Bihar Flood: बाढ़ से अरमानों पर लगा अंकुश, आपदा में उजड़ा घर अब कैसे उठेगी बेटी की डोली
बिहार में बाढ़ ने तबाही मचाई है और कई लोगों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। बाढ़ से कई बेटियों की शादी का मंडप नहीं सज पाएगा। इनकी डोली उठने की खुशी मायूसी में बदल चुकी है। बाढ़ ने पिता की जमा पूंजी और फसलों को बहा दिया है। इन हालात में कई गांवों की करीब एक दर्जन बेटियों की शादी पर ग्रहण लग गया है।
संसू, नवहट्टा (सहरसा)। कोसी नदी की बाढ़ ने न केवल घर-बार उजाड़ा, बल्कि कई अरमानों को भी बहा ले गई। इस आपदा के बाद कई बेटियों की शादी का मंडप फिलहाल नहीं सज पाएगा। इनकी डोली उठने की खुशी मायूसी में बदल चुकी है।
बाढ़ ने पिता की जमा पूंजी और फसलों को बहा दिया। इन हालात में केदली, बकुनियां, हाटी आदि गांवों की करीब एक दर्जन बेटियों की शादी पर ग्रहण लग गया है। इन गांवों में नवंबर में कई लड़कियों की शादी होनी थी।
तैयारियां जोरों पर थीं, लेकिन बाढ़ ने अरमानों पर पानी फेर दिया। रामपुर गांव के रामकुमार साह किसान हैं। कुछ बीघा जमीन पर पूरे परिवार का खर्च चलता है। उन्होंने बेटी की शादी तय होने के बाद बड़े अरमान से खेतों में फसल लगवाई थी।
बाढ़ में सारी फसल बर्बाद हो गई
फसल बेचकर जो पैसे मिलते, उनमें से कुछ शादी में भी इस्तेमाल किया जाता। कोसी की उफान में रामकुमार की सारी फसल बर्बाद हो गई। रामकुमार ने बताया कि अब भगवान पर ही आसरा है। इस लगन में तो बेटी की डोली नहीं उठ सकती।
बांध पर अब अस्थायी रूप से रह रहीं कुछ महिलाओं ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में कोई रिश्ता तय करने के लिए तैयार नहीं होता है। रमा देवी ने बताया कि उनकी बेटी सयानी हो गई है।
...तो ससुराल के नाम पर कुछ भी नहीं बचेगा
पिछले चार वर्ष से रिश्ता देख रहे हैं। लड़के वाले कहते हैं कि लड़के की ससुराल बाढ़ में बह गई तो ससुराल के नाम पर कुछ नहीं बचेगा। इन गांवों में आने-जाने में भी परेशानी होती है।
सीता देवी ने बताया कि उनकी बेटी का एक जगह रिश्ता तय था, लेकिन बाढ़ के बाद अब शादी संभव नहीं है। घर और फसल तो बाढ़ बहा ले गई, अब कई वर्ष और तैयारी करनी होगी।
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