Anand Mohan Singh: 15 साल काटी जेल, ऐसे हुआ रिहाई का रास्ता साफ; सरकार की सफाई और IAS एसोसिएशन का विरोध
इस मामले में 14 साल की जेल की सजा पूरी होने के बावजूद सरकारी सेवक की हत्या का दोषी होने के कारण उन्हें रिहाई नहीं मिल पा रही थी। जेल मैनुअल में बदलाव को दस अप्रैल को ही कैबिनेट से स्वीकृति मिल गई थी।
By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Fri, 28 Apr 2023 05:33 AM (IST)
सहरसा, जागरण संवाददाता। पूर्व सांसद आनंद मोहन गुरुवार को बिहार की सहरसा जेल से रिहा हो गए। 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी (डीएम) जी. कृष्णैया की हत्या में उन्हें आजीवन कारावास की सजा हुई थी। वे 15 वर्ष से अधिक कैद की सजा काट चुके हैं। जेल मैनुअल में हुए एक संशोधन के बाद उनकी रिहाई का मार्ग प्रशस्त हुआ। पूर्व सांसद की रिहाई की अधिसूचना उनके पेरोल की अवधि के दौरान ही जारी हुई। जेल अधीक्षक अमित कुमार ने बताया कि गुरुवार की सुबह आनंद मोहन को रिहा कर दिया गया। आनंद मोहन 15 दिनों की पेरोल पर बाहर निकलने के बाद बुधवार की शाम को वापस जेल चले गए थे।
ऐसे हुआ रिहाई का रास्ता साफबिहार जेल मैनुअल के नियमों में किए गए बदलाव के बाद काम के दौरान सरकारी सेवकों की हत्या करने वाले बंदियों को भी सशर्त स्थाई परिहार मिलने से आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हुआ। इस मामले में 14 साल की जेल की सजा पूरी होने के बावजूद सरकारी सेवक की हत्या का दोषी होने के कारण उन्हें रिहाई नहीं मिल पा रही थी। जेल मैनुअल में बदलाव को दस अप्रैल को ही कैबिनेट से स्वीकृति मिल गई थी। बिहार कारा हस्तक के प्रावधान में दर्ज काम पर तैनात सेवक की हत्या के वाक्यांश को हटा दिया गया। इसका लाभ दस वर्ष की सजा प्राप्त बंदियों को मिलेगा, जिन्होंने पहली बार अपराध किया हो।
सरकार ने दी सफाईइस मसले को लेकर सरकार ने सफाई दी। प्रदेश के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई जेल नियमों के तहत हुई है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जो लंबे समय से चली आ रही है।
सजा में लोक सेवक और आम नागरिक का अंतर हटा मुख्य सचिव ने बताया कि जेल मैनुअल के एक नियम को हटाया गया है। जो काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या में आजीवन कारावास की सजा पाकर विभिन्न काराओं में बंद हैं उनके लिए परिहार नीति का पुनर्निर्धारण करने के लिए नियमों में संशोधन किया गया है। संशोधन के बाद लोक सेवक और आम नागरिक की हत्या के मामले में दोषियों पर एक नियम चलेगा।
साल 2012 में बना नया मैनुअल मुख्य सचिव ने कहा कि बिहार का नया जेल मैनुअल 2012 में बना। नियम 474 से 487 में बंदियों की रिहाई के संबंध में विस्तार से प्रक्रिया दी गई है। आजीवन कारावास प्राप्त व्यक्ति को कम से कम 14 वर्ष की अवधि बिताने के बाद ही रिहा करने पर विचार होता है। परिहार की अवधि कुल मिलाकर 20 वर्ष होनी चाहिए। पिछले दिनों इसी नियम पर 27 बंदियों की रिहाई का आदेश हुआ है। आनंद मोहन 15 वर्ष 9 माह 25 दिन जेल में बिता चुके हैं। परिहार समेत यह अवधि 22 वर्ष 13 दिन की हो चुकी है। उन्होंने बताया कि दंडादेश परिहार पर्षद के अध्यक्ष गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव होते हैं। बंदी को रिहा करने के पूर्व जिला एसपी और ट्रायल कोर्ट के जज से भी मंतव्य लिया जाता है। साथ ही यह जांच भी होती है कि जिस व्यक्ति को छोड़ा जा रहा है उससे समाज पर बुरा प्रभाव तो नहीं पड़ेगा। इसके बाद ही रिहाई होती है।
