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KK Pathak: केके पाठक तो कुछ भी नहीं..., अब एस सिद्धार्थ के एक्शन से 882 प्रधानाध्यापकों के बीच मची खलबली

Bihar Teacher News बिहार में केके पाठक को सबसे अधिक कड़क अधिकारी माना जाता था। लेकिन अब उनकी जगह आए बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ तो 10 कदम आगे बढ़कर काम कर रहे हैं। एस सिद्धार्थ ने पूर्णिया के 882 प्रधानाध्यापकों के वेतन पर रोक लगा दी है। बता दें कि केके पाठक के जाने के बाद भी शिक्षकों पर एक्शन जारी है।

By Deepak Sharan Verma Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Sat, 22 Jun 2024 07:13 PM (IST)
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एस सिद्धार्थ और केके पाठक (जागरण फोटो)
जागरण संवाददाता,पूर्णिया। Bihar News: बिहार में केके पाठक (KK Pathak) को सबसे अधिक कड़क अधिकारी माना जाता था। लेकिन अब उनकी जगह आए बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ तो 10 कदम आगे बढ़कर काम कर रहे हैं। एस सिद्धार्थ ने पूर्णिया के 882 प्रधानाध्यापकों का वेतन रोक दिया है। एस सिद्धार्थ के इस कदम से प्रधानाध्यापकों में खलबली मच गई है।

इस वजह से रोका गया 882 प्रधानाध्यापकों का वेतन

जिले के प्रखंडों के कई विद्यालयों में ई शिक्षा पोर्टल में अध्ययनरत छात्रों के आंकड़ों 25 फीसद ही दर्ज किया है। विभागीय समीक्षा में विद्यालय की उपलब्धि न्यून अथवा अति न्यून पाया गया है। ऐसे चिह्नित 882 विद्यालयों के प्रधानाध्यापक का वेतन अगले आदेश तक के लिए रोक दिया गया है।

30 जून तक हर हाल में निपटा लें काम

सभी यह निर्देश दिया गया है कि 30 जून तक हर हाल में इस कार्य को पूर्ण करना सुनिश्चित किया जाए नहीं तो ऐसे विद्यालयों के प्रधानाध्यापक के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई करने लिए बाध्य होना पड़ेगा।

विदित हो कि जिला के सभी प्राथमिक विद्यालय, मध्य विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय और उच्चतम माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक, प्रभारी प्रधानाध्यापक को प्राथमिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान - सह - स्थापना शिक्षा विभाग, पूर्णिया के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी कौशल कुमार के द्वारा एक पत्र जारी किया गया था।

जिसमें विभागीय नियम के तहत यह निर्देशित दिया गया था कि शैक्षिक वर्ष 2024 - 25 में ई शिक्षा पोर्टल पर अध्ययनरत विद्यार्थियों का शत प्रतिशत एंट्री किया जाए।

यह निर्देश विद्यालय के प्रधानाध्यापक को विभाग से दिया गया था। विभागीय निर्देश के आलोक में जब निर्धारित तिथि 15 जून तक डाटा एंट्री की समीक्षा की गई तो विद्यालय की उपलब्धि न्यून अथवा अति न्यून पाया गया है। इसी के आलोक में अब चिह्नित 882 प्रधानाध्यापक के वेतन पर रोक लगा दी गई है।

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