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बिहार के इस जंगल में है खजाने की भरमार, डायबिटीज से ब्‍लड प्रेशर तक का मिलेगा इलाज

Bihar News बिहार में कैमूर की पहाड़ियों में जड़ी-बूटियों का भंडार है। यहां का एक-एक पौधा औषधीय गुण से भरपूर है। हालांकि ग्रामीणों को इनकी उपयोगिता के बारे में उतनी जानकारी नहीं है इसलिए ये ठगे जा रहे हैं। जड़ी बूटियों के खरीदार औने पौने दामों में इन्‍हें खरीद कर बाहर के राज्यों में ऊंची कीमतों पर आपूर्ति कर रहे हैं।

By Vinayk Kumar Pathak Edited By: Arijita Sen Updated: Tue, 05 Mar 2024 05:15 PM (IST)
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कैमूर की पहाड़ी पर जड़ी-बूटियों की है भंडार
विनय पाठक, नौहट्टा (रोहतास)। सोन नदी के कछार व कैमूर पहाड़ी में आयुर्वेदिक दवाओं के प्रयोग में आने वाली जड़ी बूटियों का भंडार है। ये जड़ी बुटियां कई रोगों के उपचार के लिए रामबाण हैं। इन जड़ी बुटियों में आंवला, हर्रे, बहेरा, गोक्षुर, गुड़मार, निर्गुंडी, वन प्याज समेत अन्य वनोत्पाद शामिल हैं। हालांकि उसकी उपयोगिता व महत्व की जानकारी नहीं होने से वनवासी ठगे जा रहे हैं।

हर तरह की बीमारी का यहां मिलेगा इलाज

वे बस इतना जानते हैं कि यह दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। जड़ी बूटियों के खरीदार औने पौने दामों में खरीद कर बाहर के राज्यों में आपूर्ति कर रहे हैं। किडनी, हार्ट, फेफड़ा से संबंधित बीमारी, कफ ,ज्वर ,मधुमेह कमजोरी, पेट दर्द ,रक्तचाप ,महिलाओं की आंतरिक बीमारी तथा विषरोधी सहित विभिन्न रोगों की दवाएं यहां की जड़ी बूटियों से बनाई जा सकती हैं। 

जानकार बताते हैं कि कैमूर पहाड़ी के जंगल में आंवला, हर्रे, बहेरा से त्रिफला चूर्ण तैयार होता है जो शरीर में गैस नही बनने देता है तथा पेट संबंधी रोगों को नियंत्रित करता है। करील व जंगली बांस की जड़ से होकर गुजरने वाला पानी हृदयरोगी व उच्च रक्तचाप वाले मरीजों को ठीक करने में सहायक है। गुड़मार मधुमेह जैसी बीमारी को नियंत्रित करता है। मकोर का प्रयोग लीवर की बीमारी में किया जाता है। अर्जुन, हरसिंगार आदि स्वास्थ्य को ठीक रखने में सहायक है।

यहां का हर एक पौधा गुणों से भरपूर

जानकार बताते हैं कि कैमूर पहाड़ी का क्षेत्र वन औषधीय से भरा पड़ा हुआ है। यहां के एक-एक पौधे वनौषधि हैं। यहां पर पाए जाने वाले वनौषधि से कई रोगों की अचूक दवा बनाई जा सकती है। दुर्भाग्य है कि यहां पर कोई भी दवा का निर्माण नहीं हो पा रहा है।

कहते हैं चिकित्सक

आयुर्वेदिक पद्धति से बनने वाले आसव, चूर्ण, रस रसायन समेत अनेक दवाइयां इस क्षेत्र में भी बन सकती है। कंटकारी, निर्गुंडी, विजया, अर्जुन, कहुआ, अंवाला, हर्रे, बहेरा, अमलतास आदि वनौषधीय से दवा निर्माण हो तो अच्छी कीमत भी मिलेगी। इसके अलावा फूलधवई वनौषधि इस क्षेत्र से तस्करों द्वारा दवा कंपनियों को बेची की जाती है। कहा कि आयुर्वेदिक दवा संपूर्ण रूप से स्वास्थ्य लाभ करता है-  डा. रामबचन मिश्र, आयुर्वेदाचार्य व वरिष्ठ चिकित्सक।

कहते हैं लोग

समाजसेवी राहुल दुबे, ऋषिकांत दुबे, रणधीर कुमार समेत अन्य ने बताया कि यहां पर पाए जाने वाले वनौषधि को लेकर शोध होना जरूरी है। इसके साथ ही आयुर्वेदिक दवा उद्योग नौहट्टा व रोहतास प्रखंड में स्थापित होनी चाहिए। पशुपालकों द्वारा पशुओं की बीमारी में भी जंगली जड़ी बूटी देकर इलाज किया जाता है। सरकार द्वारा यहां महत्व दिया जाए तो यहां रोजगार के भी नए अवसर प्राप्त हो जाएंगे।

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