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Bihar News : चले आइए सासाराम... महादेव की भक्ति में डूबकर पहाड़ी और झरनों के बीच उठाएं इको टूरिज्म का अद्भुत आनंद

Bihar News बिहार के रोहतास जिले में भगवान भोलेशंकर के प्रति आस्था रखने वाले भक्त गुप्तेश्वर धाम खिंचे चले आते हैं। यह एक पौराणिक शिव स्थल है। यहां सासाराम में पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं। यहां कैमूर पहाड़ी और उसके आसपास का वन क्षेत्र के साथ सुंदर झरनों के नजारे इको टूरिज्म की अविस्मरणीय अनुभूति प्रदान करते हैं।

By brajesh pathakEdited By: Yogesh SahuUpdated: Fri, 03 Nov 2023 07:33 PM (IST)
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Bihar News : चले आइए सासाराम... महादेव की भक्ति में डूबकर पहाड़ी और झरनों के बीच उठाएं इको टूरिज्म का अद्भुत आनंद

ब्रजेश पाठक, सासाराम। Bihar News : भोलेशंकर के प्रति आस्था की बात होती है तो द्वादश ज्योतिर्लिंग के साथ कैलास मानसरोवर और आदि कैलास की यात्रा का चित्र तत्काल मनमंदिर में उभरता है, लेकिन कई अन्य शिवधाम भी श्रद्धा के प्रमुख केंद्र हैं।

बिहार के रोहतास जिले में स्थित गुप्तेश्वर धाम (Gupteshwar Dham) भी ऐसा ही पौराणिक शिव स्थल है जहां की यात्रा प्राकृतिक जलाभिषेक के बीच शिवलिंग के दर्शन-पूजन के साथ पहाड़ी रास्ते से सघन वन और झरनों के बीच इको टूरिज्म की अविस्मरणीय अनुभूति कराती है।

मानों इतना ही पर्याप्त न हो तो आसपास आपको नौकायन, अप्रतिम नैसर्गिक सौंदर्य और ट्रेकिंग का रोमांच (eco tourism) अनुभव करने का अवसर भी मिलता है।

कैमूर पर्वत श्रृंखला पर अवस्थित शेरगढ़ किला। फोटो- जागरण

गुफा के भीतर अलौकिक जगत

कैमूर पहाड़ी (Kaimur Hill) की दुरूह गुफा में अवस्थित गुप्तेश्वर धाम सीधे देवाधिदेव महादेव तक पहुंचने का पग-पग पर अनुभव कराता है। इस दिव्य स्थल के नाम की कहानी महादेव के वरदान से किसी को भी भस्म करने की अलौकिक शक्ति प्राप्त राक्षस भस्मासुर के अंत से जुड़ी है।

इसी गुफा में मोहिनी रूप धारण कर भस्मासुर को उसी के हाथों भस्म कराने के बाद से महादेव प्राकृतिक शिवलिंग के रूप में यहां स्थापित हैं। प्रवेश द्वार पर बने गुफा भवन की संरचना विशालता का भान नहीं कराती, लेकिन लोहे की ग्रिल के बाद 25 सीढ़ियां चढ़ने पर लगभग सात फीट ऊंचे गुफा के मुहाने के बाद का जगत अलौकिक है।

कैमूर पर्वत श्रृंखला पर अवस्थित शेरगढ़ किला। फोटो- जागरण

कहीं विशाल स्थान तो कहीं संकरा

गुफा (Cave) के अंदर अनगढ़ ढली फर्श के चुभने वाले रास्तों में इसकी विशालता के दर्शन होते हैं। कहीं ऊंचाई पांच-छह फीट तो कहीं 50-60 फीट है। कहीं एक हजार शिव भक्तों को समाने की क्षमता वाला प्रकृति प्रदत्त हाल तो कुछ ही मीटर आगे कुछ लोगों के लिए सहज खड़े रहना भी दुश्कर।

