कांग्रेस से की थी राजनीति की शुरुआत, अब जदयू में मंत्री बने अशोक चौधरी
बिहार सरकार में तीसरी बार मंत्री बने अशोक चौधरी को राजनीति विरासत में मिली है। कांग्रेस में इनकी जबरदस्त पकड़ थी। बाद में रिश्ते खराब हुए तो अशोक चौधरी जदयू में शामिल हो गए।
By Rajesh ThakurEdited By: Updated: Sun, 02 Jun 2019 10:59 PM (IST)
पटना, जेएनएन। बिहार सरकार में तीसरी बार मंत्री बने अशोक चौधरी को राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता स्व. महावीर चौधरी स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस के बड़े नेता थे। वह भी राज्य सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री थे। छात्र जीवन से ही अशोक ने युवा कांग्रेस के साथ अपनी राजनीति की शुरुआत की। 2000 में पहली बार वे बरबीघा से विधायक बने और इसके साथ ही उन्हें राबड़ी मंत्रिमंडल में कारा राज्य मंत्री बनने का मौका भी मिला।
2000 में पहली बार बने थे विधायक2000 में पहली बार विधायक बने अशोक चौधरी ने 2005 का चुनाव भी बरबीघा से ही जीता, लेकिन मंत्री बनने का मौका नहीं मिला। कांग्रेस के विधायक के रूप में चुने गए चौधरी बिहार में संगठन की मजबूती के लिए काम करते रहे। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2013 में बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष पद का जिम्मा सौंपा। इसके अगले वर्ष ही वे बिहार विधान परिषद के सदस्य चुने गए।
2015 में महागठबंधन से लड़े थे चुनाव
बिहार कांग्रेस की कमान संभालने के बाद से चौधरी लगातार बिहार में कांग्रेस की खोई जमीन की प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहे। 2015 के विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने अशोक चौधरी के नेतृत्व में महागठबंधन के साथ मिलकर लड़ा। विगत तीन दशकों से तीन से पांच विधायकों के आंकड़े में फंसी कांग्रेस ने 2015 के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया और उसके 27 विधायक जीत कर सदन पहुंचे।
2018 में शामिल हुए जदयू मेंअशोक चौधरी को इसका ईनाम मिला और उन्हें राज्य सरकार में शिक्षा और आइटी मंत्री का पद भी मिला। परन्तु बाद में कांग्रेस से चौधरी के संबंध खराब हुए और उनके साथ कांग्रेस के तीन विधान पार्षदों ने जदयू की सदस्यता ले ली। 2018 में कांग्रेस छोड़कर इन्होंने जदयू का दामन थाम लिया। एक बार नीतीश सरकार में मंत्री बनाए गए हैं। लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
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