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पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर्यावरण और परिवेश के लिए खतरा

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By JagranEdited By: Updated: Wed, 22 Apr 2020 06:12 AM (IST)
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पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर्यावरण और परिवेश के लिए खतरा

कहते हैं कि जो बोवोगे, वही काटोगे। जिले में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से उत्पन्न परिस्थितियों में यह कहावत सटीक बैठती है। जिले में सड़कों और नहरों के किनारे लगे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हुई है। यह पर्यावरण और परिवेश के लिए घातक साबित हो रहा है। पेड़ों की अंतहीन कटाई ने जहां मानवीय जीवन को प्रभावित किया है, वहीं असंतुलित मौसम चक्र को भी जन्म दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार मानव जीवन के लिए वनों का संरक्षण जरुरी है। अगर वनों की कटाई यूं ही होती रही, तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी पर मानव जीवन दुश्वार हो जाएगा। साथ ही जानवरों व पक्षियों के अस्तित्व पर भी संकट के बादल छा जाएंगे। कभी सासाराम से ताराचंडी रोड में घनकी जामुन के नाम से जाना जाने वाला इलाका आज विरान हो गया है। कहते हैं कि इस पथ पर इतने घने वृक्ष थे, कि एक पेड़ से दूसरे पेड़ के बीच कभी धूप आती ही नहीं थी। लेकिन तस्करों ने जिले के ऐसे कई इलाकों को वृक्ष विहीन कर दिया है। एक-एक कर गायब हो रहे हाइवे किनारे के पेड़ :

जिले से गुजर रही नेशनल हाइवे व स्टेट हाइवे के साथ ही नहरों व नदी तटों से पेड़ गायब हो रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इन पेड़ों को लकड़ी माफिया थोड़ा-थोड़ा कर किश्तों में काटते हैं। जिससे पेड़ तो खड़े रहते हैं, लेकिन धीरे-धीरे सूखते जाते हैं। अंत में रात में काटकर गिरा देते हैं।

औसतन छह मुकदमें हर माह हो रहे दर्ज :

एक ओर सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए करोड़ों रुपए खर्च पौधे लगवा रही है। वहीं दूसरी ओर लकड़ी माफिया पेड़ों को काट रहे हैं। हालांकि अभी तक पेड़ों के काटने वाले किसी संगठित गिरोह का भंडाफोड़ करने में पुलिस को सफलता नहीं मिली है। लेकिन अधिकारी भी मानते हैं कि ऐसे कई लोग हैं, जो निजी स्वार्थ के लिए वृक्षों का संहार कर रहे हैं। गत वर्ष तक औसतन हर माह आधा दर्जन मुकदमे दर्ज किए गए थे। इसमें कई वाहन भी जब्त किए गए हैं। वहीं डीएफओ कोर्ट में दर्जनों मामलों में निलाम वाद लंबित हैं।

कहते हैं अधिकारी :

पेड़-पौधों को बचाने के साथ-साथ वन संपदा की सुरक्षा के लिए विभाग तत्परता से काम कर रहा है। जिले को हरा-भरा बनाने के लिए इस वर्ष नौ लाख नए पौधों को लगाने का लक्ष्य रखा गया है। अमझोर व शिवसागर पौधशाला में लगभग 15 लाख पौधों की नर्सरी तैयार की जा रही है। वन अधिनियम का उल्लंघन करने वाले लोगों पर नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जा रही है। प्रद्युम्न गौरव, डीएफओ, रोहतास।

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