लोहे की ग्रिल के बीच शिवलिंग के दर्शन होते हैं। भगवान व भक्त के बीच सीधा संपर्क, कोई पुजारी, महंत नहीं। शिवलिंग में कई खांचे हैं, भक्त कहीं कनेल, गेंदा या कमल के फूल सजा देते हैं तो शीर्ष पर बेलपत्र चढ़ा देते हैं।

प्रभु से आग्रह कर भक्त ग्रिल पर ताले और लाल धागा बांधते हैं। शिवलिंग पर पत्थर की दरारों से रिसते बूंद-बूंद जल से महादेव का प्राकृतिक जलाभिषेक होता रहता है।

कैमूर पर्वत श्रृंखला पर अवस्थित शेरगढ़ किला। फोटो- जागरण

18 किमी में सात बार पार करें एक ही नदी

गुप्तेश्वर धाम पहुंचने के लिए कैमूर और रोहतास जिले की सीमा पर पर्वत शृंखला से घिरे दुर्गावती जलाशय के एक छोर पर पहाड़ को काटकर मौरंग व पत्थर से बनाए गए 18 किमी लंबे रास्ते के किनारे बेल के पेड़, कनैल के फूल, धतूरे के फल व फूल खिले मिल जाएंगे।

रास्ते में पहाड़ी गाएं और पशुपालक मिलते हैं जो आग्रह करने पर तत्काल दुह कर 100 मिलीलीटर दूध अभिषेक के लिए दे देते हैं। एक बड़ा झरना और दर्जन भर छोटे झरने हैं।

यात्रा में एक ही नदी आपको सात बार पार करनी होगी, आश्चर्य यह कि हर बार प्रवाह एक-दूसरे की विपरीत दिशा में मिलेगा। कम ग्राउंड क्लियरेंस के वाहन फंस सकते हैं। बड़े चक्के के वाहन सुरक्षित हैं।

गुप्तेश्वर धाम में दर्शन करने पहुंचे भक्त। फोटो- जागरण

ऐसे पहुंच सकते हैं

गुप्तेश्वर धाम दिल्ली-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा है। वाराणसी से आगे बिहार में शिवसागर नामक स्थान से चेनारी होते हुए करीब 40 किमी दूर दुर्गावती जलाशय है। सड़क हर जगह अच्छी है। दुर्गावती से धाम जाने का पहाड़ी रास्ता आरंभ होता है। विश्राम के लिए चेनारी में कई होटल व गेस्ट हाउस हैं।

गुप्तेश्वर महादेव शिवलिंग। फोटो- जागरण

सूर्योदय-सूर्यास्त का दृश्य अदभुत, नौकायन और ट्रेकिंग भी

सितंबर से मार्च तक आप दुर्गावती जलाशय में नौकायन कर कश्मीर की डल झील सरीखा अनुभव करेंगे। चारों ओर कैमूर पर्वत शृंखला, हरियाली, औषधीय पौधों से टकरा कर आती शुद्ध प्राणवायु तरोताजा कर देगी।

जलाशय के पुल से सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य अद्भुत (eco tourism) दिखता है। सूरज सुलग चुके कोयले की तरह लाल और बेहद निकट प्रतीत होता है।

सूर्योदय के उल्लास और सूर्यास्त के विछोह को आप पेड़-पौधों की परछाइयों, पक्षियों के कलरव, अठखेलियां करती मछलियों और हवाओं की सरसराहट में अनुभव कर सकते हैं।

दुर्गावती जलाशय से शेरगढ़ का दृश्य। फोटो- जागरण

ट्रेकिंग के शौकीन हैं तो कैमूर पहाड़ी पर ऐतिहासिक शेरगढ़ किला देखने अवश्य जाएं। 15 सौ फीट की ऊंचाई पर स्थित किले में वर्ष शेरशाह की सेना की टुकड़ी छिपकर रहती थी। घने जंगल के बीच किला तीन परकोटों से निर्मित है। जल्द यहां कई सुविधाएं होंगी।

दुर्गावती जलाशय। फोटो- जागरण

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