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प्रखंड पर्यटन दर्शनीय बिहार: जलप्रपातों से ऋतु शृंगार करती कैमूर पहाड़ी, 90 किलोमीटर में 12 झरने

Rohtas Tourist Place बिहार के रोहतास जिले में कैमूर पहाड़ियां अपने मनमोहक झरनों के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां 90 किलोमीटर के दायरे में फैले 12 झरने प्रकृति की जीवंतता का अनुभव कराते हैं। मांझर कुंड धुआं कुंड सीता कुंड तुतला भवानी जलप्रपात कशिश जलप्रपात सावन सोख जलप्रपात भूखी खोह जलप्रपात महादेव खोह जलप्रपात वंशी खोह जलप्रपात आदि प्रमुख झरने हैं।

By brajesh pathak Edited By: Yogesh Sahu Updated: Tue, 10 Sep 2024 08:27 PM (IST)
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Rohtas Tourist Place: एनएच 119 के किनारे तिलौथू से पांच किलोमीटर मां तुतला भवानी जलप्रपात।

ब्रजेश पाठक, सासाराम (रोहतास)। Prakhand Paryatan Darshniya Bihar : विंध्य पर्वत शृंखला का अंग कैमूर पहाड़ी प्रतिवर्ष जलप्रपातों से ऋतु शृंगार करती है। सुरम्य व हरी भरी वादियों के बीच पहाड़ी से गिरते झरने आपको अपलक निहारने को विवश कर देंगे।

कैमूर व रोहतास जिले के आठ प्रखंडों में पर्वत शृंखला का विस्तार है, इसके 90 किलोमीटर के दायरे में 12 झरने प्रकृति की जीवंतता व निरंतरता का अनुभव कराते हैं।

कहीं पांच सौ तो कहीं आठ सौ फीट की ऊंचाई से गिर रहे पानी की झर झर ध्वनि शांत वातावरण को सितार के तारों की तरह छेड़ती सुनाई देती है।

यह शोर नहीं, प्रकृति की स्वत: स्फूर्त ध्वनि है, जो आपके मन-मस्तिष्क को लंबे समय तक ऊर्जावान बनाए रखने में सक्षम है।

यहां पर्यटन के लिए बरसात में जुलाई से अक्टूबर माह के बीच की अवधि श्रेयस्कर है। यहां का हर जलप्रपात आपको कम से कम एक-एक दिन रोके रखने में सक्षम है।

अर्थात केवल जलप्रपात ही आपको 12 दिनों का टूर पैकेज बन सकता है। आवागमन के रास्ते कहीं-कहीं थोड़े पथरीले परंतु सुगम हैं।

जलप्रपातों के मार्ग में आप आध्यात्मिक व धार्मिक यात्रा का लाभ भी उठा सकते हैं। शक्तिपीठ के रूप में पूजित मां ताराचंडी, तुतला भवानी, ऐतिहासिक रोहतास किला परिसर स्थित भगवान शिव का चौरासन मंदिर, माता मुंडेश्वरी मंदिर जलप्रपातों के निकट ही हैं।

धुआं कुंड, सासाराम।

आप रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम से यात्रा की शुरुआत कर सकते हैं। सासाराम के अलावा तिलौथू, रोहतास, नौहट़्टा, चेनारी व कैमूर जिला के चैनपुर, अधौरा तथा भगवानपुर प्रखंड में ये जल प्रपात स्थित हैं।

यहां तक आवागमन के लिए रिजर्व वाहन सबसे किफायती व आरामदायक है। रास्ते भी बेहतर हो गए हैं। वाराणसी से कोलकाता जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो पर सासाराम स्थित है।

यहां ठहरने की व्यवस्था भी अच्छी है। यहां से यात्रा प्रारंभ कर 90 किलोमीटर के दायरे में आप एक दर्जन झरनों व जलप्रपातों को निहार सकते हैं।

मांझर कुंड, धुआं कुंड व सीता कुंड

सासाराम से पांच किलोमीटर की दूरी पर एनएच दो के रास्ते ताराचंडी धाम से पहाड़ी सड़क मांझर कुंड व धुआं कुंड के लिए जाती है।

51 शक्तिपीठों में से एक मां ताराचंडी का दर्शन कर यहां से छह किलोमीटर पर तीनों जलप्रपात हैं। धुआं कुंड में 130 फीट की ऊंचाई से पानी गहरी खाई में गिरता है, जो पत्थरों से टकराकर इतने महीन कणों में बंट जाता है कि धुआं का स्वरूप ले लेता है।

