Bihar News: रोहतास के रामडिहरा टीले के रहस्य से जल्द पर्दा उठाएगा ASI, पुरातत्व और इतिहास से भरा पड़ा है पूरा इलाका
Bihar News बिहार के रोहतास जिले के तिलौथू प्रखंड के रामडिहरा गांव के टीले पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने उत्खनन की अनुमति दे दी है। इस टीले पर पहले काली चमकीली मृदभांड के अवशेष पाए गए हैं जो किसी समृद्ध सभ्यता की निशानी है। इतिहासकारों का मानना है कि इस उत्खनन से इतिहास के कई रहस्यों से पर्दा उठेगा।
प्रेम पाठक, डेहरी आन सोन (रोहतास)। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इस वर्ष देश के पुरातत्विक महत्व के कई स्थलों पर उत्खनन की अनुमति दी है। इसमें रोहतास जिले के तिलौथू प्रखंड के रामडिहरा गांव का टीला भी शामिल है।
उत्खनन की जिम्मेदारी एएसआई ने डीएवी पीजी कॉलेज वाराणसी को दी है, जिसकी निगरानी वहां की प्राध्यापिका मनीषा सिंह करेंगी।इतिहासकार डॉ. श्याम सुंदर तिवारी बताते हैं कि रामडिहरा गांव का इतिहास 15 सौ ईस्वी पूर्व का रहा है। यहां के टीले पर पहले काली चमकीली मृदभांड के अवशेष पाए गए हैं, जो किसी समृद्ध सभ्यता की निशानी है।
उन्होंने बताया कि वे जब काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान के लिए पुरातात्विक सर्वेक्षण कर रहे थे, तभी यह बात सामने आई थी।इसके बाद से एएसआइ को उचित मंचों के माध्यम से उत्खनन की आवश्यकता से अवगत कराया जाता रहा है। उसी का परिणाम है कि एएसआइ ने अब उत्खनन की अनुमति प्रदान की है।
इतिहास के कई रहस्यों से उठेगा पर्दा
टीला के उत्खनन से इतिहास के कई रहस्यों से पर्दा उठेगा। रामडिहरा व आसपास का क्षेत्र मध्यकाल 1340 ईस्वी में चेरो राजवंश की राजधानी थी, इस कारण यह आज भी अपभ्रंश होकर चूरेसर राजस्व मौजा के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र से सटे ही रामगढ़ नामक स्थल है। चेर वंश के एक राजा हंस कुमार थे।
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