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बिहार की इस पहाड़ी में मौजूद है प्राकृतिक खजाने का भंडार, किडनी से लेकर हार्ट तक का मिलेगा रामबाण इलाज

बिहार में कैमूर की पहाड़ियों में जड़ी-बूटियों का भंडार है। इन पहाड़ियों में मौजूद हर-एक पौधा औषधीय गुण से भरपूर है। लेकिन ग्रामीणों को इनकी उपयोगिता के बारे में उतनी जानकारी नहीं है इस कारण ये ठगे जा रहे हैं। जड़ी बूटियों के खरीदार औने पौने दामों में इन्‍हें खरीद कर बाहर के राज्यों में ऊंची कीमतों पर आपूर्ति कर रहे हैं।

By Vinayk Kumar Pathak Edited By: Mohit Tripathi Updated: Wed, 06 Mar 2024 07:05 PM (IST)
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किडनी से लेकर हार्ट तक का मिलेगा रामबाण इलाज । (फाइल फोटो)
विनय पाठक, (नौहट्टा) रोहतास। सोन नदी के कछार व कैमूर पहाड़ी में आयुर्वेदिक दवाओं के प्रयोग में आने वाली जड़ी बूटियों का भंडार है। ये जड़ी बुटियां कई रोगों के उपचार के लिए रामबाण हैं। इन जड़ी बुटियों में आंवला, हर्रे, बहेरा, गोक्षुर, गुड़मार, निर्गुंडी, वन प्याज समेत अन्य वनोत्पाद शामिल हैं।

हालांकि उसकी उपयोगिता व महत्व की जानकारी नहीं होने से वनवासी ठगे जा रहे हैं। वे बस इतना जानते हैं कि यह दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है ।जड़ी बूटियों के खरीदार औने पौने दामों में खरीद कर बाहर के राज्यों में आपूर्ति कर रहे हैं।

यहां मिलेगा हर बीमारी का इलाज

औषधीय पौधों के जानकार व आयुर्वेदाचार्य डॉ. राम बचन मिश्र बताते हैं कि कीडनी, हृदय, फेफड़ा से संबंधित बीमारी, कफ ,ज्वर ,मधुमेह, कमजोरी, पेट दर्द ,रक्तचाप, महिलाओं की आंतरिक बीमारी तथा विषरोधी सहित विभिन्न रोगों की दवाएं कैमूर पहाड़ी पर मिलने वाली जड़ी बूटी तथा औषधीय पौधों से बनाई जा सकती हैं।

कैमूर पहाड़ी के जंगल में आंवला, हर्रे, बहेरा से त्रिफला चूर्ण तैयार होता है। करील व जंगली बांस की जड़ से होकर गुजरने वाला पानी हृदयरोगी व उच्च रक्तचाप वाले मरीजों को ठीक करने में सहायक है। गुड़मार मधुमेह जैसी बीमारी को नियंत्रित करता है।

मकोर का प्रयोग लीवर की बीमारी में किया जाता है। अर्जुन, हरसिंगार आदि स्वास्थ्य को ठीक रखने में सहायक है। आयुर्वेदिक पद्धति से बनने वाले आसव, चूर्ण, रस रसायन समेत अनेक दवाइयां इस क्षेत्र में भी बन सकती हैं। कंटकारी, निर्गुंडी, विजया, अर्जुन, कहुआ, अंवाला, हर्रे, बहेरा,अमलतास आदि वनौषधीय से दवा निर्माण हो तो अच्छी कीमत भी मिलेगी।

तस्करों द्वारा कंपनियों को बेची की जाती है दुर्लभ औषधि

दुर्भाग्य है कि यहां पर कोई भी दवा का निर्माण नहीं हो पा रहा है। राहुल दुबे, ऋषिकांत दुबे, रणधीर कुमार समेत अन्य ने बताया कि फूलधवई वनौषधि इस क्षेत्र से तस्करों द्वारा दवा कंपनियों को बेची की जाती है। आयुर्वेदिक दवा संपूर्ण रूप से स्वास्थ्य लाभ करता है।

क्या कहते हैं सांसद

कैमूर पहाड़ी पर आयुर्वेदिक शोध संस्थान और दवा निर्माण के लिए संसद में भी मामला उठाया हूं। साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को पत्र भी लिखा हूं। अगर जड़ी बुटियों और औषधीय पौधों को बचाकर वनवासियों को इस कार्य में लगाया जाएए तो उन्हें रोजगार का नया अवसर भी मिलेगा।-छेदी पासवान, सांसद-सासाराम

कहते हैं वन अधिकारी

कैमूर पहाड़ी पर जड़ी बुटियों व औषधीय पौधे काफी संख्या में है। इससे काफी आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण हो सकता है। हालांकि इन औषधीय पौधों की नीलामी विभाग द्वारा नहीं की जाती है। जब्त होने पर इसकी नीलामी की जाती है। -हेमचंद्र मिश्र, रेंजर - रोहतास वन क्षेत्र कार्यालय

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