कोख के बच्चों को भी मिली मजदूरी, बेटी के सम्मान में बनवाया सरोवर; गर्भवतियों को ये कारण बताकर दिए दोगुने पैसे
Shivlok Sarovar आज हम आपको एक ऐसे तालाब के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके निर्माण में गर्भवती महिलाओं को दोगुनी मजदूरी मिली थी। दूसरी मजदूरी गर्भ में पल रहे बच्चे के पोषण में कोई कमी न हो इसके लिए दी गई है। इस किस्से का उल्लेख फ्रांसिसी सर्वेयर बुकानन ने भी 1812 में अपनी यात्रा के दौरान किया।
By Pramod TagoreEdited By: Aysha SheikhUpdated: Mon, 02 Oct 2023 03:22 PM (IST)
प्रमोद टैगोर, संझौली (रोहतास)। यह समाज और बेटियों के सम्मान का एक अद्वितीय उदाहरण है। एक बेटी के नाम की सुंदर यादें इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुकी हैं। दरअसल, लड़केवालों ने जब दहेज नहीं लिया तो बेटी के सम्मान में सरोवर ही खोदवा दिया गया। हम संझौली के शिवलोक सरोवर की बात कर रहे हैं।
नोखागढ़ के जमींदार घराने द्वारा 1700 में अपनी बेटी के सम्मान में इस तालाब की खोदाई कराई गई थी। तब तालाब की खोदाई में गर्भवती महिलाओं ने भी काम किया था, जिन्हें दोगुनी मजदूरी मिली थी। दोगुनी मजदूरी के पीछे कहा गया था कि दूसरी मजदूरी गर्भ में पल रहे बच्चे के पोषण में कोई कमी न हो इसके लिए दी गई है।
गंगा से सरोवर में छोड़ी गई मछलियां
जमींदार घराने के सदस्य व नोखा गढ़ निवासी सुदर्शन सिंह बताते हैं कि 32.50 एकड़ में फैले इस तालाब की खोदाई के बाद गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी सहित देश की करीब सभी नदियों का जल लाकर डाला गया था।गंगा से मछलियां सरोवर में छोड़ी गई थी। जिसके कारण लोग यहां की मछलियों को नहीं खाते, उनके मर जाने पर हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार उसकी अंतिम संस्कार भी करते हैं।
दहेज नहीं लेने पर बेटी के लिए खोदवाया गया था तालाब
नोखागढ़ जमींदार घराने के वर्तमान पीढ़ी के बालाजीत सिंह बताते हैं कि उनके पूर्वज द्वारा 1700 में अपनी बेटी राजमति की शादी बड़ोखर (इलाहाबाद) के राजघराने में हुई थी। उन लोगों ने दहेज को समाज के लिए कलंक बताकर बेटी के यहां से कोई सामग्री या रुपये लेने से मना कर दिया था।बेटी के पिता भी प्रतिष्ठित जमींदार थे। वे बेटी को बिना कुछ दिए कैसे रह सकते थे। शादी के कुछ दिनों बाद लड़केवालों ने अपनी बहु को खोइंछा में सोने की मछली दे विदा किया, जिसका अर्थ था कि अगर बहू के घरवाले तोहफा के रूप में कुछ देना चाहते हैं तो अपनी बेटी के सम्मान के लिए अपने ही क्षेत्राधिकार में तालाब की खोदाई करवा दें। जमींदार घराने के लोग बताते हैं कि तालाब खोदाई के बाद ससुराल से खोइंछा में मिली मछली को भी डाली गई थी।
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