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Pilot Baba: विंग कमांडर से कैसे 'पायलट बाबा' बनकर फेमस हो गए कपिल सिंह, दुनियाभर में किया सनातन का प्रचार

जूना अखाड़े के संत और महामंडलेश्वर पायलट बाबा मंगलवार को मुंबई के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। पायलट बाबा का जीवन काफी दिलचस्प रहा है। मां-पिता ने उनका नाम कपिल सिंह रखा था। वे भारतीय सेना में विंग कमांडर थे। कठोर साधना और तप ने उन्हें महामंडलेश्वर पायलट बाबा बना दिया था।

By Mohit Tripathi Edited By: Mohit Tripathi Updated: Thu, 22 Aug 2024 03:35 PM (IST)
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महामंडलेश्वर पायलट बाबा एक ऐसे संत का सफर, जिसने दुनियाभर में फैलाई सनातन संस्कृति की पताका।
जागरण संवाददाता, सासाराम। जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर पायलट बाबा के मंगलवार को मुंबई के निजी अस्पताल में ब्रह्मलीन होने के बाद सासाराम स्थित उनके आश्रम व पैतृक गांव नोखा प्रखंड के विशुनपुरा में शोक की लहर है। उनके भक्त अंतिम दर्शन के लिए हरिद्वार में उमड़ पड़े हैं।

देश के प्रमुख संतों में शुमार महायोगी पायलट बाबा को अपनी जन्मभूमि, राष्ट्र व सनातन धर्म से अगाध प्रेम था। सासाराम में बड़े भूभाग में आश्रम बनवाया, जहां महादेव, बुद्ध व श्रीराम की विशालकाय प्रतिमाएं स्थापित कराईं। यहां स्फटिक के शिवलिंग को भी प्रतिष्ठित किया।

विश्वभर में सनातन संस्कृति का किया प्रसार

उन्होंने विश्व के कई देशों में सनातन संस्कृति का प्रसार किया। उनके मार्गदर्शन में कई विदेशी शिष्य महामंडलेश्वर बन गए हैं।

शांति प्रसाद जैन कॉलेज सासाराम के पूर्व प्राचार्य व पायलट बाबा के शिष्य प्रो. डॉ. गुरुचरण सिंह ने बताया कि 15 जुलाई 1938 को उनका जन्म हुआ। मां-पिता ने उनका नाम कपिल सिंह रखा था। विशुनपुरा के बाबू चंद्रमा सिंह पिता थे।

विंग कमांडर से कैसे बने पायलट बाबा

उन्होंने कम उम्र में ही काशी हिंदू विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त कर ली थी। वायु सेना में विंग कमांडर के तौर पर पाकिस्तान और चीन युद्ध में शामिल हुए।

1971 में 33 वर्ष की आयु में उन्होंने सेना से त्यागपत्र देकर संन्यास धारण कर लिया और हिमालय में साधना के लिए चले गए। 16 वर्षों तक हिमालय की नंदा देवी घाटी में घोर तपस्या की।

सात वर्षों में हिमालय घाटी में आठ सौ कोस की यात्रा की। उनके प्रवचन से प्रभावित श्रद्धालु उनका अतीत जानकर पायलट बाबा कहने लगे। बाद में वे इसी नाम से प्रसिद्ध हुए।

160 देशों में फैले हैं अनुयायी

वे 110 बार तीन से 13 दिनों की भूमि व जल समाधि ले चुके थे। इसके माध्यम से उन्होंने भारतीय योग व साधना की असीम क्षमता को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया था। दुनिया के 160 देशों में उनके अनुयायी हैं।

पायलट बाबा के शिष्य पूर्व वार्ड पार्षद अतेंद्र सिंह बताते हैं कि पायलट बाबा को उनके आध्यात्मिक गुरु हरि बाबा का आशीर्वाद प्राप्त था। वे कभी जन्मभूमि को नहीं भूले।

सनातन व बुद्ध के संदेशों को किया प्रसारित

पायलट बाबा कहते थे कि इसी मिट्टी ने मानव सेवा के लिए उनका निर्माण किया है। उन्होंने सनातन के साथ भगवान बुद्ध के संदेशों को भी प्रसारित किया। वे दृढ़ता से कहते थे कि दुनिया को शांति का मार्ग केवल और केवल भारत से मिलेगा।

बाबा के धाम में दिखती है सनातन और राष्ट्र प्रेम की झलक 

पायलट बाबा धाम के अध्यक्ष व पूर्व एमएलसी कृष्ण कुमार सिंह बताते हैं कि यहां सनातन संस्कृति के साथ राष्ट्र प्रेम की झलक है। पैतृक गांव विशुनपुर में बाबा के नाम पर महिला कॉलेज है।

पायलट बाबा ने सासाराम के अलावा नेपाल के काठमांडू, हरिद्वार, नैनीताल, दिल्ली, अहमदाबाद, उत्तरकाशी समेत अन्य जगहों पर आश्रम व मंदिर बनवाए हैं।

पायलट बाबा ने कई पुस्तकों की रचना भी की है। कैलाश मानसरोवर, डिस्कवर द सीक्रेट्स आफ हिमालय के अलावा पर्ल्स ऑफ विजडम उनके प्रमुख ग्रंथ हैं।

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