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ऑल वेदर रोड व रोपवे बनने से कैमूर पहाड़ी के पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, ऐतिहासिक विरासत समेत इनका दीदार होगा आसान

कैमूर पहाड़ी पर अवस्थित रोहतास गढ़ किले तथा राजा हरिश्चंद्र के बेटे रोहित द्वारा निर्मित शिव-पार्वती के मंदिर रोहितेश्वर धाम तक ऑल वेदर रोड और रोप वे निर्माण से इस ‘सुरम्य’ स्थल तक जाने की राह डेढ़ वर्ष में सुगम हो जाएगी। इससे इको फ्रेंडली पर्यटन व जिला मुख्यालय से संपर्क बढ़ेगा और रोहतास और कैमूर जिले के सैकड़ों गांवों को सीधा लाभ होगा।

By Jagran NewsEdited By: Mohit TripathiUpdated: Tue, 26 Sep 2023 07:10 PM (IST)
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कैमूर पहाड़ी पर स्थित रोहितेश्वर धाम में मां पार्वती का मंदिर। जागरण

उपेंद्र मिश्र/प्रेम पाठक, डेहरी आन सोन (रोहतास): बिहार के रोहतास में कैमूर पहाड़ी पर अवस्थित रोहतास गढ़ किले और राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहित द्वारा निर्मित शिव-पार्वती के मंदिर रोहितेश्वर धाम तक ऑल वेदर रोड और रोप वे निर्माण से इस ‘सुरम्य’ स्थल तक जाने की राह डेढ़ साल के अंदर बेहद ही सुगम हो जाएगी।

रोप वे बनने से इको फ्रेंडली पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, जिला मुख्यालय से संपर्क भी बढ़ेगा। रोप वे बनने से रोहतास जिले के नौहट्टा के 50 गांव, रोहतास प्रखंड के 36 गांव और पड़ोसी कैमूर जिले के अधौरा प्रखंड के 20 गांवों को सीधा लाभ होगा।

अबतक अभावों और कठिन परिस्थितियों में रह रहे आदिवासी व अन्य समाज के लोगों तक विश्वभर के पर्यटक खुद पहुंचेंगे। स्वभाविक तौर पर रोजगार के नए नए विकल्प सामने होंगे, जिसे अपनाकर पहाड़ी पर बसी आबादी अपना जीवनस्तर सुधार सकेगी।

कैमूर पहाड़ी स्थित रोहतास गढ़ किला सौजन्य: पर्यटन विभाग 

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

कैमूर पहाड़ी पर रोहतास गढ़ किले के रूप में शान से खड़े गौरवशाली विरासत के दर्शन के साथ पर्यटकों को अनगढ़ प्राकृतिक सौंदर्य के सानिध्य का अवसर भी मिलेगा।

ठहराव के लिए किले के निकट अतिथि गृह और पार्क का निर्माण शीघ्र होगा। इस अतिथि गृह से पर्यटक नीचे कल-कल बहते सोन नद और चारों ओर फैली हरियाली को आसानी से निहार सकेंगे।

1970 में रोहतास गढ़ किले के निकट सरकार द्वारा निर्मित  अतिथि गृह की जर्जर हालत। जागरण

1.8 करोड़ की लागत से अतिथि गृह का निर्माण

भवन प्रमंडल, सासाराम के कार्यपालक अभियंता प्रमोद कुमार ने बताया कि अतिथि गृह को आगामी आठ महीने में तैयार कर लिया जाएगा। अतिथि गृह एक करोड़ 80 लाख रुपये की लागत से बनेगा। इसमें चार कक्ष, हाल, बैठक कक्ष, पेयजल, सौर ऊर्जा समेत सभी आधुनिक सुविधाएं होंगी।

सरकार के इस अतिथि गृह की देखादेखी किले के आसपास बसे बभनतालाब समेत अन्य गांवों में अभी से लोग पेइंग गेस्ट के तौर पर पर्यटकों को ठहराने की व्यवस्था में जुट गए हैं।

ये सभी गांव पहले से सरकारी सौर ऊर्जा प्लांट से रोशन हैं, अब ग्रामीण दो बल्ब व दो पंखे से आगे अतिथियों के लिए क्षमता बढ़ाने की जुगत में हैं।

बभनतालाब के पूर्व मुखिया कृष्णा यादव कहते हैं, 1970 में यहां सरकार ने गेस्ट हाउस बनाया था, जो ढह गया है। अब हर ग्रामीण अतिथियों के स्वागत की तैयारी कर रहे हैं।

54 करोड़ की लागत से हो रहा ऑल वेदर रोड का निर्माण 

पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रभाकर कुमार ने बताया कि एक अरब 18 करोड़ 66 लाख 44 हजार रुपये की लागत से रोहतास से दुर्गावती नदी किनारे बसे बरकट्टा गांव तक 33 किलोमीटर सड़क और दुर्गावती नदी से पड़ोसी जिले कैमूर के अधौरा प्रखंड मुख्यालय तक 54 करोड़ की लागत से 18.50 किलोमीटर ऑल वेदर रोड का निर्माण कार्य बीते हफ्ते शुरू हो गया है। दोनों सड़कों को मार्च 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा।

अधौरा को जोड़ने वाली सड़क रोहतास गढ़ किले के निकट से गुजरेगी। इससे पर्यटक आसानी से चढ़ाई वाले पहाड़ी रास्तों पर अपने वाहन से किले तक पहुंच सकेंगे। इन दोनों की सड़कों पर यात्रा का अनुभव विशिष्ट होगा।

