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Rohtas News: अमीर नहीं पर दिल बड़ा, फूस की कुटिया में रहकर बच्चों को दिया स्कूल; भूमिदाता की बात सुन हो जाएंगे भावुक

Rohtas News Today कहते हैं कि दान के लिए अमीर नहीं बल्कि दिल बड़ा होना चाहिए। प्रखंड के धनगाईं निवासी रामनरेश दुबे के कृतित्व पर यह उक्ति सटीक बैठती है। एक अति साधारण परिवार से जुड़े रामनरेश दुबे को लोग नागा बाबा के नाम से जानते हैं। अपने भले गांव के पास नटवार रोड में फूस की कुटिया बनाकर रहते हैं।

By Parth Sarthi Pandey Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Tue, 20 Feb 2024 04:26 PM (IST)
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फूस की कुटिया में रहकर बच्चों को दिया स्कूल (जागरण)

पार्थसारथी पांडेय, बिक्रमगंज (रोहतास)। Rohtas News: कहते हैं कि दान के लिए अमीर नहीं, बल्कि दिल बड़ा होना चाहिए। प्रखंड के धनगाईं निवासी रामनरेश दुबे के कृतित्व पर यह उक्ति सटीक बैठती है। एक अति साधारण परिवार से जुड़े रामनरेश दुबे को लोग नागा बाबा के नाम से जानते हैं।

अपने भले गांव के पास नटवार रोड में फूस की कुटिया बनाकर रहते हैं, लेकिन अपनी साढ़े चार डिसमिल काश्त जमीन अनुसूचित जाति टोले में शिक्षा की लौ जलाने के लिए दान कर दी।

धार्मिक प्रवृति के रामनरेश दुबे चारों धाम सहित कई प्रमुख तीर्थ स्थलों की यात्रा कर चुके हैं और पूजा-पाठ कराकर किसी तरह जीविकोपार्जन करते हैं।

तीन बीघा में से साढ़े चार डिसमिल जमीन किया दान 

संपत्ति के नाम पर उनके पास करीब तीन बीघा जमीन है, जिसमें से लगभग साढ़े चार डिसमिल जमीन डुमरिया अनुसूचित जाति बस्ती में थी। इस बस्ती के किसी अन्य जाति के एक भी लोग नहीं हैं। 2006 में यहां नवसृजित प्राथमिक विद्यालय अस्तित्व में आया, लेकिन विद्यालय भवन निर्माण में सबसे बड़ी बाधा थी भूमि की।

एक समय ऐसा लगा जैसे भूमि के अभाव में यह विद्यालय पास के विद्यालय में समायोजित हो जाएगा। अंतत: ग्रामीणों के अनुरोध पर राम नरेश दुबे उर्फ नागा बाबा ने सहर्ष अपनी सड़क किनारे की कीमती साढ़े चार डिसमिल जमीन विद्यालय खोलने के लिए दान दे दी। इतना ही नहीं सरकार के नाम से जमीन निबंधित कराने में लगने वाले खर्च को भी स्वयं ही वहन किया। इस विद्यालय में कुल 51 बच्चे अध्ययनरत हैं, और सभी अनुसूचित जाति के हैं।

क्या कहते हैं भूमिदाता

शिक्षा देश और समाज के विकास का सर्वोत्तम साधन है। इससे डुमरियां गांव वंचित हो रहा था। वहां सिर्फ अनुसूचित जाति के लोग हैं और उनके पास भूमि नहीं है। इसलिए निर्णय लिया कि भूमि के अभाव में यहां के लोग शिक्षा से वंचित नहीं रहेंगे। वे भी पढ़-लिखकर समाज और देश का नाम रौशन करेंगे। हालांकि इस बात का मलाल भी है कि कागज पर लिखे जाने के बावजूद उनका नाम अब तक विद्यालय के नाम में नहीं जोड़ा गया है।

रामनरेश दुबे उर्फ नागा बाबा, भूमि दाता

कहते हैं लोग :

डुमरिया गांव निवासी बबन राम कहते हैं कि नागा बाबा ने गांव के गरीब बच्चों के लिए बहुत महान कार्य किया है। उनके इस कृत्य के लिए पूरा गांव आभारी है। इसी गांव के रामाकांत पासवान, वकील पासवान, जनेश्वर पासवान, लवजी पासवान भी नागा बाबा के इस कार्य की तारीफ करते नहीं थकते हैं।

कहते हैं प्रभारी प्रधानाध्यापक 

राम नरेश दुबे ने भूदान कर यहां विद्यालय बनवा दिया। उनके इस कृत्य से यहां के नौनिहालों का भविष्य बनेगा। वे दिखने में भले ही साधारण हैं, लेकिन इस कृतित्व से उनका व्यक्तित्व महान हो गया है।

अजय कुमार, प्रभारी प्रधानाध्यापक

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