बदहाल सिस्टम... सदर अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए लगता है 'चढ़ावा', गमजदा परिवारों का हो रहा आर्थिक शोषण
सासाराम में स्थित सदर अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए पैसे लिए जाते हैं। गमजदा परिवारों का खुलेआम आर्थिक शोषण किया जा रहा है। पुलिस वाले भी लावारिस शव के पोस्टमॉर्टम के लिए चढ़ावा देने को मजबूर हैं। पोस्टमॉर्टम घर में मौजूद सफाईकर्मी दो हजार से पांच हजार रुपये तक की डिमांड करता है। हालांकि सिविल सर्जन को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
By satish kumarEdited By: Rajat MouryaUpdated: Sat, 07 Oct 2023 02:18 PM (IST)
जागरण संवाददाता, सासाराम (रोहतास)। जिला मुख्यालय के सदर अस्पताल में बिना चढ़ावे के पोस्टमॉर्टम नहीं होता है। पोस्टमार्टम में चिकित्सक की उपस्थिति में चीड़फाड़ करने के लिए रखा गया सफाईकर्मी शव को छूने के लिए भी तैयार नहीं होता है। उसकी मांग दो हजार से पांच हजार तक की होती है।
बहुत दबाव के बाद भी एक हजार से डेढ़ हजार से नीचे पर बात नहीं बनती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पुलिस वाले भी लावारिस शव के लिए अपने पास से 500 रुपये पोस्टमार्टम करने वाले सफाईकर्मी को देते हैं।
बता दें कि संदिग्ध मौत, जहर खुरानी, फांसी, सड़क दुर्घटना, आगजनी व पानी में डूबने समेत कई तरह की असामान्य मौत के लिए पुलिस को संबंधित शव का पोस्टमॉर्टम कराना अनिवार्य है। पुलिस के लिए यह आवश्यक प्रक्रिया है, लेकिन मृतक के परिवार वालों के लिए जरूरी नहीं है। इसके बावजूद परिवार के सदस्य शव के पोस्टमॉर्टम लिए दो हजार रुपये नजराना देने के लिए विवश है।
कई ऐसे गरीब परिवार भी होते हैं, जिनके पास दाह संस्कार के लिए भी पैसे नहीं होते उन्हें भी कर्ज लेकर पोस्टमॉर्टम करने वाले सफाईकर्मी को रुपये देने की विवशता बनी हुई है। यह खेल चिकित्सकों व पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में होता है। फिर भी उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। इतना ही नहीं, पोस्टमॉर्टम जल्दी कराने के लिए पीड़ित परिवार को पुलिस, डॉक्टर व स्वीपर के सामने गिड़गिड़ाना पड़ता है।
सदर अस्पताल में नहीं है पोस्टमॉर्टम कक्ष का सफाईकर्मी
सदर अस्पताल के पोस्टमॉर्टम घर में पिछले 12 साल से कोई नियमित वेतन वाला सफाईकर्मी तैनात नहीं है। वर्ष 2011 में सदर अस्पताल के पोस्टमॉर्टम के लिए नियुक्त कर्मी के सेवानिवृत हो जाने के बाद से यहां कोई सफाईकर्मी नहीं है। महज 50 रुपये में एक शव का पोस्टमॉर्टम करने के लिए अस्थायी तौर पर एक सफाईकर्मी को रखा गया है।पोस्टमॉर्टम हाउस का सफाईकर्मी राजू बताता है कि उसे बेहद कम मजदूरी पर रखा गया है। ऐसी परिस्थिति में पोस्टमॉर्टम कराने के लिए आने वाले लोगों से ही कुछ रकम लेना मजबूरी हो जाती है। सदर अस्पताल प्रबंधन रोगी कल्याण समिति के कोष से 50 रुपये प्रति पोस्टमार्टम की मजदूरी अस्थायी सफाईकर्मी को देता है। सफाईकर्मी को कोरोनाकाल में दुर्घटना से संबंधित 108 पोस्टमॉर्टम की मजदूरी नहीं मिलने का भी मलाल है।
राजू बताता है कि अस्पताल अधीक्षक ने प्रति पोस्टमॉर्टम 600 रुपये की मजदूरी देने का मौखिक आश्वासन दिया था। लेकिन आज तक इस दर से राशि का भुगतान नहीं किया गया।
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