बिहार में थाने से 15 किमी दूर मिनी गन फैक्ट्री में बनते रहे हथियार, सोती रही पुलिस; 3 राज्यों में होती थी खपत
Purnea Illegal Mini Gun Factory Raided पूर्णिया के धमदाहा थाने से महज 15 किलोमीटर दूर वर्षों से अवैध हथियार बनते रहे और पुलिस सोती रही। बंगाल एवं बिहार एसटीएफ की संयुक्त टीम ने मंगलवार को दो भाइयों के घरों में छापेमारी कर इस मिनी गन फैक्ट्री का भंडाफोड़ कर दिया।
By Rajeev KumarEdited By: Ashish PandeyUpdated: Wed, 22 Mar 2023 01:15 PM (IST)
राजीव कुमार, पूर्णिया: जिले के धमदाहा थाने से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुकरौन के एक ठिकाने पर वर्षों से अवैध हथियार बनते रहे और धमदाहा थाने की पुलिस सोती रही। यह तो खैर है कि धमदाहा में हथियार बनाए जाने एवं बंगाल सहित कई राज्यों में इस अवैध हथियारों को खपाने की खबर बंगाल एसटीएफ को लग गयी। जिसके बाद बंगाल एसटीएफ एवं बिहार एसटीएफ की संयुक्त टीम ने मंगलवार को कुकरौन के गौरव चौधरी एवं सौरव चौधरी नामक दो भाइयों के घरों में छापेमारी कर इस मिनी गन फैक्ट्री का भंडाफोड़ कर दिया।
5 दर्जन से अधिक देशी कट्टा बनाने का सामान बरामद
जब बिहार-बंगाल की एसटीएफ टीम ने कुकरौन के इस ठिकाने पर छापामारी की तो वो यह देखकर दंग रह गए कि एक नहीं बल्कि तीन हथियार बनाने वाले कारीगर इस ठिकाने पर हथियार बना रहे थे। जिनमें दो मुंगेर जिले के कासिम बाजार थाना क्षेत्र के खानकाह के रहने वाले मो. शाहिद एवं मो. शहाबुद्दीन थे, तो तीसरा भागलपुर जिले के बिहपुर थाना क्षेत्र का रहने वाला मो. सोनू उर्फ शहनवाज था। एसटीएफ ने इन तीनों को गिरफ्तार कर लिया। ठिकाने से पांच दर्जन से अधिक देशी कट्टा बनाने का सामान भी बरामद किया गया। एसटीएफ ने छापे में साठ लोहे की रॉड, 50 बैरल बॉडी, 12 प्लेट बॉडी, दो लेथ मशीन, 16 स्लाइड, 20 अर्द्ध-निर्मित पिस्टल एवं एक तैयार देशी कट्टा बरामद किया।
अवैध हथियार बनाने का सामान
कुकरौन के जिस ठिकाने पर मिनी गन फैक्ट्री का संचालन किया जा रहा था, एसटीएफ की छापेमारी होते ही वहां से दोनों भाई फरार हो गए। हथियार बनाने वाले तीनों कारीगरों को एसटीएफ ने मौके से गिरफ्तार कर लिया। पकड़ में आए मुंगेर एवं भागलपुर के इन तीनों हथियार बनाने वाले तस्करों ने एसटीएफ को हथियार तस्करी के संबंध में कई तरह की अहम जानकारी उपलब्ध कराई है। इन हथियार बनाने वाले कारीगरों ने एसटीएफ को बताया है कि यहां लंबे समय से अवैध हथियार का निर्माण किया जा रहा है। यहां पर तैयार हथियार बंगाल के अलावा झारखंड एवं उड़ीसा के राज्यों में हथियार तस्करों द्वारा ले जाकर खपाया जाता था। उन्हें एक हथियार बनाने पर एक निश्चित रकम का भुगतान मिनी गन फैक्ट्री के संचालक द्वारा किया जाता था।