कला संस्कृति के क्षेत्र में अपनी साधना और लगन के बल पर पहचान बनाने में कई बेटियां अपना नाम शुमार करने में कामयाब हुईं हैं। इसमें श्रुति ने भी संगीत और नृत्य के क्षेत्र में अपना नाम रोशन किया है। कला और सांस्कृतिक के क्षेत्र में अपना करियर बनाकर सरकारी और गैर सरकारी मंचों पर प्रस्तुति देकर श्रुति ने लोगों के बीच लोकप्रियता हासिल की है।
By Deepak Sharan VermaEdited By: Mukul KumarUpdated: Tue, 24 Oct 2023 01:05 PM (IST)
जागरण संवाददाता, पूर्णिया। संगीत और नृत्य के क्षेत्र में श्रुति ने जिले का नाम राष्ट्रीय स्तर तक रोशन किया है। कला संस्कृति के क्षेत्र में अपनी साधना और लगन के बल पर पहचान बनाने में जिले की बेटियों में अपना नाम शुमार करने में कामयाब हुई।
अपनी प्रतिभा और कामयाबी के बल नई पीढ़ी के लिए मिसाल बन गई हैं। श्रुति ने राज्य और राष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाईं है। उन्होंने कला और सांस्कृतिक के क्षेत्र में खासकर लोक गीत को समृद्ध करने में सफल हो रही है।
राजगीर महोत्सव और भाष्कर महोत्सव में दे चुकी हैं प्रस्तुति
इसको अपना करियर बनाकर सरकारी और गैर सरकारी मंचों पर प्रस्तुति देकर लोगों के बीच लोकप्रियता हासिल की है। कला संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित राजगीर महोत्सव और भाष्कर महोत्सव में प्रस्तुति दे चुकी हैं। राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सम्मानित भी हो चुकी हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर गायकों के साथ लोक गीत की प्रस्तुति करती हैं। सुगम संगीत समेत नृत्य और गायन की विभिन्न विधाओं में अलग छाप छोड़ने में कामयाब रही हैं। श्रुति के पिता का नाम सुशील कुमार झा है जो स्वास्थ्य विभाग में पदस्थापित हैं।
संगीत की शुरुआत 2007 में प्रारंभ की
माता सुनीता झा ने उनके उच्च शिक्षा और संगीत की शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित किया। सिपाही टोला की रहने वाली श्रुति ने विधिवत संगीत की शुरुआत 2007 में प्रारंभ की।
2009 में कलाभवन से जुड़कर कार्य करना प्रारंभ किया। इस दौरान जिला स्तर की लोक कला प्रतियोगिता में भाग लेना शुरू किया।
वर्ष 2015 में संगीत से प्रवीण और भाष्कर किया। हिंदी से पीजी की पढ़ाई की हैं। वर्ष 2013 में पवन कुमार चौधरी से शादी हुई उसके बावजूद अपने संगीत प्रेम को जारी रखा। पति ने भी संगीत से काम करने में बाधा नहीं बल्कि आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रस्तुति के लिए जा चुकी हैं छत्तीसगढ़ और असम
वर्ष 2013 से राष्ट्रीय उत्सव में लगातार एकल लोक गीत में दो बार प्रथम रहीं। दो बार सुगम संगीत में प्रथम आई है। यह वर्ष 2015 और 2017 का था। राज्य में वर्ष 2018 और
2019 में लोक गीत में प्रथम स्थान हासिल किया। राष्ट्रीय स्तर के प्रस्तुति के लिए छत्तीसगढ़ और असम जा चुकी हैं।
जिले के कई मंच से जुड़ कर कार्य कर रही है। बिहार लोक सांस्कृतिक मंच से जुड़ कर राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड हासिल कर चुकी हैं। इसमें कुमारी चांदनी शुक्ला जो राष्ट्रीय स्तर पर कई बार जिले का नाम रोशन किया है। श्रुति ने बताया चांदनी का सहयोग सराहनीय है।
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