'कोसी-सीमांचल में एम्स तो पूर्णिया में बने कैंसर अस्पताल', पप्पू यादव ने केंद्र सरकार से कर दी मांग
Pappu Yadav निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने केंद्र सरकार से कोसी-सीमांचल में एम्स और पूर्णिया में कैंसर अस्पताल बनान की मांग की है। पप्पू यादव का कहना है कि पूर्णिया कोसी और सीमांचल के करोड़ों लोग कॉमन हेल्थ से महरूम हैं। उन्होंने आगे यह भी कहा कि निजी नर्सिंग होम्स डॉक्टरों की फीस और जांच पर अंकुश लगाया जाए। साथ ही उसका दर भी तय किया जाए।
जागरण संवाददाता, पूर्णिया। सांसद पप्पू यादव ने देश के स्वास्थ्य बजट पर चर्चा करते हुए कोसी-सीमांचल में एम्स और पूर्णिया में कैंसर अस्पताल की स्थापना की मांग की। उन्होंने कहा कि भारत में कॉमन हेल्थ आम आदमी का एक मौलिक अधिकार है, लेकिन इससे पूर्णिया, कोसी और सीमांचल के करोड़ों लोग महरूम हैं।
पप्पू यादव ने कहा कि हम केंद्र सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि पूर्णिया जिले में कैंसर अस्पताल, सीमांचल मुख्यालय, पूर्णिया में बर्न अस्पताल, कोसी जिला मुख्यालय, सहरसा में आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और कोसी कमिश्नरी जिला मुख्यालय सहरसा में ट्रामा सेंटर बने।
सांसद ने हेल्थ को मौलिक अधिकार बताते हुए दवाओं व अन्य मेडिकल सुविधाओं पर जी.एस.टी. लेने को अनुचित बताया और लोकसभा में कहा कि इसके बारे में हमारे वरिष्ठ नेता आदरणीय गडकरी साहब ने लिखा भी है। इसलिए सरकार को जी. एस. टी. हटा देना चाहिए। बीमा प्रीमियम और हेल्थ से संबंधित सामानों पर जी.एस.टी. लिया जाता है, जैसे आयुर्वेदिक दवाओं पर 15 प्रतिशत जी.एस.टी. लगाएंगे, तो यह अच्छा नहीं है।
निजी नर्सिंग होम्स, डॉक्टरों की फीस तय करने का आग्रह
उन्होंने निजी नर्सिंग होम्स, डॉक्टरों की फीस और जांच पर अंकुश लगाने के साथ उसकी दर तय करने का भी आग्रह किया और कहा कि अन्यथा जितना बजट ले आइए, किसी भी कीमत पर कुछ नहीं होने वाला है। सदन में उन्होंने शून्य काल के दौरान कहा कि दुनिया में हमारा देश फार्मास्यूटिकल्स के लिए जाना जाता है, लेकिन जब हम फार्मासिस्ट्स की बात करते हैं तो आप किसी भी दवा की दुकान पर देखेंगे तो वहां जेनरिक दवाएं और आयुर्वेदिक दवाएं न के बराबर होती हैं।
सांसद ने यह भी कहा कि उसे कोई डॉक्टर नहीं लिखता है। डॉक्टर उसी दवा की पर्ची लिखेंगे, जो उन्हें कमीशन देते हैं। बगैर कमीशन के डॉक्टर दवा को लिख ही नहीं सकता। दवाई के लिए एम. आर. हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इस देश में 69,000 अस्पताल हैं और 39,000 प्राइवेट अस्पताल हैं। किसी भी सरकारी अस्पताल में अल्ट्रासाउण्ड, सी.टी. स्कैन, एम.आर.आई. की जांच नहीं होती है, वहां कैंसर का इलाज नहीं है। बिहार के किसी भी गांव में, शहर में, जिले में यह नहीं के बराबर है। आप एम्स की बात करते हैं तो मुझे आश्चर्य लगता है। आप जर्मनी और अन्य देशों की स्थिति देख लीजिए।
सांसद ने कहा कि हमारी दवाओं को नेपाल में भी नहीं लिया जा रहा है। नेपाल कह रहा है कि इंडिया के जो ड्रग्स हैं, वे जहर हैं। यहां की बनाई हुई दवा को नेपाल ने लेने से मना कर दिया। जिस दवा को अन्य देशों में बैन कर दिया गया, उसे हम अपने यहां चला रहे हैं।
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