कभी पूर्णिया सिटी में बसता था शहर का दिल, अब हर तरफ दर्द ही दर्द..
पूर्णिया। कभी पूर्णिया सिटी में ही इस शहर का दिल बसता था। सिटी से ही पूर्णिया शहर की पहचान थी। समृद्ध बाजार से लेकर सांस्कृतिक व धार्मिक स्थलों के कारण यह परिक्षेत्र लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र भी था। अब सब कुल बदल चुका है। शहर के दिल में केवल दर्द ही शेष रह गया है।
पूर्णिया। कभी पूर्णिया सिटी में ही इस शहर का दिल बसता था। सिटी से ही पूर्णिया शहर की पहचान थी। समृद्ध बाजार से लेकर सांस्कृतिक व धार्मिक स्थलों के कारण यह परिक्षेत्र लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र भी था। अब सब कुल बदल चुका है। शहर के दिल में केवल दर्द ही शेष रह गया है। प्रसिद्ध पूरण देवी मंदिर व सिटी काली मंदिर ही सिटी परिक्षेत्र की पहचान का सहारा रह गया है। शौकत अली जंग व राजा पीसी लाल का था बसेरा बंगाल सल्तनत के समय यह शौकत अली जंग का बसेरा हुआ करता था। बाद के समय में यह परिक्षेत्र राजा पीसी लाल के हिस्से में था। राजा पीसी लाल के समय में मारवाड़ी समाज के चंद परिवारों का यहां आगमन भी हुआ था। उनके सतत सहयोग व मारवाड़ी समाज के जतन से यह पूर्णिया का मुख्य व्यापारिक केंद्र बन गया था। जिले का यह मुख्य बाजार सह मंडी बन गया था। बाद में राष्ट्रीय उच्च पथ के निर्माण से यहां के मुख्य व्यसायियों का रुझान गुलबाबाग सहित शहर के अन्य हिस्सों की ओर बढ़ता गया और फिर शनै-शनैं सिटी वीरान होता चला गया। अब भी कई मारवाड़ी परिवार का आवास तो सिटी में है, लेकिन उनका कारोबार गुलाबबाग सहित शहर के अन्य हिस्सों में चल रहा है। खंडहर में दफन रह गई है सिटी की समृद्धि फिलहाल मूल पूर्णिया शहर की समृद्धि अब खंडहर में दफन है। ऐतिहासिक भवनें खंडहर होती गई और बाद में भू-माफिया की शिकार भी। कई ऐतिहासिक भवनों के परिक्षेत्र की जमीन तक बिक गई। इसकी संरक्षा व सुरक्षा को लेकर कभी कोई पहल नहीं हुई। पूरे बिहार में प्रसिद्ध त्रिपुर सुंदरी की मंदिर भी मूर्ति चोरी के बाद गुमनामी के अंधेरे में दफन हो गई। शहरी विकास में भी यह क्षेत्र हाशिए पर रहा। यही कारण है कि इस परिक्षेत्र की अधिकांश कालोनी व मोहल्ले अब भी बुनियादी समस्याओं की गिरफ्त से बाहर नहीं आ पाया है। निगम अथवा जिला प्रशासन तक उनकी अपेक्षाएं पहुंचने से पूर्व ही दम तोड़ देती है। अब भी सिटी क्षेत्र में ही निगम की सर्वाधिक जमीन
लगभग सौ साल पूर्व गठित पूर्णिया नगर पालिका का अस्तित्व भी पूर्णिया सिटी पर ही टिका था। आज नगर निगम तक के सफर में भी सिटी इसका अहम हिस्सा बना हुआ है। वर्तमान में भी निगम की सर्वाधिक जमीन इस परिक्षेत्र में है। इसके बावजूद इस क्षेत्र को संवारने का प्रयास कभी नहीं हुआ।