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Rupauli By-Election 2024: रुपौली उपचुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष तय, कलाधर मंडल और बीमा भारती ने झोंकी पूरी ताकत

रुपौली विधानसभा उपचुनाव में इस बार त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल सकती है। एक तरफ जदयू के कलाधर मंडल और राजद की बीमा भारती ने ताकत झोंक रखी है। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में शंकर सिंह ने चुनाव को दिलचस्प कर दिया है। शंकर सिंह भी रुपौली के कद्दावर नेताओं में से एक माने जाते हैं। ऐसे में साफ है कि चुनाव रोमांचक होने वाला है।

By Narendra Kumar Anand Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 25 Jun 2024 09:11 PM (IST)
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जदयू के कलाधर मंडल और राजद की बीमा भारती। (फाइल फोटो)
प्रकाश वत्स, पूर्णिया। लोकसभा चुनाव के ठीक बाद हो रहे रुपौली विधानसभा उपचुनाव (Rupauli Byelection 2024) में त्रिकोणीय संघर्ष के आसार बन रहे हैं। कोसी नदी के किनारे बसे रुपौली में चुनावी धारा मचलने लगी है। नेताओं के दौरों के साथ-साथ कार्यकर्ताओं की पूछ व लोगों की उत्सुकता भी बढ़ने लगी है। रुपौली उपचुनाव का नाता लोकसभा चुनाव से होने के करण पूरे जिले की नजर इस पर टिकी हुई है।

पहले रुपौली से ही विधायक, फिर लोकसभा चुनाव में राजद प्रत्याशी बन सुर्खियों में रहीं बीमा भारती (Bima Bharti) यहां मैदान में हैं। पूर्व के चुनाव में लोजपा के बागी शंकर सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। उस चुनाव में भाकपा के प्रत्याशी भी मैदान में थे और दूसरे स्थान पर रहे थे। इस बार अंतिम क्षणों में राजद ने रुपौली सीट रख ली।

लोकसभा चुनाव में क्या स्थिति रही?

कुछ ऐसी ही तस्वीर लोकसभा चुनाव के दौरान उभरी थी और इंडी गठबंन में कांग्रेस की जगह राजद ने सीट अपने हिस्से में रख ली थी। इस कारण यह सीट देश स्तर पर चर्चित रही थी।

लोकसभा चुनाव में सांसद पप्पू यादव कांग्रेस के बागी बन मैदान में उतरे थे और जीत भी दर्ज की। रुपौली उपचुनाव में स्थिति थोड़ी अलग है। फिलहाल बागी यहां भी हैं, लेकिन पाला राजग में है। पिछले विधानसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे लोजपा के बागी प्रत्याशी शंकर सिंह मैदान में हैं।

2010 से जदयू विधायक बनती रहीं बीमा भारती

हालांकि, पिछले चुनाव में बीमा भारती यहां जदयू की प्रत्याशी थीं और 20 हजार वोटों से चुनाव जीतने में सफल रहीं। वह 2010 से ही जदयू की विधायक बनती रहीं। लोकसभा चुनाव के मौके पर वह जदयू छोड़ राजद में शामिल हुई थीं और लोकसभा चुनाव में उतरी थीं।

लोकसभा चुनाव में इनकी पार्टी यहां हाशिये पर रही और वे 30 हजार मत भी हासिल नहीं कर पाईं। इसके विपरीत 25 साल से इनका राजनीतिक सिक्का रुपौली में चलता रहा। इस बार भी वो मैदान में हैं, लेकिन हाथ में लालटेन है।

जदयू के कलाधर मंडल भी मैदान में

इधर, 2010 से रुपौली जदयू का किला रहा। इस बार जदयू ने कलाधर मंडल को मैदान में उतारा है। जदयू इससे भी उत्साहित है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में यहां जदयू ने बीमा भारती के राजद प्रत्याशी रहते 20 हजार मतों की लीड ली थी। फिलहाल राजद और जदयू यहां पूरी ताकत झोंकेगा और शंकर सिंह निर्दलीय इस जंग का रोमांच बढ़ा रहे हैं।

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