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रोहतास: टीबी लील गई एक परिवार के छह लोगों की जिंदगी, झाड़-फूंक से इलाज के चक्कर में अकेली रह गई 8 साल की बच्ची

झाड़-फूंक के चक्कर एक परिवार उजड़ गया। टीबी रोग ने इस परिवार के छह लोगों की जिंदगी छीन ली। अब इस परिवार की एक बच्ची बची है जो कि अपने चाचा-चाची के साथ रहती है। खीरीयांव पंचायत अंतर्गत गनौरी बिघा गांव का यह मामला है।

By Humayan husainEdited By: Yogesh SahuUpdated: Fri, 20 Jan 2023 10:43 PM (IST)
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कृष्णा की मौत के बाद उनके घर पहुंचे पड़ोसी।

संवाद सूत्र, नासरीगंज (रोहतास)। टीबी यानी क्षयरोग की चपेट में आकर प्रखंड क्षेत्र के खीरीयांव पंचायत अंतर्गत गनौरी बिघा गांव में एक पूरा परिवार ही उजड़ गया। परिवार के मुखिया 48 वर्षीय कृष्णा चौधरी की भी शुक्रवार को मौत हो गई। अब इस परिवार की एकमात्र सदस्य आठ वर्षीया बच्ची प्रीति बची हुई है।

चिकित्सकों की मानें तो यह बीमारी आज के समय में लाइलाज नहीं रही। बावजूद इसके समाज में बेइज्जती होने व झाड़ फूंक कराकर ठीक होने के चक्कर में एक भरा पूरा परिवार ही मौत के मुंह में समाता चला गया। मृतक के भाई दिनेश चौधरी ने बताया की कृष्णा चौधरी का 18 वर्षीय पुत्र श्री भगवान अपनी मौसी के यहां सिक्किम में रहकर दसवीं की पढ़ाई करता था।

दिनेश ने बताया कि जब वो वहां से लौटा तो टीबी से ग्रसित था। धीरे-धीरे यह बीमारी परिवार के अन्य सदस्यों में भी फैल गई। सबसे पहले वर्ष 2020 में श्री भगवान की मौत हो गई। इसके बाद कृष्णा की सबसे बड़ी बेटी शांति देवी, शोभा कुमारी व तीसरी बेटी का कुछ समय अंतराल में निधन हो गया।

बीती 28 दिसंबर को कृष्णा की पत्नी का भी निधन हो गया। परिवार के सात सदस्यों में से पांच की मौत पांच वर्षों के अंतराल में हो गई। शुक्रवार दोपहर बाद परिवार के मुखिया कृष्णा ने भी दम तोड़ दिया। पंचायत की मुखिया मंजू देवी ने बताया कि बीमारी को छिपाकर इलाज ना कराना व झाड़ फूंक के चक्कर में समस्या गंभीर होती गई।

परिवार को सामाजिक संगठन के लोगों ने हरसंभव मदद का प्रयास किया, लेकिन बीमारी अंतिम चरण में होने की वजह से किसी को भी बचाया नहीं जा सका। परिवार में बची एकमात्र सदस्य प्रीति अपने चाचा-चाची के साथ रहने की वजह से इस बीमारी से फिलहाल बची हुई है।

इस संबंध में पीएचसी एमओआईसी डा. एनके आर्या ने बताया कि उक्त परिवार को इलाज के लिए लाने के लिए कई बार एम्बुलेंस भेजी गई, लेकिन उन लोगों ने आने से मना कर दिया। इससे उन्हें बेहतर चिकित्सकीय सुविधा नहीं मिल पाई।

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