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Bihar Politics: पूर्णिया में कमाल कर पाएंगे पप्पू यादव? पॉलिटिकल पिक्चर की ये है इनसाइड स्टोरी

पूर्णिया को सीमांचल की हृदयस्थली माना जाता है। राजनीति से लेकर आर्थिक गतिविधियों में भी यह काफी आगे हैं। पूर्णिया हर बड़े चुनाव में सूर्खियों में रहता है। कभी यहां की गलियों में कांग्रेस का इकलौता झंडा हुआ करता था लेकिन पिछले 40 वर्षों से कांग्रेस का पंजा पूरी तरह खाली है। इस बार यहां से पप्पू यादव कांग्रेस के झंडाबरदार हो सकते हैं।

By Mohit Tripathi Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sat, 23 Mar 2024 07:16 PM (IST)
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पूर्णिया के पॉलिटिकल पिक्चर की ये है इनसाइड स्टोरी। (फाइल फोटो)
प्रकाश वत्स, जागरण संवाददाता, पूर्णिया। पूर्णिया को सीमांचल की हृदयस्थली माने जाने वाला पूर्णिया हर बड़े चुनाव में सूर्खियों में रहता है। कभी यहां की गलियों में कांग्रेस का इकलौता झंडा हुआ करता था। अन्य दलों के कुछ बैनर-पोस्टर रहते भी थे, तो पंजे वाले झंडे के आगे सब फीका रहता था।

हालांकि पिछले 40 सालों से कांग्रेस का हाथ पूरी तरह खाली है। कांग्रेस बीते 40 वर्षों से यहां जीत के प्रयास में जुटी हुई है, लेकिन वह पिछड़ती रही है।

संसदीय क्षेत्र में बदल जाते हैं सभी  समीकरण

पूर्णिया संसदीय क्षेत्र का वोट समीकरण जिला के वोट समीकरण से कुछ भिन्न है। जिले में पड़ने वाले अल्पसंख्यक बाहुल्य अमौर व बायसी विधानसभा क्षेत्र किशनगंज संसदीय क्षेत्र का हिस्सा होता है।

पूर्णिया संसदीय क्षेत्र में पूर्णिया सदर, कसबा, बनमनखी, धमदाहा व रुपौली के साथ कटिहार जिले का सुरक्षित कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र जुड़ जाता है। कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र यहां की जीत-हार पर बड़ा असर भी डालती है।

पप्पू यादव कांग्रेस को चखा पाएंगे जीत का स्वाद? 

इस बार ऐन चुनाव पर जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया है। इस पर चर्चा पहले भी थी लेकिन जिला कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर पत्र प्रसारित कर इसका खंडन भी किया था। उस समय जाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा थी।

फिलहाल अब इसकी प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है और सब कुछ दिल्ली में ही तय हो गया है। पप्पू यादव का कांग्रेस में आगमन के बाद कई तरह के कयास भी लग रहे हैं।

माधुरी सिंह थी कांग्रेस की अंतिम विजेता

पूर्णिया संसदीय क्षेत्र के लिहाज से कांग्रेस का अतीत समृद्ध रहा है। सन 1952 से लेकर सन 1971 के चुनाव तक कांग्रेस का लगातार कब्जा रहा है। सन 1977 के चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल के लखन लाल कपूर विजयी हुए।

इस सीट पर पराजय का पहला ब्रेक कांग्रेस को लगा था। यद्यपि 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने माधुरी सिंह को यहां से मैदान में उतारा और वे विजयी रही।

सन 1984 के चुनाव में भी वे विजयी रही। अब कांग्रेस की यह इस सीट पर जीत का घोड़ा वहीं अटक गया। उसके बाद से अब तक कांग्रेस यहां विजयी नहीं हो पायी है।

सन 2019 का चुनाव परिणाम

2019 के आम चुनावों में जदयू के संतोष कुशवाहा ने 632924 मतों के साथ एक बड़ी जीत दर्ज की थी। उन्होंने कांग्रेस के उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह को हराया था। कांग्रेस के प्रत्याशी रहे उदय सिंह को 369463 वोट मिले थे। वहीं निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले सुभाष कुमार तीसरे स्थान पर रहे थे। उन्हें 31795 वोट मिले थे।

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