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Chhath Puja 2023 : भगवान कृष्ण के बेटे ने बनवाए थे 12 सूर्य मंदिर, इनमें से 5 बिहार में; यहां छठ महापर्व पर जुटेंगे लाखों श्रद्धालु

बिहार में भगवान सूर्य की उपासना का महापर्व छठ आज नहाय-खाय से शुरू हो रहा है। इस दौरान व्रत रखने वाली महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला रहेंगी। इस पर्व पर प्रदेश के 5 सूर्य मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इन मंदिर के बारे में और इनसे जुड़ी स्थानीय किंवदंतियां और मान्याएं क्या हैं?

By Kundan SinghEdited By: Yogesh SahuUpdated: Fri, 17 Nov 2023 07:47 AM (IST)
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Chhath Puja 2023 : भगवान कृष्ण के बेटे ने बनवाए थे 12 सूर्य मंदिर, इनमें से 5 बिहार में
कुंदन मिश्रा, महिषी (सहरसा)। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब ने पूरे देश में 12 राशियों के आधार पर 12 सूर्य मंदिरों का निर्माण करवाया था। इनमें पांच बिहार में ही हैं।

किंवदंतियों के अनुसार भगवान कृष्ण किसी बात पर सांब से क्रोधित हो गए थे और उन्हें कुष्ठ रोग होने का शाप दे दिया। बाद में कृष्ण ने कहा कि सूर्य उपासना से सांब का कुष्ठ ठीक हो जाएगा।

इसके बाद सांब ने कई वर्षों तक सूर्य उपासना की और उनका रोग भी ठीक हो गया। इसी उपासना के क्रम में उन्होंने 12 सूर्य मंदिरों का निर्माण करवाया था।

कंदाहा सूर्य मंदिर

पहला सूर्य मंदिर मेष राशि के आधार पर सहरसा के कंदाहा में बनवाया गया था। मंदिर का पुनर्निर्माण कर्णाट वंश के राजा हरिसिंह देव के काल में करवाया गया था।

15 सदी के पूर्वार्द्ध में ओइनवर वंश के राजा गंगदेव द्वारा इसका जीर्णोद्धार करवाया गया था। मंदिर के चौखट पर अवस्थित शिलालेख में हरिसिंह देव की प्रशंसा में श्लोक हैं।

इन्हें ओइनवर वंश के राजाओं ने लिखवाया था। मंदिर के आसपास फैले प्राचीन एतिहासिक टीले से खोदाई के दौरान पुरावशेष मिलते रहते हैं।

बिहार कला-संस्कृति विभाग ने 1982 में ही इसे संरक्षित स्थलों की सूची में शामिल कर लिया था। कोणार्क व देवार्क के बाद इसी सूर्य मंदिर का विशेष महत्व है।

काला पहाड़ नामक एक क्रूर मुगल आक्रमणकारी ने मंदिर को नुकसान पहुंचाया था। पुरातात्विक अवशेषों पर शोध करने वाले मुरारी झा का मानना है कि कर्णाट काल में सूर्य उपासना को विशेष महत्व दिया जाता था।

औरंगाबाद का देव सूर्य मंदिर।

देव (देवार्क) सूर्य मंदिर

बिहार के औरंगाबाद स्थित देव का यह मंदिर अन्य सूर्य मंदिरों की तरह पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिमाभिमुख है। मान्यता के अनुसार इसका निर्माण स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने सिर्फ एक रात में किया है।

मंदिर को लेकर एक कथा के अनुसार प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देव में छठी मैया की आराधना की थी।

तब प्रसन्न होकर छठी मैया ने तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था। इसके बाद अदिति को हुए पुत्र आदित्य ने असुरों पर देवताओं को विजय दिलायी।

कहते हैं कि उसी समय से देव सेना षष्ठी देवी के नाम पर इस धाम का नाम देव हो गया और छठ का प्रचलन शुरू हुआ। इसके अलावा पुरुरवा ऐल, और शिवभक्त राक्षसद्वय माली-सुमाली की कथाएं भी यहां से जुड़ी हैं।

जनश्रुति है कि औरंगजेब जब इस मंदिर को तोड़ने पहुंचा तो देव मंदिर के पुजारियों ने उससे मंदिर को नहीं तोड़ने की विनती की।

इस पर उसने कहा कि यदि रात भर में मंदिर का मुंह पूरब से पश्चिम हो जाए तो मैं इसे नहीं तोडूंगा। सुबी तक मंदिर का मुंह पूरब से पश्चिम की ओर हो गया था।

पटना का उलार्क सूर्य मंदिर।

उलार (उलार्क) सूर्य मंदिर

पटना के दुल्हिनबाजार प्रखंड स्थित उलार में उलार सूर्य मंदिर है। यहां की मूर्तियां काले पत्थर से निर्मित हैं। मुगल काल में विदेशी आक्रमणकारियों ने देश के कई मंदिरों के साथ उलार को भी काफी क्षति पहुंचाई थी।

कहते हैं कि बाद में भरतपुर नरेश के वंशजों ने इसका जीर्णोद्धार कराया था। यह भी कहा जाता है कि संत अलबेला बाबा ने 1852-54 के बीच जनसहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।

उलार मंदिर में नेटुआ (एक विशेष जाति) नचाने की प्रथा है। महिलाएं अपने आंचल को जमीन पर बिछा देती हैं, जिसपर नेटुआ नाचते हुए बाजा बजाता है। माना जाता है कि इससे सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं।

अनुश्रुति के अनुसार महाभारत की समाप्ति के बाद पांचों पांडवों के साथ द्रौपदी ने पुत्र प्राप्ति व वंश को आगे बढ़ाने के लिये उलार्क स्थित ऐतिहासिक तालाब में स्नान कर भगवान सूर्य की उपासना की थी। औरंगजेब ने इस मंदिर को दो बार ध्वस्त कर मूर्तियां विखंडित कर दी थीं।

गया का दक्षिणायन सूर्य मंदिर।

दक्षिणायन सूर्य मंदिर, गया

गया शहर स्थित विष्णुपद मंदिर से उत्तर एवं सूर्यकुंड से पश्चिम स्थित है दक्षिणायन सूर्य मंदिर। यहां की प्रतिमा सतयुग कालीन माना जाता है।

यहां भगवान सूर्य की प्रतिमा काले पत्थर की है। मान्यता है कि प्रतिमा का स्थापना गयासुर द्वारा की गई है। इसकी स्थापना के बारे में सूर्य पुराण और वायु पुराण में वर्णन है।

आचार्य मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि भगवान सूर्य की प्रतिमा के पास सूर्य पुत्र शनि और यम हैं। साथ में सारथी अरुण भी हैं। भगवान सूर्य के दोनों हाथों में श्वेत कमल हैं।

औंगारी सूर्य मंदिर

यह मंदिर बिहार के नालंदा जिले के औंगारी नामक स्थान पर स्थित है। एक प्रसिद्ध तालाब के तट पर स्थित यह सूर्य मंदिर बिहार की कला एवं संस्कृति का परिचायक है।

मनौती पूर्ण होने की आशा मे श्रद्धालु यहां विशेष मुद्रा में भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस मंदिर का गर्भगृह पश्चिममुखी है, जो देश के अन्य सूर्य मंदिरों से इसे विशिष्ट बनाता है।

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