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'हमारे लिए CM ने बदनामी झेली', आनंद मोहन से ये सुनकर नीतीश ने खूब पढ़े कसीदे, बोले- जो चाहे करिए; हम सहयोग करेंगे

बिहार में शुक्रवार को ठाकुर विवाद के बाद एकदम नई सियासत देखने को मिली है। सहरसा जिले में पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक ओर जहां पूर्व सांसद आनंद मोहन की तारीफों के पुल बांधते नजर आए। वहीं दूसरी ओर आनंद मोहन ने भी सीएम की प्रशंसा में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस दौरान दोनों की पुरानी दोस्ती से लेकर आजादी की लड़ाई में योगदान तक चर्चा हुई।

By Kundan SinghEdited By: Yogesh SahuUpdated: Fri, 27 Oct 2023 06:27 PM (IST)
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आजादी की लड़ाई को खत्म करने की हो रही साजिश: नीतीश
जागरण संवाददाता, सहरसा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शुक्रवार को सहरसा में थे। यहां उन्होंने पूर्व सांसद आनंद मोहन के लिए खूब कसीदे पढ़े। वहीं, दूसरी ओर आनंद मोहन ने भी कहा कि मुख्यमंत्री ने उनके लिए खूब बदनामी झेली। दरअसल, सीएम यहां आनंद मोहन के दादा और चाचा की प्रतिमा के अनावरण के लिए आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने आए थे।

इसी दौरान उन्होंने ये बातें कहीं। बता दें कि आनंद मोहन हाल ही में 'ठाकुर विवाद' को लेकर चर्चा में आए थे। हालांकि, इससे पहले वह बिहार सरकार के कानून बदलने के बाद जेल से रिहा होने को लेकर चर्चा में थे।

सियासी भाषण से नीतीश ने बनाई दूरी

बहरहाल, शुक्रवार को सहरसा जिले के पंचगछिया पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार श्रद्धांजलि सह आभार सभा में राजनीतिक भाषण से दूर रहे।

कोसी के गांधी कहे जाने वाले स्व. रामबहादुर सिंह व स्वतंत्रता सेनानी पद्मानंद सिंह ब्रह्मचारी की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद उनके कृतित्व का ही बखान करते रहे। वहीं, पूर्व सांसद आनंद मोहन की खूब तारीफ की।

बिना किसी पार्टी का नाम लिए सीएम ने कहा कि कुछ लोग देश की आजादी की लड़ाई को धीरे-धीरे खत्म करने की साजिश कर रहे हैं। हम देश की आजादी के इतिहास को भूलने नहीं देंगे।

हम आनंद मोहन के कहने पर यहां आए : नीतीश

मुख्यमंत्री ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हम आनंद मोहन के कहने पर यहां आए हैं। पहले इनसे मेरा रिश्ता था, अच्छी दोस्ती थी।

उन्होंने स्व. रामबहादुर सिंह के कृतित्व का बखान करते हुए कहा कि वो 1919 में स्वामी सहजानंद सरस्वती के संपर्क में आए और रॉलेट एक्ट का विरोध किया तो जेल जाना पड़ा।

बाद में कोसी सेवक दल का गठन किया। खादी ग्रामोद्योग की स्थापना की। देश की आजादी में महात्मा गांधी के साथ इन लोगों ने काफी बड़ी भूमिका निभाई थी।

देश की आजादी में योगदान दिया

1930 में नमक सत्याग्रह में भाग लेकर देश की आजादी में योगदान दिया। उस समय उन्होंने नशे से लोगों को दूर करने का काम किया था।

सीएम ने कहा कि जब उस समय यह अभियान चला तो सबको आज भी नशे से मुक्त समाज के लिए प्रेरित करना चाहिए।

1934 में आए भूकंप के बाद बापू के आने की चर्चा करते हुए कहा कि उस दौरान भी स्व. रामबहादुर सिंह की पत्नी कुंती देवी ने लोगों के सहयोग के लिए काफी धन दान में दिया था।

1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। 49 वर्ष की आयु में मौत के बाद पुत्र पद्मानंद सिंह ने कमान संभाल ली और देश की आजादी में अपना योगदान दिया।

हम लोग  1995 तक साथ थे : नीतीश

मुख्यमंत्री ने आनंद मोहन और लवली आनंद की चर्चा करते हुए कहा कि हम लोग 1995 तक साथ थे। बाद में अलग हुए।

उन्होंने कहा कि आनंद मोहन को जो राजनीति करना है करें, जो मन करे करिए। समस्या रहेगी तो सहयोग करते रहेंगे। उन्होंने मजबूती से एकजुट होने का आह्वान किया।

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बोले- इतिहास बदलने नहीं देंगे

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महापुरुषों की कुर्बानी, संघर्ष की कहानी को पाठ्यक्रम में शामिल कराया।

उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए, ताकि इससे आने वाली पीढ़ी उससे प्रेरणा ले सकें। ललन ने कहा कि देश में बहुत ऐसे लोग हैं, जिन्हें आजादी व आजादी की लड़ाई से कोई मतलब नहीं था।

उन्होंने कहा कि ऐसे लोग आजादी का इतिहास बदलना चाहते हैं। अपने तरीके से देश को बदलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमलोग महापुरुषों के इतहिास को मिटाने नहीं देंगे।

आनंद मोहन बोले- हमेशा साथ खड़े रहेंगे

सभा में पूर्व सांसद आनंद मोहन ने कहा कि जो व्यक्ति बदनामी लेकर कानून में तब्दीली लाकर उन्हें जेल से बाहर निकाला उनके साथ हमेशा खड़े रहेंगे।

उन्होंने मुख्यमंत्री को पंचगछिया को अनुमंडल बनाने की बात याद दिलाई, जबकि उनकी खूब तारीफ भी की। सभा को पूर्व सांसद लवली आनंद, विधायक चेतन आनंद, फ्रेंड्स आफ आनंद के अंशुमन मोहन, पूर्व मुखिया चंद्रशेखर ठाकुर आदि ने संबोधित किया।

अध्यक्षता कुलांनद यादव अकेला व संचालन मु. आसिफ अली ने किया। मौके पर बिहार सरकार के मंत्री रत्नेश सादा, विधायक गुंजेश्वर साह, पन्नालाल पटेल आदि मौजूद थे।

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