Bihar Flood: कोसी के कहर से मझधार में फंसी यहां के लोगों की जिंदगी, हर बार मचती है तबाही, नहीं आता कोई भी खेवनहार
Kosi Flood News बिहार का शोक कही जाने वाली कोसी नदी हर साल दर्जनों गांवों को उजाड़ देती है। कई सरकारी परियोजनाओं के बावजूद आज भी कोसी बाढ़ पीड़ितों को आजतक कोई राहत नहीं मिल पाई है। आज भी कई गांव सरकारी मदद की आस लगाए बैठे हैं। बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी मझधार में फंसी है लेकिन सरकार है कि जैसे आंख-कान बंद करके बैठी है।
संवाद सूत्र, रूपौली (पूर्णिया)। बिहार के पूर्णिया की भौवा प्रबल पंचायत कोसी के कटाव का दंश झेल रही है। कोसी के कटाव से इस पंचायत के लोगों की जिंदगी बीच मझधार में फंसी है, जिसे आजतक कोई खेवनहार नहीं मिल पाया है।
कटाव का दंश झेल रहे भौवा प्रबल पंचायत के बिंदटोली के आंगन में सिर्फ और सिर्फ दर्द छलकता दिखाई देता है, लेकिन ऐसा लगता कि किसी को इनकी परवाह नहीं है।यहां के लोगों को हर दिन एक जून की रोटी के लिए दिन-रात एक करनी पड़ती है। आज भी इनकी झोपड़ियां इस बात के गवाह हैं कि ये कितने बेबस और सरकार की उपेक्षा के शिकार हैं।
मजदूरी करके पेट भरने के लिए मजबूर
जिला मुख्यालय से लगभग तीस किलोमीटर दूर भागलपुर की सीमा पर बिहार का शोक कही जानेवाली कोसी नदी के किनारे वर्तमान स्थान से लगभग पांच किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में बिंदटोली गांव बसा करता था।यहां सिर्फ अतिपिछड़ा वर्ग के बिंद जाति के ही लोग रहते थे। इनका मुख्य पेशा बस मजदूरी करना, बडे़ किसानों की जमीन पर बटाईदारी करना ही रहा है।
हर बारिश में मझदार में फंस जाती है नैया
कोसी की विकराल रूप, इनके जीवन की नैया को हर बारिश में बीच मझधार में फंसा देती रही है। हर बार इन्हें अपने घर-आंगन को फिर से संवारना पड़ता है।
आज स्थिति यह है कि ये लोग कोसी के कटाव से पूरी तरह बिखर गए हैं। ये अब नदी किनारे से लगभग एक किलोमीटर उत्तर जंगलटोला-टोपडा सड़क मार्ग के दोनों किनारों पर रहने को मजबूर हैं।
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