं कि महिला आरक्षण विधेयक का विरोध करते हुए शरद यादव ने लोकसभा में जहर खाने की धमकी दे डाली थी। हालांकि बाद में महिलाओं को लेकर दिए गए बयान के लिए उन्‍हें माफी भी मांगनी पड़ी थी।

By Jagran NewsEdited By: Deepti MishraUpdated: Tue, 19 Sep 2023 05:57 PM (IST)
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महिला आरक्षण विधेयक पेश होने के बाद चर्चा में आ गए शरद यादव और लालू के बयान।

 जागरण डिजिटल डेस्‍क, पटना: Women reservation Bill Update: संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किया, जिसका सत्‍ता पक्ष और विपक्ष दोनों की महिला नेताओं ने स्‍वागत किया है। इस बीच दिवगंत नेता शरद यादव (Sharad Yadav) और राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बयान चर्चा में आ गए हैं, जिनके लिए उन्‍हें बाद में माफी भी मांगनी पड़ी थी।

दरअसल, बात साल 1996 की है, उस वक्‍त केंद्र में एचडी देवेगौड़ा की सरकार थी, तब पहली बार संसद में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया था। इसके बाद बिल को संसदीय समिति के पास भेज दिया गया था।

इसके करीब एक साल बाद 16 मई 1997 को लोकसभा में विधेयक पर चर्चा हुई, तब शरद यादव, लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह ने इस बिल का विरोध किया था।

सुसाइड की दे डाली थी धमकी

महिला आरक्षण के विरोध में बोलते हुए वह खासा नाराज हो गए और उन्‍होंने यहां तक कह दिया था कि अगर दलित-पिछड़ों को आरक्षण दिए बिना इसे पास किया गया तो वह जहर खाकर अपनी जान दे देंगे। शरद यादव उस समय बिहार के मधेपुरा से जदयू के सांसद थे।

शरद यादव ने कहा था, ''कौन महिला है, कौन नही है...केवल बाल कटी महिला भर नहीं रहने देंगे।'' दरअसल, यह शरद यादव का तर्क था कि अगर महिला आरक्षण विधेयक पास हो गया तो छोटे बाल (पर कटी) वाली आधुनिक सोच की महिलाओं को विशेष बल मिलेगा और वे विधायिका पर हावी हो जाएंगी।

क्‍यों शरद यादव को मांगनी पड़ी थी माफी

शरद यादव ने विधेयक का विरोध करते हुए पूछा था कि इस बिल के जरिए क्‍या आप लोग परकटी महिलाओं की संसद में एंट्री कराना चाहते हैं? परकटी महिलाएं भला ग्रामीण महिलाओं का प्रतिनिधत्‍व कैसे करेंगी? उस वक्‍त परकटी यानी छोटे बाल वाली महिलाओं को लेकर शरद यादव के भाषण पर काफी विवाद हुआ था। आखिरकार शरद यादव को माफी मांगनी पड़ी थी।

बता दें कि उस वक्‍त जो पार्टियां इस विधेयक के विरोध में थीं, उनका कहना था कि इससे सवर्ण जाति की महिलाओं को विशेषाधिकार मिल जाएगा।

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लालू ने राजनीतिक भूल करार दिया था

साल 2010 में राजद सुप्रीमो लालू यादव (RJD Chief Lalu prasad Yadav) ने महिला आरक्षण विधेयक को 'राजनीतिक भूल' और 'ध्‍यान भटकाने' वाली राजनीति करार दिया था। लालू यादव नेकहा था कि वह पूरी ताकत से इसका विरोध करेंगे। फिर चाहे उन्‍हें मार्शल सदन से बाहर ही क्‍यों न करे दें।

विधेयक का समर्थन करने के लिए नीतीश कुमार की आलोचना भी की थी। लालू का आरोप था कि नीतीश भाजपा को खुश करने के लिए विधेयक का समर्थन कर रहे हैं।

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इससे, पहले लालू प्रसाद यादव ने साल 1998 में कहा कि इससे समाज में गंभीर खतरे पैदा हो जाएंगे। वहीं साल 1999 में जब दोबारा पेश किया गया, तब लालू ने महिला आरक्षण बिल का विरोध करते हुए इसे दलित और अल्पसंख्यक विरोधी करार दिया था।