मांझर कुंड जलप्रपात।

इसे देखना काफी रोमांचकारी है। यहां से काव नदी भी निकलती है। यहां से चार सौ मीटर पहले मांझर कुंड में प्रकृति का लयबद्ध संगीत सुनने को मिलता है।

यहां का पानी औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। इसके चार सौ मीटर पहले सीता कुंड झरना है। मान्यता है कि वनवास के क्रम में मां सीता के चरण यहां पड़े थे। यह झरना भी रोमांच से परिपूर्ण है।

तुतला भवानी जलप्रपात।

तुतला भवानी जलप्रपात

मांझर कुंड से वापस एनएच दो पर ताराचंडी आने के बाद वहां से 17 किलोमीटर पर एनएच 119 के किनारे तिलौथू से पांच किलोमीटर दक्षिण रामडीहरा गांव के पास मां तुतला भवानी जलप्रपात है।

यहां पहाड़ी गुफा में मां सोणाक्षी तुतला भवानी के रूप में विराजमान हैं। यह स्थल भी 51 शक्तिपीठों में एक माना जाता है।

मंदिर के ठीक सटे पहाड़ी की चोटी से झरना गिरता है, जो नीचे कुंड में आता है। यहां का दृश्य अत्यंत मनोहारी है। यहीं से तुतराही नदी भी निकलती है।

कशिश जलप्रपात।

कशिश जलप्रपात

तुतला भवानी जल प्रपात से 10 किलोमीटर दक्षिण एनएच 119 पर कछुअर चाकडीह गांव के समीप कैमूर पहाड़ी के पास कशिश जल प्रपात है।

यह बिहार के प्रमुख जलप्रपातों में से एक है। यहां एक किलोमीटर पहले से ही पानी गिरने की गर्जना सुनाई पड़ने लगती है।

इस जलप्रपात का निर्माण चार धाराओं से होता है, जो देखने अनुपम लगता है। यहां 850 फीट ऊंचाई से पानी गिरता है। यहां पर्यटक वनभोज करना पसंद करते हैं।

सावन सोख जलप्रपात

कशिश जलप्रपात से 10 किलोमीटर पश्चिम-दक्षिण सावन सोख जलप्रपात मझियावां गांव के पास स्थित है। इस जलप्रपात के इर्द-गिर्द प्रकृति का अनगढ़ स्वरूप मन मोह लेता है।

भूखी खोह जलप्रपात

सावन खोह जलप्रपात से मात्र दो किलोमीटर दक्षिण भूखी खोह जल प्रपात स्थित है। यहां छह सौ फीट ऊंचाई से तेज धारा में पानी गिरता है। कैमूर पहाड़ी की हरी भरी सुरम्य घाटी के बीच यह जलप्रपात पर्यटन के नए केंद्र के रूप में विकसित हुआ है।

महादेव खोह जलप्रपात।

महादेव खोह जलप्रपात

नौहट्टा प्रखंड का महादेव खोह जलप्रपात भूखी खोह से दक्षिण तीन किलोमीटर पर सतियाड़ गांव के पास है। यहां अति प्राचीन शिवलिंग के दर्शन के साथ जलप्रपात की रमणीयता आस्था और रोमांच से पर्यटकों को भर देती है। इससे आगे वंशी खोह का जलप्रपात भी काफी रमणिक है।

विशिष्ट है देसी घी की मिठाइयां व जड़ी-बुटी युक्त पानी

इन क्षेत्रों में देसी घी से बनी मिठाइयां, भोजन और पहाड़ी जड़ी बुटी युक्त पानी सेहत के लिए भी लाभकारी माना गया है। यह सबके लिए खास है।

यहीं से आप रोहतास-अधौरा मार्ग होते रोहतास गढ़ किला, चौरासन मंदिर का दर्शन करते कैमूर जिला के करकटगढ़ और तेल्हाड़ जलप्रपात का भी भ्रमण कर लेंगे।

90 किलोमीटर में 12 जल प्रपात आपको कैमूर पहाड़ी बस बसे गांवों के स्वादिष्ट व्यंजन, आदिवासी संस्कृति तथा प्रकृति के बीच छुट्टी मनाने का अवसर प्रदान करते हैं।

ऐसे पहुंचें सासाराम

सासाराम राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो पर स्थित है। यहां पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से गया के बीच जाने वाली सभी प्रमुख ट्रेनों का ठहराव भी है।

यह वाराणसी से 120 किलोमीटर पूरब, गया से 150 किलोमीटर पश्चिम तथा राजधानी पटना से 160 किलोमीटर दक्षिण स्थित है। हवाई जहाज से यहां तीनों जगह से कार, कैब, ट्रेन, बस से पहुंचा जा सकता है।

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