आंध्र प्रदेश आइएएस एसोसिएशन ने किया विरोध पूर्व सांसद आनंद मोहन को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले का आंध्र प्रदेश आइएएस एसोसिएशन ने विरोध किया है। आनंद मोहन को 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। एसोसिएशन ने बिहार सरकार से अनुरोध किया है कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।सोमवार को बिहार सरकार ने आनंद मोहन समेत 27 कैदियों की रिहाई के संबंध में अधिसूचना जारी की थी। जेल मैनुअल में संशोधन के बाद उनकी रिहाई का मार्ग प्रशस्त हुआ था। आंध्र प्रदेश आइएएस एसोसिएशन ने एक बयान जारी कर कहा, जी कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या में दोषी करार दिए गए व्यक्ति को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर हम कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हैं।
आंध्र प्रदेश के एक सामान्य परिवार में जन्मे कृष्णैया अपने धैर्य और दृढ़ संकल्प के बल पर आइएएस अधिकारी बने और उन्हें बिहार कैडर आवंटित किया गया। एक आइएएस अधिकारी के रूप में उन्होंने हमेशा गरीबों और वंचितों के पक्ष में फैसले लिए। यहां तक कि जिस समय उनकी नृशंस हत्या हुई, वे बाडीगार्ड को भीड़ से बचाने का प्रयास कर रहे थे।कृष्णैया की पत्नी ने फिर की मुर्मु व मोदी से दखल देने की अपील
पूर्व सांसद आनंद मोहन की सहरसा जेल से रिहाई पर कड़ी आपत्ति जताते हुए जी कृष्णैया की पत्नी जी. उमा कृष्णय्या ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मामले में दखल देने की फिर से अपील की है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को सीएम नीतीश कुमार से बात कर आनंद मोहन को फिर से जेल में भेजने के लिए कहना चाहिए। उन्होंने हत्या के दोषी को जेल से रिहा करने के फैसले को गलत बताया। राज्य सरकार ने दस अप्रैल को जेल मैनुअल के परिहार नियमों में बदलाव को कैबिनेट की स्वीकृति दी थी।
जी. कृष्णैया की पत्नी व बेटी से मिलने चेतन जाएंगे हैदराबादपूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई को लेकर कृष्णैया की बेटी जी. पद्मा और पत्नी उमा ने कड़ा विरोध जताया है। वहीं, आनंद मोहन के पुत्र व राजद विधायक चेतन आनंद ने कहा है कि वे जल्द हैदराबाद जाकर जी. कृष्णैया की पत्नी उमा और पुत्री पद्मा से मिलकर दु:ख को साझा करेंगे। दिवंगत जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की पुत्री पद्मा ने कहा कि राज्य सरकार का यह निर्णय गलत है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। यदि वे पुनर्विचार नहीं करेंगे तो वे इस मामले को वे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के समक्ष ले जाएंगी। आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद का कहना है कि पति की रिहाई की खुशी को वे शब्दों में बयां नहीं कर सकती हैं। सब लोगों की दुआ का ही प्रतिफल है कि उन्हें जेल से बाहर निकाला गया। 15 वर्षों तक उनके घर में ना होली मनी और ना ही दीवाली। उन्होंने कहा कि यह बच्चा-बच्चा जानता है कि जी. कृष्णैया हत्याकांड में निर्दोष आनंद मोहन को फंसाया गया था।
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