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कभी रिक्शा चलाने वाले दिलखुश अब कैब कंपनी के हैं मालिक, स्‍टार्टअप से जुड़ी हैं 3200 से अधिक गाड़ियां

Bihar News कभी दिल्‍ली में पैडल रिक्‍शा चलाने वाले दिलखुश कुमार आज पटना में एक स्‍टार्टअप कंपनी को सफलतापूर्वक चला रहे हैं। दिलखुश की सफलता की कहानी बेहद ही दिलचस्‍प है कि कैसे उन्‍होंने रिक्शा चालक से कैब कंपनी का मालिक बनने का सफर तय किया।

By Jagran NewsEdited By: Prateek JainUpdated: Tue, 24 Jan 2023 07:02 PM (IST)
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दिलखुश कुमार की कैब सर्विस कंपनी के मालिक बनने की कहानी दिलचस्प है।
सहरसा, अमरेंद्र कांत: दिल्ली की सड़कों पर पैडल रिक्शा चलाने वाले दिलखुश कुमार की कैब सर्विस कंपनी के मालिक बनने की कहानी दिलचस्प है। दिलखुश बिहार के सहरसा जिला के बनगांव के रहने वाले हैं। उनकी एप आधारित कैब कंपनी से इस समय 3200 से अधिक गाड़ियां जुड़ी हुई हैं। इतनी ही संख्या में चालक भी उनसे जुड़े हुए हैं। इस साल के अंत तक उन्होंने अपने नेटवर्क से 25 हजार गाड़ियों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। 

दिलखुश की पढ़ाई इंटरमीडिएट तक ही हुई है। पिता पवन खां बस चालक हैं। गांव के लोग भी कहते थे, बस चालक का बेटा तो बस चालक ही बनेगा, लेकिन दिलखुश के लिए बस चालक भी बनना आसान नहीं रहा। गांव में रोजगार शिविर लगा तो निजी स्कूल में चपरासी पद के लिए आवेदन दिया। वहां भी नौकरी लगते-लगते रह गई, चयनकर्ताओं ने इन्हें छांट दिया।

बीमारी ने जकड़ा तो लौटे घर, फिर शुरू किया अपना स्टार्टअप

इसके बाद दिलखुश रोजगार की तलाश में दिल्ली चले आए, लेकिन यहां बस चालक की नौकरी नहीं मिली तो पैडल रिक्शा चलाना शुरू किया। इसी बीच बीमारी ने जकड़ लिया तो घर लौट आए और कुछ अलग करने की ठानी। फिर स्टार्टअप योजना के तहत बिहार सरकार के सीड फंड से साढ़े पांच लाख रुपये का लोन लिया और अक्टूबर 2016 में आर्यागो नाम से कैब सेवा शुरू की। इसमें 350 के करीब गाड़ियों का संचालन होता है।

सहरसा के अलावा पड़ोसी जिले सुपौल और दरभंगा तक इसका नेटवर्क है। छह जून 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टार्टअप इंडिया के तहत युवाओं से बात की थी। इसमें दिलखुश भी शामिल थे। कमाई बढ़ने पर दिलखुश ने आर्यागो की जिम्मेदारी पत्नी और अन्य सहयोगियों को सौंप दी और पिछले साल रोडबेज नाम से एक दूसरी कंपनी बनाई। रोडबेज भी एप आधारित कैब सेवा प्रदाता कंपनी है। 

पटना में है कंपनी का कार्यालय, 14 लोग कर रहे काम

दिलखुश अपनी कंपनी का संचालन पटना से कर रहे हैं। यहीं उनका कार्यालय है। इसमें 14 लोग नौकरी कर रहे हैं। वे बताते हैं कि ओला और उबेर जैसी कंपनियों से इतर रोडबेज अलग-अलग शहरों में जाने के लिए कैब उपलब्ध कराती है। वे कहते हैं कि देश में रोजाना सवा करोड़ लीटर तेल इसलिए बर्बाद हो जा रहा है, क्योंकि अधिकतर चालकों को किसी अन्य शहर जाने पर एक ही तरफ के लिए यात्री मिलते हैं।

उनका लक्ष्य कैब चालकों का एक समुदाय विकसित करना है, जिसमें देश के सभी शहरों का प्रतिनिधित्व हो। वे साफ्टवेयर इंजीनियरों की मदद से ऐसी तकनीक विकसित कर रहे हैं, जिसमें अन्य कैब सेवा कंपनियों के चालकों के आंकड़े भी रहेंगे। इसका फायदा यह होगा कि अगर व्यक्ति को किसी शहर में कैब की जरूरत पड़ेगी, तो उसे सेवा उपलब्ध करा दी जाएगी।

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