Rohtas News धान का कटोरा में टमाटर की खेती को बढ़ावा देने के लिए सात वर्ष पूर्व एक जिला एक उत्पाद के तहत रोहतास में टमाटर की खेती के लिए चयनित किया गया। चयन के पीछे यहां नदी किनारे की बलुई दोमट मिट्टी व अनुकूल जलावायु माना गया। किसानों ने भी सरकार के इस निर्णय को हाथों हाथ ले टमाटर की उन्नत व वैज्ञानिक तरीके से खेती करनी शुरू की।
ब्रजेश पाठक, रोहतास (जागरण)। Rohtas News धान का कटोरा में टमाटर की खेती को बढ़ावा देने के लिए सात वर्ष पूर्व एक जिला एक उत्पाद के तहत रोहतास में टमाटर की खेती के लिए चयनित किया गया। चयन के पीछे यहां नदी किनारे की बलुई दोमट मिट्टी व अनुकूल जलावायु माना गया।
किसानों ने भी सरकार के इस निर्णय को हाथों हाथ ले टमाटर की उन्नत व वैज्ञानिक तरीके से खेती करनी शुरू की। सोन, काव, कुदरा व दुर्गावती नदी का तटवर्ती इलाका समेत लगभग छह हजार हेक्टेयर क्षेत्र में टमाटर की खेती हो रही है। किसानों ने इसका उत्पादन भी प्रति वर्ष ढाई लाख टन तक पहुंचा दिया।
इसके बाद भी न तो प्रोसेसिंग यूनिट ही लग पाई न हीं टमाटर को कुछ दिनों तक सुरक्षित रखने के लिए शीत गृह ही बन पाया है। किसानों का कहना है कि जब तक खाद्य प्रसंस्करण इकाई नहीं लगती है, तब तक उन्हें ना ही बेहतर बाजार मिल पाएगा और ना ही उत्पाद का उचित मूल्य। जिससे किसानों का उत्साह ठंडा पड़ते जा रहा है।
टमाटर उत्पादन के हब बने कई गांव
राजपुर प्रखंड के घोरडीहीं, चेनारी के मल्हीपुर समेत कई गांव टमाटर उत्पादन का हब बना हुआ है। सीजन में यहां से प्रति दिन उत्तर प्रदेश, पंजाब व झारखंड के लिए टमाटर लदे एट्रक, पिकअप सहित अन्य वाहन खुलते हैं। सीजन से पहले ही अन्य राज्यों के व्यापारी यहां पहुंच किसानों से संपर्क साधने में जुट जाते हैं। स्थिति यह है कि रबी की खेती छोड़कर सैकड़ों किसान अब अपने खेतों में सिर्फ टमाटर का ही उत्पादन करते हैं।
किसानों ने दी टमाटर की खेती की जानकारी
घोरडीहीं गांव निवासी उमा महतो व सुरेश चौधरी बताते हैं कि टमाटर की खेती घोरडीहीं गांव अलावा नवाडीह, पड़रिया, मथुरापुर, भलुआही, कुझी, विशुनपुर, घोरडीहा सहित अन्य गांव के किसान बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। किसान मनोज महतो, दुधनाथ महतो, राम प्रपन्न महतो, चंदन पांडेय, परशुराम पांडेय समेत अन्य ने कहा टमाटर की खेती वैज्ञानिक विधि से करने से काफी मिलता है।
एक बीघा जमीन में टमाटर की एक लाख रुपये की बिक्री हो जाती है।
मूल्य कम होने पर फेंकने की मजबूरी :
बाजार में मूल्य कम होते ही किसान इसे फेंकने या व्यापारियों को बिना मूल्य दिए ही तोड़कर ले जाने की छूट देने को विवश हो जाते हैं। कई किसान विरोध स्वरूप जीटी रोड पर टमाटर को फेंक उसे अपने ही वाहन से कुचल देते हैं ताकि प्रशासनिक स्तर पर प्रोसेसिंग यूनिट की व्यवस्था हो सके।
हालांकि, इस वर्ष औसतन उन्हें दस रुपये प्रति किलो व गत वर्ष चार रुपये प्रति किलो की दर से मूल्य मिल पाया है।
प्रोसेसिंग यूनिट को मशीन का इंतजार
दिनारा प्रखंड के महरोड गांव में फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी बनाकर इसकी प्रोसेसिंग की तैयारी की गई।
महरोड फर्म फ्रेस फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के नाम से संचालित कंपनी को आसपास के लगभग सौ किसान ने टमाटर बेचने का करार भी किया। कंपनी के डायरेक्टर सरोज कुमार बताते हैं कि 13.26 लाख रुपये शेड व अन्य संरचना खड़ा करने में लग गए।
अब तक प्रोसेसिंग मशीन नहीं लगने से कार्य शुरू नहीं हो पाया। मशीन की उपलब्धता सरकार टेंडर के माध्यम से कर रही है।
दिनारा के महरोढ़ गांव में संचालित टमाटर प्रोसेसिग यूनिट को बिहार राज्य उद्यानित विकास कार्यक्रम के तहत सब्सिडी का लाभ देकर शुरू कराया जा रहा है।
प्रोसेसिग यूनिट लगाने से लेकर बाजार उपलब्ध कराने तक में विभाग सहयोग करेगा। हालांकि इसे अब महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र की देखरेख में कार्य किया जा रहा है।
- जीतेंद्र कुमार, सहायक निदेशक, उद्यान
प्रखंडवार टमाटर की खेती एक नजर में :
प्रखंड रकबा (हेक्टेयर ) - उत्पादन ( मिट्रिक टन में )
सासाराम 700 - 35,196
अकोढ़ी गोला 50 - 2,514,
चेनारी 600 - 30,168,
दावथ 50 - 2,514,
डेहरी 550 - 27,654,
दिनारा 400 - 20,112,
काराकाट 18 - 905,
करगहर 48.5 - 2,438,
कोचस 600 - 30,168,
नासरीगंज 30 - 1,508,
राजपुर 200 - 1,0056,
नोखा 30 - 1,508,
संझौली 200 - 10,056,
शिवसागर 400 - 20,112,
सूर्यपुरा 90 - 4,525,
तिलौथू 600 - 3,01,68,
बिक्रमगंज 80 - 4022,
रोहतास 250 - 12,570,
नौहट्टा 200 - 10,056
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