 रोप वे निर्माण का बेस तैयार करते श्रमिक। जागरण

2024 के अंत तक पूरा हो जाएगा निर्माण कार्य

पर्यटन विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह ने बताया कि रोहितेश्वर धाम और रोहतास गढ़ किले तक जाने के लिए 12 करोड़ 68 लाख रुपए की लागत से रोप वे का निर्माण कार्य प्रारंभ है।

2024 के अंत तक निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है। रोपवे का ग्राउंड बेस रोहतास प्रखंड मुख्यालय के निकट उचैला गांव के पास किया जा रहा है। रोपवे की क्षैतिज लंबाई 1302.114 मीटर निर्धारित की गई है।

रोहितश्वर धाम के पास होगी बुकिंग काउंटर व जन सुविधाएं

कैमूर पहाड़ी पर स्थित रोहितश्वर धाम, जिसे चौरासन मंदिर भी कहते हैं, से 300 मीटर की दूरी पर इसके स्टेशन का निर्माण होगा। वहां बुकिंग काउंटर, शौचालय के अलावा अन्य जन सुविधाएं होंगी।

पर्यटक आठ मिनट 26 सेकेंड में उचैला गांव के पास से रोपवे में बैठ मंदिर के पास पहुचेंगे। वहां से लगभग डेढ़ किमी पैदल चलकर रोहतास गढ़ किला पहुंच जाएंगे।

अब तक रोप वे के पांच पीलर बन गए हैं। शुरूआत में काम कर रही राइट्स कंपनी ने समर्पण कर दिया तो पुनः निविदा निकाली गई और कोलकाता की एक कंपनी काम कर रही है।

स्वतंत्रता सेनानियों की शरण स्थली था रोहतास गढ़ का किला 

रोहतास गढ़ किला स्वतंत्रता सेनानियों की शरण स्थली रहा है। एक दशक पूर्व तक नक्सलियों के गढ़ होने के कारण यहां ट्रैकिंग के शौकीन पर्यटकों का आना जाना बंद हो गया था।

2012 में नक्सल उन्मूलन के बाद रोहतास गढ़ किले और इर्द गिर्द गावों में विकास की गति तेज हुई। 1857 में कुंवर सिंह के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कैमूर पहाड़ी के इसी किले में निशान सिंह के नेतृत्व में उनकी सेना ने आश्रय लिया था।

सामरिक दृष्टिकोण से बने इस किले को खाली कराने में अंग्रेजों को नाकों चने चबाने पड़े थे। किले को खाली कराने के बाद अंग्रेजों ने वहां अतिथि भवन बनवाया था। जो कुछ दशक पूर्व ध्वस्त हो गया। 2007 से ही यहां अतिथि गृह बनाने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन नक्सल गतिविधि के कारण प्रयास फलीभूत नहीं हो पाया था।

कैमूर पहाड़ी पर स्थित रोहितेश्वर धाम में मां पार्वती का मंदिर। जागरण

झरने और कुंड की सैर

रोहतास गढ़ किला आने वाले पर्यटक कैमूर पहाड़ी पर स्थित महादेव खोह, मांझर कुंड व धुआं कुंड की मनोरम सुंदरता को निहार सकते हैं। ये झरने और जल प्रपात प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। मांझर कुंड में प्रकृति के लयबद्ध संगीत को करीब से सुन पाते हैं। पहाड़ से गिरते पानी को निहारना रोमांच पैदा करता है।

बाघ के साथ जंगली पशु-पक्षियों से पैदा होता रोमांच

कैमूर पहाड़ी पर बाघ, हिरण, भालू, बंदर, मोर के साथ अन्य जंगली पशु-पक्षियां रोमांचित करते हैं। इस क्षेत्र को टाइगर रिजर्व क्षेत्र बनाया जा रहा है। यह बिहार का दूसरा तथा देश का 54 वां टाइगर रिजर्व क्षेत्र होगा। 480 स्क्वायर किलोमीटर में कोर तथा 1370 स्क्वायर किलोमीटर में बफर जोन को रखा गया है। टाइगर रिजर्व के बफर जोन में पर्यटक जंगल सफारी, बोटिंग व इको टूरिज्म का आनंद ले सकते हैं।

आने का कब करें प्लान

रोहतास किला को घूमने का सबसे अच्छा समय अगस्त से फरवरी के बीच है, इस दौरान मौसम बहुत अच्छा होता है। बरसात के मौसम में पहाड़ों का सौंदर्य बढ़ जाता है।

ऐसे पहुंचें रोहतासगढ़ किला

बिहार का रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम रेल और सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सासाराम से 65 किलोमीटर की दूरी पर रोहतासगढ़ किला वाहन से जाया जा सकता है। वहीं डेहरी आन सोन से रोहतास जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 119 से भी पहुंचा जा सकता है। यहां से किला 60 किलोमीटर की दूरी पर है। नजदीकी हवाई अड्डा गया और पटना हैं।

क्या कहते हैं जिलाधिकारी

रोहतास गढ़ किला को पर्यटक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए कई कार्य शुरू कराए गए हैं। अतिथि गृह निर्माण कार्य की प्रक्रिया शुरू हो गई है। किले तक पहुंचने के लिए आल वेदर रोड बनाई जा रही है। वहीं रोपवे निर्माण में लगी पहली कंपनी को कार्य में सुस्ती देख ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है। अब नए सिरे से कार्य एजेंसी तय की गई है।

धर्मेंद्र कुमार, जिलाधिकारी, रोहतास

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